Home स्वास्थ्य ‘चीनी कम’ ही ठीक है. जानलेवा असर है इसका.

‘चीनी कम’ ही ठीक है. जानलेवा असर है इसका.

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अधिक मीठी चीज़ें खाने-पीने से हमें सिर्फ कैलोरी मिलती है. चीनी के अंदर कोई भी पोषक तत्व नहीं होता है. इसके फलस्वरूप जब हम ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाते हैं, जैसे की चिप्स पिज़्ज़ा बर्गर केक या फ्राइड फूड,  तो हम सिर्फ कैलोरी ( ऊर्जा की इकाई) ले रहे होते हैं. इस प्रकार का भोजन करने से हमारे शरीर में विटामिन, मिनरल, प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती हैं.

अधिक मीठा खाने की वजह से शरीर में इन्सुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) नाम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करते रहने से पैंक्रियास नाम की ग्रंथि लगातार इंसुलिन का स्राव करती रहती है जिससे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए संवेदनशील नहीं रहती.  इसकी वजह से मोटापा, डायबिटीज, रक्तचाप तथा मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

मोटापे, डायबिटीज और कैंसर की महामारी के पीछे चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स की मुख्य भूमिका है

खाने में अधिक मीठा खाने से मोटापे की बीमारी होती है. हमें यह जानना जरूरी है कि चीनी का अधिक सेवन तथा कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन मोटापे के मुख्य कारण है. इन्सुलिन रेजिस्टेंस होने की वजह से मनुष्य को बार-बार मीठा खाने का मन होता है तथा मीठा ना मिलने पर व्यक्ति चिड़चिड़ापन का शिकार हो जाता है. यह एक प्रकार के नशे की तरह होता है जिसमें व्यक्ति को हर थोड़ी देर में कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन तथा मीठा भोजन खाने की आवश्यकता पड़ती है और उसका वजन बढ़ता जाता है.

intake of excessive sugar causes insulin resistance and diabetes

वैज्ञानिक रिसर्च में यह पाया गया है की चीनी तथा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट ( मैदे से बने आहार जैसे पिज़्ज़ा,  बर्गर, केक, ब्रेड इत्यादि) हमारे शारीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) की मात्र घटाते हैं तथा हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (LDL, ट्राई-ग्लिसरैड) की मात्र बढ़ाते हैं. अधिक चीनी का सेवन करने से ट्राई-ग्लिसरैड नामक कोलेस्ट्रॉल की मात्र खून में बढ़ जाती है. भविष्य में दिल के दौरे की सम्भावना का पता लगाने के लिए संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल की बजाय ट्राई-ग्लिसरैड का लेवल ज्यादा महत्वपूर्ण है.

चीनी और रिफाइंड कार्ब्स खाने से दांत जल्दी सड़ते और खराब होते हैं. ब्रेड, आलू चिप्स, सोडा, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी आइटम्स, पैकेज्ड जूस, आइसक्रीम, पिज़्ज़ा, नूडल इत्यादि खाने से दांतों का इनेमल नष्ट होता है तथा विभिन्न प्रकार की दांतों की बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं.

मीठे पदार्थों में पाई जाने वाली फ्रक्टोज नाम की शुगर (अधिकतर पैकेज्ड मीठी चीज़ों में मिलने वाली) मुख्यतया लीवर में पचाई जाती है तथा इसके अधिक मात्रा में शरीर में होने की वजह से ‘फैटी लीवर’ (लीवर का मोटापा) नाम की बीमारी हो सकती है, इसमें लीवर (यकृत) कमज़ोर हो सकता है.

कृत्रिम मीठे को पूरी तरह बैन करने का समय आ गया है. प्राकृतिक आहार आपके शरीर की शुगर की ज़रूरत पूरी कर सकता है.

अधिक मीठे का सेवन ‘टाइप 2 डायबिटीज (मधुमेह)’ का सबसे मुख्य कारण है. बाज़ार में मिलने वाली टॉफी, कैंडीज, मीठे पेय, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक इत्यादि में ‘हाई फ्रक्टोज कोर्न सिरप’ का इस्तेमाल होता है जो चीनी से ज्यादा सस्ता होता है (जिसकी वजह से फैक्ट्री वालों को ज्यादा मुनाफा होता है) पर इसके हानिकारक परिणाम बहुत ज्यादा होते हैं. मोटापे की महामारी का यह मुख्य कारण है.

अधिक मात्र में चीनी के सेवन से ‘अल्ज्हैमर’ नाम की बीमारी का खतरा बहुत बढ़ जाता है. इस बीमारी को डायबिटीज टाइप 3 भी कहा जाता है और यह जानलेवा हो सकती है. इस बीमारी में दिमाग की कोशिकाओं में रुकावट आने लगती है और कई किस्म के लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे भूलना, सामान्य कार्य करने में मुश्किलें, बोलने और लिखने में दिक्कत, समझने में परेशानी इत्यादि.

अधिक मात्र में चीनी और रिफाइंड कार्ब्स का सेवन करने से हमें भूख ज्यादा लगती है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है. जैसे ही शरीर में चीनी जाती है, पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव शुरू होता है जो दिमाग से निकलने वाले ‘लेप्टिन’ नाम के हॉर्मोन (भूख पर नियंत्रण रखने वाला हॉर्मोन) का निकलना रोक देता है. लेप्टिन की कमी या अनुपस्थिति की वजह से शारीर को भूख मिटने का अहसास नहीं हो पता और ज्यादा खाया हुआ, हाई कैलोरी खाना मोटापा बढ़ने में योगदान करता है.

चीनी का अत्यधिक सेवन हमारे इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को कमज़ोर बनता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने से कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं.

अधिक मीठा खाने से मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) की समस्या हो सकती है. जो लोग बीच बीच में मीठा खाते रहते हैं, जब उन्हें मीठा कुछ समय खाने को न मिले तो वो परेशान और चिडचिडे हो जाते हैं. अधिक मीठा खाने की वजह से बाकी पोषक तत्त्व खाने में कम हो जाते हैं और ज़रूरी अमिनो एसिड और विटामिन्स के अभाव में व्यक्ति को डिप्रेशन का रोग हो जाता है.

हमारे द्वारा लिया गया भोजन हमारी आँतों में पलने वाले बैक्टीरिया की जाति (श्रेणी) निर्धारित करता है. यदि हम चीनी और रिफाइंड कार्बोहायड्रेट से भरपूर भोजन करते हैं तो हमारी आँतों में खराब किस्म के बैक्टीरिया पलते हैं. ये हमें विभिन्न प्रकार की बिमार्रियाँ दे सकते हैं. और दूसरी तरफ, अच्छा और बैलेंस्ड खाना खाने से आँतों में अच्छी श्रेणी के बैक्टीरिया पलते हैं. खराब बैक्टीरिया हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य, पाचन क्षमता इत्यादि को नुक्सान पहुंचाते हैं.

चीनी पचाने के दौरान शरीर से कई ज़रूरी मिनरल (खनिज-लवण) निकल जाते हैं, जैसे कॉपर, जिंक, क्रोमियम, मैग्नीशियम वगैरा. ये खनिज शरीर में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनकी अनुपस्थिति में लाइलाज बीमारियाँ हो सकती हैं.

चीनी की अधिक मात्रा खून का दौरा करने वाली छोटी नलियों को प्रतिरोधित करके आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाती है. इसकी वजह से दृष्टि हीनता की परिस्थिति हो सकती है.

कैंसर की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए अधिक मात्र में शुगर की ज़रूरत होती है.

ज्यादा चीनी खाने से त्वचा में झुर्रियां पड़ती हैं. त्वचा को कसी हुई और कोमल दिखने के लिए इलास्टिन और कोलेजन प्रोटीन आवश्यक हैं. अधिक चीनी इन प्रोटीन्स का क्षय करती हैं और समय से पूर्व त्वचा वृद्ध हो जाती है.

अधिक चीनी खाने से बच्चे तनावग्रस्त और चिडचिडे होते हैं. उनका आई क्यू (IQ) भी कम हो जाता है जिसकी वजह से वो पढाई में पीछे रह जाते हैं.

रिफाइंड कार्ब्स और चीनी हमारे शरीर की कोशिकाओं में सूजन पैदा करती हैं, इसकी वजह से विभिन्न बीमारियाँ, जैसे दिमागी दौरा, दिल का दौरा, कैंसर, जोड़ों में दर्द, पैरालिसिस इत्यादि हो सकते हैं.

चीनी से लबालब चीज़ें खाने और पीने से (३०० ml की कोल्ड ड्रिंक में लगभग 6 चम्मच चीनी होती है जो हमारी रोज़ की ज़रूरत से दुगनी से भी ज्यादा है) शरीर से कैल्शियम बाहर निकल जाता (उत्सर्जित) है जिसकी वजह से हड्डियां और जोड़ कमज़ोर हो जाते हैं. बुजुर्गों को तो चीनी का सेवन इस वजह से बिलकुल कम कर देना चाहिए. यदि छोड़ सकते है तो और भी अच्छा.

चीनी की वजह से मोतियाबिंद (आँखों के लेंस का धूमिल हो जाना) होता है. जो लोग आने खाने में मीठा कम लेते हैं उनमें मोतियाबिंद की शिकायत कम देखने को मिलती है.

अधिक चीनी के सेवन से पुरुषों में इस्ट्रोजेन (महिला हॉर्मोन) की मात्र बढ़ जाती है जिसकी वजह से उनके स्तन का आकर बढ़ सकता है. इस समस्या को ‘गैनेकोमस्टिया’ कहते हैं तथा पुरुषों में यह हीन भावना पैदा करती है.

रक्त में चीनी की अधिक मात्रा गुर्दे (किडनी) की बीमारियों को जन्म देती है. गुर्दे अपना कार्य (रक्तचाप ठीक रखना, नमक और खनिज की मात्रा नियंत्रित रखना, प्रोटीन की मात्र संतुलित रखना इत्यादि) ठीक प्रकार नहीं कर पाते और कई तरह के रोग लग सकते हैं.

ज़्यादातर नमक को ही रक्तचाप के लिए दोषी ठहराया जाता है. चीनी के बारे में कोई बात नहीं करता. वैज्ञानिक शोध से ये पता चलता है की अधिक चीनी का सेवन रक्तचाप बढ़ता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट्स में ये लिखा है कि चीनी हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बिमारियों का एक बहुत बड़ा कारण है.

मीठे का सेवन मुंहासे की समस्या को उत्पन्न करता एवं बढ़ता है. यदि मुंहासों को न रोका जाये तो वे त्वचा को खराब कर सकते हैं.

अधिक मीठे के सेवन से संतानहीनता हो सकती है. महिलाओं में होर्मोनेस की समस्या पैदा हो सकती है और चेहरे के बाल बढ़ सकते हैं.

चीनी का अधिक सेवन एक्जिमा (एलर्जी सम्बंधित त्वचा रोग) पैदा कर सकता है. एक्जिमा के रोगियों को चीनी कम खाने की सलाह दी जाती है.

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