Home जीवनशैली बुजुर्गों को चाहिए ये 11 विटामिन और पोषक तत्व

बुजुर्गों को चाहिए ये 11 विटामिन और पोषक तत्व

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बुजुर्गों के शरीर में बीमारियों की सम्भावना अधिक होती है. इनसे बचने के लिए कुछ ख़ास विटामिन और पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है. इस लेख में आपको 11 ऐसे ही विटामिन और पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं जो बीमारियों से बचाव करते हैं. स्वस्थ्य लाभ तभी हो सकता है जब आपको उपयुक्त ज्ञान हो.

कैल्शियम:

बढती उम्र के साथ शरीर से कैल्शियम के शरीर के बाहर निकलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. इसकी वजह से हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं तथा उनके टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है. खासतौर पर वो महिलाएं जिनमें रजोनिवृति (मीनोपॉज) प्राप्ति हो चुकी है, उनमें कैल्शियम की बहुत कमी देखने को मिलती है. कैल्शियम शरीर में मांसपेशियों, रक्त वाहिनियों और नसों के कार्य हेतु जरुरी है. शरीर कैल्शियम की ज़रूरत हड्डियों से पूरी करता है और हड्डियां भोजन से. ऐसा मन जाता है कि ७० वर्ष से ऊपर के पुरुष और ५० वर्ष से ऊपर की महिलाओं को सामान्य वयस्क से २०% अधिक कैल्शियम खाने में लेना चाहिए.

कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ:

कैल्शियम हमें दूध, पनीर, दही, अंडे, पालक से मिलता है. अंकुरित दाल, छाछ, अरबी, मेथी, सेम, बीन्स, रागी, ब्रोक्कोली, टोफू, बादाम, अखरोट, मूंगफली से कैल्शियम की अच्छी मात्रा मिल जाती है.

विटामिन बी-12:

विटामिन बी-12  हमारे शरीर में खून, दिमाग और नसों के लिए ज़रूरी होता है.  ज़्यादातर यह विटामिन मांस, मछली, अण्डों में मिलता है. शाकाहारियों में इसकी कमी सामान्य तौर पर देखी जा सकती है. इसके कम होने से सुन्नपन होना, दर्द रहना और खून की कमी होना सामान्य बात है. यह तनाव से निपटने में मदद भी करता है । ५० वर्ष के ऊपर के लगभग २०% लोगों में एट्रोफिक गैसट्राईटिस पाया जाता है जिसकी वजह से शरीर इस विटामिन को खाने के ज़रिये नहीं ले पता. विटामिन बी-12 की कमी के अन्य कारण हैं – कुछ दवाएं, एसिडिटी कम करने के कुछ सिरप, वजन कम करने का ऑपरेशन इत्यादि.

विटामिन बी-12 युक्त खाद्य पदार्थ:

विटामिन बी12 केवल मांस, मछली, दूध, दही और पनीर से ही प्राप्त होता है. यह न तो हरी सब्जियों में होता है, न फलों में. खमीर युक्त चावल विटामिन बी 12 की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

विटामिन डी:

विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक है. भोजन से कैल्शियम को शरीर में सोखने में इसकी मुख्य भूमिका है. विटामिन डी मांसपेशियों, इम्यून सिस्टम (रोगप्रतिरोधक क्षमता), होरमोंस, नसों और दिल के लिए भी बहुत ज़रूरी है. विटामिन डी त्वचा को खतरनाक यू वी किरणों से सुरक्षित रखने का काम करता है. विटामिन डी बनाने के लिए दोपहर की धूप नहीं, सुबह की धूप फायदेमंद होती है. ज़्यादातर लोग विटामिन डी को सूर्य की रौशनी की मदद से शरीर में बनाते हैं. पर बढती उम्र के साथ सूर्य की किरणों से इस विटामिन को लेने की शक्ति क्षीण होती जाती है. शाकाहारी भोजन से इसका मिलना मुश्किल है – अधिकतर मछलियों से विटामिन डी मिलता है.

विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ:

सॉल्‍मन और टुना फिश, दूध, दही और अन्य डेरी उत्पाद, कॉड लिवर आयल में विटामिन डी पाया जाता है.

विटामिन बी 6:

विटामिन बी 6  हमारे शरीर में उर्जा पैदा करने के लिए और जीवाणुओं से लड़ने के लिए बहुत आवश्यक है. ये दिमागी विकास में भी सहायक है. जैसे जैसे उम्र बढती है, इस विटामिन की ज़रूरत भी बढती जाती है. कुछ वैज्ञानिक शोधों में पता लगा है कि जिन बुज़ुर्ग लोगों में इस विटामिन की कमी नहीं थी उनकी दिमागी सेहत और याददाश्त अच्छी पाई गयी. यह हमारे बालों और नसों के लिए भी अच्छा विटामिन है.

विटामिन बी 6 युक्त खाद्य पदार्थ:

चावल और गेहूं के चोकर में उच्च मात्रा में विटामिन बी6 मौजूद होता है. साथ ही यह लहसुन, गुड़, सोयाबीन, ताज़ी सब्जियां, दाल, सफ़ेद चने, अंडे, चिकन, मछली, मांसाहार इत्यादि से मिलता है.

Elderly need vitamin b6 and vitamin d

मैग्नीशियम:

मैग्नीशियम हमारे शरीर को प्रोटीन और हड्डियों को बनाने में मदद करता है. साथ ही यह खून में शुगर की मात्रा भी नियंत्रित रखता है. ज़्यादातर यह हमको ड्राई फ्रूट बीज, पत्तेदार सब्जियों से मिल जाता है. पर बुज़ुर्ग लोगों में इसकी कमी देखी जाती है. कुछ दवाएं भी शरीर में इसकी मात्रा कम कर देती हैं जिसकी वजह से प्रतिकूल लक्षण दिखने लग जाते हैं. डिप्रेशन और सिरदर्द की समस्‍या से ग्रसित लोगों में भी मैग्‍नीशियम फायदेमंद है.

मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ:

अवोकेडो, सोयाबीन, जीरा, कद्दू के बीज, दही, बादाम, मछली, स्ट्रॉबेरी, पालक, कोको, डार्क चॉकलेट और काजू के सेवन से मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में मिल जाता है.

प्रोबायोटिक:

प्रोबायोटिक का मतलब है शरीर के लिए अछे बैक्टीरिया. प्रोबायोटिक एक प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं, जिसमें जीवित जीवाणु या सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं. प्रोबायोटिक न सिर्फ हमारी आँतों के लिए अच्छे हैं, बल्कि इनके सेवन से हमारा इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) भी अच्छा होता है और दिमाग भी बेहतर काम करता है. कई तरह के पाचन तंत्र के रोग इसके सेवन से कण्ट्रोल में रहते हैं, जैसे डायरिया, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम इत्यादि. इसका सेवन हमें एलर्जी से भी रोकथाम दिला सकता है.

प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ:

प्राकृतिक रूप से प्रोबायोटिक दही, इडली से मिल जाता है. प्रोबायोटिक्‍स उच्‍चकोटि वाली डार्क चॉकलेट में भी होता है और इसमें कई प्रकार के डेयरी उत्‍पादों की तुलना में चार गुना ज्‍यादा प्रोबायेटिक्‍स होते हैं। केफिर भी डेरी का फ़र्मेंटेड (किन्वित) उत्पाद है. यह एंटीऑक्‍सीडेंट से समृद्ध है तथा इसमें  लैक्टोबैसिलस और बीफीडस नामक बैक्‍टीरिया भी भरपूर मात्रा में होते हैं.

ओमेगा 3 फैटी एसिड:

ओमेगा 3 फैटी एसिड हमें आहार से ही मिल सकता है. इनको हमारा शरीर खुद नहीं बना सकता. ये हमारे दिमाग, आँखों, त्वचा और नसों के लिए बहुत ज़रूरी हैं. बढती उम्र की बीमारियों, जैसे अल्झाइमर, जोड़ों के दर्द, आँखों का कमज़ोर होना इत्यादि से बचने में इस विटामिन की विशेष भूमिका है. वैसे तो इसके कैप्सूल भी मिलते हैं, पर प्राकृतिक रूप से यह मछलियों, अखरोट, केनोला आयल और अलसी के बीज में मिलता है.

ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ:

प्राकृतिक रूप से यह मछलियों, अखरोट, केनोला आयल और अलसी के बीज में मिलता है.

जिंक:

ज़्यादातर बुज़ुर्ग लोगों के शरीर में जिंक की कमी होती है. जिंक हमारे शरीर की टूट फूट की मरम्मत के लिए और इन्फेक्शन से लड़ने के लिए अतिआवश्यक है. ये हमारे शरीर की कोशिकाओं की सूजन कम करता है. ये उम्र के बढ़ने से शरीर में होने वाले हानिकारक बदलावों को घटाता है. ये हमारे स्वाद और सूंघने की शक्ति को भी सेहतमंद रखता है. ये हमारी आँखों के लिए भी ज़रूरी है. पुरानी बीमारी से सम्बंधित अंगों और कोशिकाओं में बढ़ती सूजन और नई सूजन को कम करने में जिंक सहायक होता है। जिंक रेटिना में कोशिका  क्षति को रोकने में सहायक है।

जिंक युक्त खाद्य पदार्थ:

जिंक की प्रचुर मात्रा मांसाहार से मिल सकती है. बीन्स, नट्स, ड्राई फ्रूट, मूंगफली, दही, अंडे, ताज़े फल और सब्जियां, मछली और अन्य समुद्री भोजन, साबुत अनाज और डेयरी उत्पाद में जिंक की अच्छी मात्रा पाई जाती है.

सेलेनियम:

सेलेनियम हमारे शरीर की कोशिकाओं को टूटने-फूटने से और इन्फेक्शन से बचाता है. यह हमारी थाइरोइड ग्लैंड (ग्रंथि) के सही तरीके से काम करने के लिए ज़रूरी है. इसकी प्रचुर मात्रा से शरीर की मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं और कई बढती उम्र से सम्बंधित बीमारियों की सम्भावना कम हो जाती है, जैसे डेमेंटिया, कैंसर, थाइरोइड की बीमारियाँ, स्ट्रोक इत्यादि. सेलेनियम रक्त वाहिका, हृदय की बीमारियों, ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) , बांझपन, थकान की रोकथाम के लिए उपयोग किया जाता है। सेलेनियम अक्सर पेट, प्रोस्टेट, फेफड़ों और त्वचा के कैंसर को रोकने के लिए भी प्रयोग किया जाता है. बुज़ुर्ग व्यक्तियों में इसकी कमी सामान्य रूप से देखने को मिल जाती है.

सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थ:

मशरूम, सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, अलसी के बीज, गेंहू के चोकर, ब्राउन राइस, और जौ में सेलेनियम की अच्छी मात्रा मिल जाती है.

पोटैशियम:

पोटैशियम शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है. यह शरीर के अन्दर लगभग हर गतिविधि में योगदान करता है, जैसे दिल, गुर्दे, नसें, रक्त वाहिनी, मांसपेशियां, हड्डियां इत्यादि. यह शरीर की सभी मांसपेशियों में विद्युत सिग्नल या सूचनाओं का संचालन करता है। शरीर में पोटैशियम की मात्रा में 1% की भी कमी बहुत हानिकारक प्रभाव डालती है। इसके सेवन से हमें दिल के दौरे और ब्रेन पैरालिसिस की सम्भावना क्षीण हो जाती है. यह मांसपेशी संकुचन को नियंत्रित करने में मदद करता है और दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है। बहुत से लोगों में पोटैशियम की कमी पाई जाती है, ख़ास तौर से बुजुर्गों में. कई दवाएं ऐसी होती हैं जिनके सेवन से पोटैशियम की कमी हो जाती है.

पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थ:

दैनिक आहार में पोटैशियम की अच्छी मात्रा केला, दही, पालक, खुबानी, किशमिश, आलूबुखारा, खजूर, टमाटर, संतरा, दूध, नारियल पानी, फलों के रस से मिलती है.

फोलेट:

फोलेट शरीर में कोशिकाओं के सामान्य विकास के लिए और खून बनाने के लिए ज़रूरी है. ये हमें ब्रेन स्ट्रोक (लकवा), नसों की बीमारियों और कैंसर से बचा सकता है. इसको विटामिन B9 भी कहते हैं. गर्भवती महिलाओं को फोलेट लेना आवश्यक होता है जिससे उनके शिशु में जन्मजात कमियाँ होने की सम्भावना कम हो जाती है.

फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ:

फोलेट के अच्छे स्त्रोत हैं: पत्तेदार सब्जियां (पालक, ब्रोक्कोली, साग), बीन्स, मटर, दाल, नीम्बू, केला, तरबूज, खरबूजा इत्यादि.

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