क्या आप गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं? जानिये फायदे और नुकसान.

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आपकी जीवन शैली के अनुसार आपको गर्भनिरोधक गोलियां लेने की ज़रूरत पड़ सकती है. ज़्यादातर महिलाओं के जीवन में कभी न कभी यह गोलियां ज़रूरी हो जाती हैं. आपको कुछ विशेष बातें जान लेनी चाहियें ताकि आप अपनी सेहत के बारे में खुद फैसले ले सकें.

गर्भ निरोधक गोलियां मुख्य रूप से चार तरह की होती हैं.

  1.  रेगुलर (regular) डोज़,
  2. लो (low) डोज़,
  3. अल्ट्रा लो (ultra low) डोज़, और
  4. ‘प्रोजेस्टिन ऑनली’.

रेगुलर डोज़ में एस्ट्रोजन हॉर्मोन (estrogen hormone) की मात्रा ५० माइक्रोग्राम होती है. लो डोज़ में ३५ माइक्रोग्राम. अल्ट्रा लो डोज़ में लगभग २० माइक्रोग्राम. प्रोजेस्टिन ऑनली गोली में एस्ट्रोजन की मात्रा शून्य होती है. ऊपर की तीनों गोलियों को ‘कोम्बिनेशन पिल (combination pill) भी कहते हैं क्योंकि इनमे ‘एस्ट्रोजन’ और ‘प्रोजेस्टिन’ दोनों हॉर्मोन होते हैं.

असल में गर्भ निरोधन का कार्य ‘प्रोजेस्टिन’ हॉर्मोन करता है. एस्ट्रोजन का कार्य बच्चेदानी के अंदर रक्त का बहाव संतुलित करना होता है. ऐसा समझ सकते हैं कि गर्भ निरोधन के लिए प्रोजेस्टिन मुख्य है. ‘प्रोजेस्टिन ऑनली’ गोलियां बाकी तीनों तरह की गोलियों के बराबर ही गर्भ धारण रोकती हैं.

यदि अल्ट्रा लो डोज़ या प्रोजेस्टिन ऑनली पिल ली जाये तो कुछ महिलाओं में अधिक रक्तस्त्राव देखा जा सकता है. बस. और कोई दुष्प्रभाव नहीं है. गर्भनिरोधन की क्षमता इन सभी गोलियों की एक बराबर है.

गर्भ निरोधक गोलियां प्राकृतिक रूप से होने वाले सेक्स हॉर्मोन को हटा कर कृत्रिम सेक्स हॉर्मोन से बदलती हैं. गर्भनिरोधक गोलियां स्त्री में अंडे बनने की प्रक्रिया रोक देती हैं. यह कार्य प्रोजेस्टिन हॉर्मोन द्वारा संचालित होता है. अंडे के न बनने से हर महीने एक अंडा प्रजनन के लिए विकसित नहीं होता. जिसकी वजह से माहवारी नहीं होती.

ये गोलियां स्त्री को अपने स्वयं के सेक्स हॉर्मोन बनने से रोक देती हैं (एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टिन, टेस्टोस्टेरोन). सेक्स हॉर्मोन कम होने की वजह से गर्भ निरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में मिनोपौज़ (menopause), जिसका अर्थ है माहवारी पूरी तरह हमेशा के लिए रुक जाना, के लक्षण देखे जा सकते हैं. इसके लक्षण हैं थकावट रहना, सेक्स करने की कम इच्छा होना, सर दर्द होना, बालों का झड़ना इत्यादि.

एक भी दिन गोली न खाने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

यदि गर्भनिरोधक गोलियां दिन के अलग अलग समय पर ली जाएँ तो असामयिक रक्तस्त्राव हो सकता है, खासतौर पर कम डोज़ वाली गोली के साथ ये देखा गया है. यह इस बात का प्रतीक नहीं है कि गोली कारगर नहीं है. इसी वजह से कुछ स्त्रियों को पूरे महीने थोड़ी-थोड़ी ब्लीडिंग (spotting) पाई जाती है. यदि एक भी दिन गोली खाना भूल जायें तो अंडा बन सकता है और गर्भधारण की सम्भावना हो सकती है. अगर दो दिन लगातार गोली न खाई जाए तो यह संभावना कई गुना बढ़ जाती है.

ऐसा करने से अन्य दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं, जैसे थकावट, चिडचिडापन, वजन का बढ़ना इत्यादि.

women must know all the effects of birth control pills

इमरजेंसी गर्भधारण गोली तीन तरह से गर्भ को बनने से रोकती है.

यह गोली (जैसे pill 72 इत्यादि) शरीर में बहुत बड़ी डोज़ में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन हॉर्मोन छोडती है. इसकी वजह से तीन कार्य होते हैं:

  1. अंडे का बनना रुकता है (यदि नहीं बना है तो)
  2. अंडे से शुक्राणु का प्रजनन रुकता है (यदि अभी तक नहीं हुआ है तो)
  3. प्रजनित अंडे को बच्चेदानी की दीवारों में स्थान बनाने से रोका जाता है.

गर्भ निरोधक गोलियों के पैकेट में कुछ गोलियां हॉर्मोन रहित होती हैं. आप चाहे तो इन्हें न खाएं. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होगा. गर्भ निरोधक गोलियों के पैक में कुछ गोलियां हॉर्मोन रहित होती हैं. इनको शुगर पिल (चीनी मिश्रित गोलियां) कहते हैं. इनका काम सिर्फ ये होता है कि आपकी रोज़ गोली लेने की आदत बनी रहे.

२८ दिन के गोलियों के पैक में शुरू की २१ गोलियां हॉर्मोन वाली गर्भनिरोधक गोलियां होती हैं और बाकी ७ चीनी मिश्रित गोलियां. नए नए ब्रांड कम चीनी मिश्रित गोलियां इस्तेमाल करते हैं.

२१ दिन के पैक में सभी गोलियां हॉर्मोन युक्त होती हैं. जो स्त्रियाँ इनका इस्तेमाल करती हैं उन्हें ये पैक ख़तम होने पर ७ दिन इंतज़ार करना होता है और फिर २१ दिन का नया पैक लेना शुरू करना होता है.

९१ दिनों की गोलियों के पैक में ८४ होर्मोन युक्त गोलियां होती हैं और ७ चीनी युक्त, बिना हॉर्मोन की गोलियां. इस पैक का सेवन करने वाली महिलाओं मे हर 3 महीने बाद माहवारी देखने को मिलती है.

ऐसा देखा गया है कि लम्बे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां लेने के कारण कुछ स्त्रीयों में माहवारी आना बंद हो जाती है. ऐसा होने पर अक्सर महिलाओं द्वारा चिंता व्यक्त की जाती है क्योंकि माहवारी आने से उन्हें ही यह पता चलता है कि गर्भधारण हुआ है कि नहीं. यह समझना ज़रूरी है कि यदि एक महिला नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल कर रही है तो माहवारी का न होना सामान्य है और इसका मतलब ये नहीं निकलना चाहिए कि गर्भधारण हो गया है.

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गर्भनिरोधन की गोलियों का सेवन करने से बाँझ होने का खतरा नहीं होता. यह एक ग़लतफ़हमी है कि लम्बे समय तक ऐसी गोलियां लेने पर प्राकृतिक प्रजनन क्षमता कम हो जाती है. ज़्यादातर ये देखा गया है कि यदि गोलियां छोड़ने के बाद भी गर्भ धारण करने में परेशानी हो तो इसके अन्य कारण होते हैं, जैसे एन्डोमेटरिओसिस (endometriosis), फैब्रोइड यूटरस (बच्चेदानी में गांठें), थैरोइड ग्रंथि की समस्या इत्यादि.

गर्भनिरोधक गोलियां लेने पर खून के जमने या थक्का बनाने का खतरा हर एक हज़ार में से एक स्त्री को होता है. गर्भ निरोधक गोलियों का सबसे बड़ा साइड इफ़ेक्ट खून का थक्का बनने को ही माना जाता है. यदि किसी महिला के परिवार में खून का थक्का बनने की शिकायत रही है तो महिला की जांच कर लेनी चाहिए जिससे ये पता लग जायेगा कि गर्भ निरोधक गोलियां लेना सुरक्षित रहेगा या नहीं. ज़्यादातर नसों में थक्का बनने से दुष्प्रभाव नहीं पता लगते पर यदि फेफड़े में खून का थक्का बन जाये, और तुरंत मेडिकल इलाज न लिया जाये, तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं. फेफड़े मे खून का थक्का बनने के लक्षण होते हैं अचानक सांस लेने में मुश्किल होना, तेज़ छाती दर्द होना, गुलाबी या लाल रंग का कफ आना, शरीर का नीला पड़ना इत्यादि.

गर्भनिरोधक गोलियां अंडाशय में गाँठ बनने की संभावना क्षीण करती है. बल्कि जिन महिलाओं को अंडाशय में सिस्ट (cyst या गाँठ) बनने की संभावना है, उनमें ये गोलियां इलाज के तौर पे दी जाती हैं. ऐसा हर केस में नहीं होता की गर्भनिरोधक गोली लेने से गाँठ घुल जाये पर और गांठें बनने में रुकावट आ जाती है. जो गांठें पहले से बनी हुई हैं उनका आकार भी बढ़ना रुक जाता है.

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ये गोलियां सेक्स हॉर्मोन का अनुपात संतुलित करके माहवारी के दौरान होने वाले लक्षणों को कम करती है. बहुत सी महिलाएं तो ये गोलियां लेना इसलिए शुरू करती हैं कि माहवारी के दौरान होने वाले तकलीफ दायक लक्षण कम कर सकें, जैसे पेट के निचले भाग में तेज़ दर्द रहना, सिरदर्द होना, अधिक उलटी आना इत्यादि. आइये ये बताते हैं कि ये गोलियां कैसे ये लक्षण कम करती हैं. माहवारी के वक़्त बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होने की मुख्य वजह होती है शरीर में अधिक एस्ट्रोजन और कम प्रोजेस्टिन का होना.

एस्ट्रोजन की अधिकता की वजह से ज्यादा ब्लीडिंग, ज्यादा दर्द, बच्चेदानी की गांठें, अंडकोष की गांठें वगैरा हो सकती हैं.इन सब चीज़ों का इलाज है ‘प्रोजेस्टिन’ हॉर्मोन. यह माहवारी को संचालित करने में और दर्द, अधिक ब्लीडिंग वगैरा कम करने का अचूक इलाज है.

बहुत लम्बे समय तक ये गोलियां लेने से कुछ महिलाओं में गंभीर परिणाम हो सकते हैं. यदि कोई स्त्री छोटी उम्र से ये गोलियां लेना शुरू करे और दस वर्ष से अधिक लेती रहे तो स्तन के कैंसर का खतरा रहता है. इन स्त्रीयों में थकावट, वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, सेक्स की इच्छा कम होना, पैरालिसिस या हार्ट अटैक का खतरा रहना, माइग्रेन, पित्ताशय की बीमारी, रक्तचाप का बढ़ना, मूड खराब रहना या जल्दी जल्दी मन की स्थिति बदलना जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं.

ऐसा भी माना जाता है कि इन गोलियों को लम्बे समय तक लेने से शरीर में यीस्ट (फंगस) की मात्रा बढ़ जाती है जिससे कई तरह की पाचन तंत्र की समस्याएं, फिब्रोम्यल्जिया (fibromyalgia), सोरिआसिस (psoriasis) जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं.

गोलियों में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होने से साइड इफ़ेक्ट अधिक रहते हैं. यदि आप गर्भनिरोधक गोलियां लेने की वजह से मूडी, चिडचिडे, थके हुए महसूस करते हैं तो शायद आपको वो गोलियां लेनी चाहिए जिनमे एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो. ऐसा जान लीजिये कि एस्ट्रोजन मानसिक अवसाद (डिप्रेशन), अधिक चिंता, वजन बढ़ने, शरीर में पानी रुकने जैसे लक्षण पैदा करता है जबकि प्रोजेस्टिन इसका उल्टा करता है.

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