क्या आप पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग से परेशान हैं?

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heavy menstrual bleeding

पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) क्या सामान्य बात है?

पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं में अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) देखी जाती है। इनमें से लगभग एक तिहाई महिलाएं इस समस्या के लिए किसी इलाज का सहारा लेती हैं। पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होना सामान्य बात नहीं है। यह किसी गंभीर बीमारी की तरफ इशारा कर सकती है। यदि आपको लगता है कि पीरियड के दौरान आपको अधिक ब्लीडिंग हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

पीरियड्स (माहवारी) के दौरान ब्लीडिंग को अधिक कब मानते हैं?

यदि नीचे लिखे हुए कोई भी तथ्य पाए जाएं तो पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग की पुष्टि होती है:-

  • पीरियड्स (माहवारी) के दौरान वह ब्लीडिंग जो 7 दिन से अधिक समय तक चले
  • जब ब्लीडिंग इतनी हो कि हर घंटे पैड या टेम्पून बदलना पड़े, वह भी लगातार कई घंटों तक
  • एक ही समय पर एक से अधिक सेनेटरी पैड पहनने की आवश्यकता पड़े
  • रात के दौरान भी पैड बदलने की जरूरत पड़े
  • जब ब्लीडिंग के साथ खून के बड़े-बड़े थक्के भी निकले

पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) किस तरह से आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है?

पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकती है। अधिक रक्त स्त्राव से खून की कमी भी हो सकती है जिसे आईरन डिफिशिएंसी एनीमिया (IRON DEFICIENCY ANEMIA) के नाम से जाना जाता है। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक कम होने से दिल की बीमारियों का खतरा एवं सांस लेने में तकलीफ तथा अधिक थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग किन कारणों से हो सकती है?

  • बच्चेदानी में फाइब्रॉयड (FIBROID) या पॉलिप (POLYP) का होना. इन्हें बच्चेदानी की गांठें भी कहते हैं.
  • एडिनोमायोसिस (ADENOMYOSIS) नाम की बीमारी
  • अनियमित ओव्यूलेशन (ओवुलेशन शरीर में होने वाली प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में एक अंडा परिपक्व होकर स्पर्म से निषेचन के लिए तैयार होता है): ओव्यूलेशन अनियमित होने की वजह से बच्चेदानी के अंदर की परत अधिक मोटी हो सकती है और इस तरह की समस्या अधिकतर युवावस्था में और मीनोपॉज के आसपास देखी जाती है। ओवुलेशन की अनियमितता की समस्या उन महिलाओं में भी कॉमन है जिनमें थायराइड ग्रंथि कम काम करती है या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम नाम की बीमारी है।
  • खून के जमने की बीमारियां होना कई महिलाओं में खून के जमने की प्रक्रिया में कुछ रुकावट होती है जिसकी वजह से पीरियड के दौरान अधिक बिल्डिंग का सामना करना पड़ता है
  • कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग को बढ़ावा देती हैं जैसे कुछ दर्द नाशक दवाएं या खून को पतला करने वाली दवाएं। कॉपर टी या अन्य बच्चेदानी के अंदर रखे जाने वाले परिवार नियोजन के उपकरण भी पीरियड के दौरान अधिक ब्लीडिंग उत्पन्न कर सकते हैं खासतौर पर इस्तेमाल के प्रथम वर्ष के दौरान.
  • कैंसर भी पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) की वजह हो सकता है। बच्चेदानी के कैंसर में यह लक्षण एक प्रारंभिक लक्षण समझा जाता है। बच्चेदानी के कैंसर के ज्यादातर केस महिलाओं में 60 वर्ष की उम्र के बाद देखे जाते हैं।
  • एंडोमेट्रियोसिस (ENDOMETRIOSIS) नाम की बीमारी की वजह से भी पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग की शिकायत देखी जाती है।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी नाम की बीमारी भी माहवारी के दौरान ब्लीडिंग बढ़ा सकती है। इस बीमारी का अर्थ है भ्रूण का बच्चेदानी के अलावा शरीर के अन्य किसी हिस्से पर ठहर जाना।
  • पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (PID) की वजह से भी पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग हो सकती है। इस बीमारी का अर्थ है पेडू (पेल्विस) के अंदर किसी अंग में इंफेक्शन का होना।

ऐसा जरूरी नहीं कि हर केस में पीरियड्स में अधिक बिल्डिंग का कारण निश्चित रूप से मालूम पड़ जाए। कई बाहर कोई भी वास्तविक कारण नहीं पता चल पाता।

पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग की जांच पड़ताल के लिए किस तरह के टेस्ट और जांच की जरूरत पड़ सकती है?

यदि आप पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) की शिकायत लेकर अपने डॉक्टर के पास जा रही हैं तो आपको कुछ बातें समझ लेना आवश्यक है। पहले तो डॉक्टर आपसे इस लक्षण से संबंधित प्रश्न पूछेंगे। आप कौन सी दवा खाती हैं तथा कब से खाती हैं या भूतकाल में आपका कोई ऑपरेशन हुआ है यह जानकारी भी देनी होगी। यदि आप कोई परिवार नियोजन विधि इस्तेमाल करती हैं तो आपको इसके बारे में डॉक्टर को बताना पड़ेगा। आपको सामान्यतया पीरियड्स किस अंतराल पर आते हैं तथा उस दौरान आप कैसा महसूस करती हैं यह भी आपको डॉक्टर को बताना पड़ेगा।

आपकी मेडिकल हिस्ट्री लेने के बाद डॉक्टर आप के शरीर का परीक्षण करेंगे जिसमें आपके पेडू (पेल्विस) की जांच भी शामिल है. कई तरह के लैब टेस्ट किए जा सकते हैं। शारीरिक संबंधों से फैलने वाली बीमारियों की जांच पड़ताल भी की जा सकती है। क्या आप इस दौरान गर्भवती है या नहीं इसकी जांच भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य परीक्षण भी डॉक्टर की सलाह पर किए जा सकते हैं जैसे:

  • पेट के निचले हिस्से (पेल्विस या पेडू) का अल्ट्रासाउंड
  • हिस्ट्रोस्कोपी: इस जांच में योनि के रास्ते एक पतला सा पाइप अन्दर प्रवेश किया जाता है जो आप की बच्चेदानी तक जाता है इसकी मदद से डॉक्टर आपके बच्चेदानी के अंदर देख सकते हैं तथा किसी भी समस्या को पहचान सकते हैं.
  • बच्चेदानी की बायोप्सी जांच: इस प्रक्रिया में बच्चेदानी के अंदर की परत का छोटा सा टुकड़ा निकाला जाता है तथा सूक्ष्मदर्शी से उसकी जांच की जाती है
  • एमआरआई जांच: यह एक इमेजिंग टेस्ट है जिसके जरिए शरीर के अंदर के अंगों की विस्तृत तस्वीर बनाकर देखी जा सकती है तथा किसी भी असामान्य लक्षण को चिह्नित किया जा सकता है
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पीरियड के दौरान अधिक ब्लीडिंग के इलाज में किस तरह है कि दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है?

  • पीरियड्स (माहवारी) के दौरान अधिक ब्लीडिंग अगर ओवुलेशन में गड़बड़ी, एंडोमेट्रियोसिस, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या फाइब्रॉयड की वजह से हो तो परिवार नियोजक गोलियों की मदद से नियंत्रित की जा सकती है। इस तरीके से पीरियड को रेगुलर या सामान्य बनाया जा सकता है और यदि चाहे तो ब्लीडिंग पूरी तरह भी रोकी जा सकती है।
  • हार्मोन थेरेपी मेनोपॉज (रजस्वला) के दौरान होने वाली अधिक ब्लीडिंग को कंट्रोल करने का रोकने में सहायक है। ये इलाज शुरू करने के पहले यह जरूरी है कि इससे जुड़े हुए खतरो का आंकलन भी कर लिया जाए जैसे हृदयाघात स्ट्रोक या कैंसर का खतरा
  • जी.एन.आर.एच. एगोनिस्ट (GNRH AGONIST) नाम की दवा से बच्चेदानी के अंदर फाइब्रॉयड या गांठ का आकार छोटा होता है और पीरियड्स में होने वाली अधिक ब्लीडिंग रोकी जाती है। यह दवाएं कम समय के लिए इस्तेमाल की जाती हैं जिसका अर्थ है 6 महीने से कम। बच्चेदानी की गांठ में इनका असर कुछ समय के लिए ही रहता है। यह दवा लेना बंद करने पर बच्चेदानी की गांठ है या फाइब्रॉयड फिर से अपने पुराने आकार तक बढ़ जाते हैं।
  • एन.एस.ए.आई.डी. (NSAID) दवाएं: यह सामान्य तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाली दर्द निवारक दवाएं हैं। इनका इस्तेमाल अधिक ब्लीडिंग को रोकने और पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में होने वाले अधिक दर्द को रोकने में किया जाता है।
  • ट्रांसमिक एसिड: यह एक दवा है जिसका इस्तेमाल अधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) को रोकने में किया जाता है। यह गोली दिन में तीन बार तक ली जाती है और पीरियड्स के शुरू होने के दौरान ही शुरू कर दी जाती है। इस दवा को लेने के पहले डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।

यदि पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग दवाओं से ठीक ना हो तो किस तरह के ऑपरेशन की जरूरत होती है?

  • एंडोमेट्रियल अबलेशन (ENDOMETRIAL ABLATION): इस प्रक्रिया में बच्चेदानी के अंदर की परत को नष्ट कर दिया जाता है। इसकी वजह से ब्लीडिंग होना पूरी तरह बंद हो जाता है या काफी कम हो जाता है। इस प्रक्रिया के बाद गर्भधारण करना की संभावना बहुत कम हो जाती है पर प्रेगनेंसी हो सकती है। यदि ऐसी अवस्था में गर्भधारण होता है तो कॉम्प्लिकेशन की संभावना बहुत बढ़ जाती है। यदि आपने इस प्रक्रिया को अपनाया है तो मीनोपॉज तक आपको परिवार नियोजन कि कोई ना कोई विधि इस्तेमाल करनी चाहिए। एंडोमेट्रियल अबलेशन सिर्फ तभी इस्तेमाल किया जाता है जब दवाओं से ब्लीडिंग कंट्रोल में ना आए।
  • यूटरिन आर्टरी एंबोलाइजेशन (UTERINE ARTERY EMBOLIZATION): इस विधि में बच्चेदानी में जाने वाली खून की नसों का बहाव रोक दिया जाता है जिसकी वजह से बच्चेदानी के अंदर की गांठ की रक्त की सप्लाई भी रुक जाती है। इसकी वजह से गांठों का आकार कम होने लगता है तथा धीरे-धीरे गांठें पूरी तरह खत्म भी हो सकती हैं. इस प्रक्रिया का इस्तेमाल बच्चेदानी की गांठ या फाइब्रॉयड के इलाज में किया जाता है।
  • मायोमेक्टोमी (MYOMECTOMY): यह एक ऑपरेशन है जिसमें बच्चेदानी को नुकसान पहुंचाए बिना सिर्फ बच्चेदानी की गांठों को ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया जाता है।
  • हिस्टोरेक्टोमी (HYSTERECTOMY): यह वह ऑपरेशन है जिसमें संपूर्ण बच्चेदानी को ऑपरेशन के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल बच्चेदानी की गांठ हो या एडिनोमायोसिस को ठीक करने के लिए तब किया जाता है जब अन्य सभी इलाज निष्क्रिय साबित हुए हैं। बच्चेदानी को ऑपरेशन द्वारा बाहर निकालने की प्रक्रिया बच्चेदानी के कैंसर में भी इस्तेमाल की जाती है। बच्चेदानी के निकल जाने के बाद महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकती तथा उनमें मासिक पीरियड्स भी खत्म हो जाते हैं।

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