कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरेपी का महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन कैंसर की कीमोथेरेपी की तरह रेडिएशन थेरेपी से भी कई प्रकार के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ज्यादातर यह साइड इफेक्ट इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर के किस हिस्से पर रेडियोधर्मी किरणें डाली जा रही हैं तथा कितने समय के लिए डाली जा रही हैं। जरूरी नहीं कि सबको ही साइड इफेक्ट हों, कुछ लोग रेडियोथैरेपी आसानी से संपन्न कर लेते हैं। आइए जानते हैं रेडियोथैरेपी के दौरान अपने शरीर की देखभाल किस तरह से करनी चाहिए।
आपके शरीर को भरपूर मात्रा में आराम मिलना जरूरी है। रेडियोथैरेपी एक थका देने वाला इलाज है और अगर ठीक तरह से आराम ना किया जाए तो कमजोरी बनी रह सकती है। रात को अच्छी तरह से सोने की कोशिश करिए। यह भी दिमाग में रखिये कि रेडियोथैरेपी के कई हफ्तों बाद तक भी थकान रह सकती है।
रेडियोथैरेपी के दौरान संतुलित तथा पोषक तत्वों से भरपूर भोजन कीजिए। आपके शरीर के किस भाग पर रेडियोथैरेपी दी जा रही है यह जानते हुए आपको कैंसर के आहार विशेषज्ञ अपने खाने में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं। जरूरी बात यह है कि आपके खाने में विटामिन तथा प्रोटीन की कमी नहीं होनी चाहिए।
अपने डॉक्टर्स को यह जरूर बताइए कि आप कौन-कौन सी दवाएं और सप्लीमेंट्स ले रहे हैं। यदि आप घरेलू नुस्खे भी आजमा रहे हैं तो यह भी अपनी कैंसर की टीम को बताना जरूरी है। कई बार हम लोगों की देखा देखी या कहीं पढ़कर कुछ भी खाना शुरु कर देते हैं। आपकी कैंसर के इलाज की टीम को यह जानना जरूरी है कि आप कौन सी दवाई, किस समय पर और कब से लेते हैं
WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) के अनुसार भारत में हर १० लाख लोगों की जनसंख्या में रेडिएशन थेरेपी की कम से कम एक मशीन अवश्य होनी चाहिए.
रेडियोथैरेपी के क्षेत्र की त्वचा का विशेष ध्यान रखिए। जब कभी बाहर से रेडियोधर्मी किरणें डाली जाती है तो उस जगह की त्वचा संवेदनशील हो जाती है तथा उसमें लाली आ सकती है। देखने पर ऐसा लग सकता है कि त्वचा धूप से जली हुई है। त्वचा के उस हिस्से पर कोई भी साबुन, लोशन, डिओडरेंट, कॉस्मेटिक, पाउडर, परफ्यूम या दवाई लगाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
रेडियोथैरेपी के दौरान आपका मन क्या महसूस करता है?
ज़्यादातर मरीज रेडियोथैरेपी के दौरान थका हुआ महसूस करते हैं जिससे उनके विचार भी प्रभावित हो सकते हैं। इस क्रिया के दौरान मरीज चिड़चिड़ाहट, चिंता, गुस्सा, डर, अकेलापन, मदद हीनता, मानसिक अवसाद या फ्रस्ट्रेशन की भावना से गुजर सकते हैं।
रेडियोथैरेपी की वजह से कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। मोटे तौर पर इन साइड इफेक्ट्स को दो भागों में बांटा जा सकता है – एक तो वह जो शीघ्र कालीन है और दूसरे दीर्घकालीन।
रेडियोथैरेपी के शीघ्रकालीन साइड इफेक्ट ज्यादातर इलाज के दौरान या उसके तुरंत बाद होते हैं। यह सभी साइड इफेक्ट कम समय के लिए रहते हैं, प्रभाव में हल्के होते हैं तथा ठीक हो जाने वाले होते हैं। ज्यादातर रेडियोथैरेपी के कुछ हफ्तों में यह पूरी तरह चले जाते हैं। सबसे ज्यादा सामान्य रूप से थकान तथा त्वचा में बदलाव के साइड इफेक्ट देखे जाते हैं। यदि रेडियोथैरेपी मुंह या सिर के हिस्से को दी जाए तो बालों का झड़ना तथा मुंह के अंदर की समस्याएं भी देखी जाती हैं।
दीर्घकालीन साइड इफेक्ट पैदा होने में महीनों या वर्षों का समय लगता है तथा यह शरीर के ऐसे किसी भी अंग में हो सकते हैं जहां रेडियोधर्मी किरणें दी गई हैं। देर में साइड इफेक्ट पैदा होने का खतरा रेडियोथैरेपी की डोज (खुराक) तथा रेडियोथैरेपी के अंग पर निर्भर करता है। यदि इलाज की प्लानिंग अच्छी तरह की जाए तो कई तरह के गंभीर दीर्घकालीन साइड इफेक्ट से बचा जा सकता है।
कई प्रकार के कैंसर,जैसे स्तन कैंसर, आंत का कैंसर और प्रोस्टेट ग्लैंड का कैंसर, में रेडिएशन थेरेपी देने से सर्जरी के बाद कैंसर के दुबारा होने का खतरा कम हो जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो सर्जरी के सफल रहने की सम्भावना बढ़ जाती है.
रेडियोथैरेपी की वजह से होने वाले त्वचा में बदलाव
रेडियोथैरेपी द्वारा प्रभावित त्वचा लाल सूजी हुई जली हुई दिख सकती है। कुछ हफ्तों के बाद त्वचा सूखी हो सकती है तथा उसकी झिल्ली बाहर निकलती हुई दिख सकती है। इस अवस्था में इस में खुजली होना भी स्वाभाविक है। इस साइड इफेक्ट को रेडिएशन डर्मेटाइटिस भी कहते हैं।
इसका मुकाबला करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बहुत ज्यादा तंग या खुरदुरे वस्त्र ना पहने। खासतौर पर जिस जगह पर साइड इफेक्ट पैदा है वहां पर बहुत टाइट या इलास्टिक वाले कपड़ों का प्रयोग ना करें। ज्यादातर कोमल और ढीले कपड़ों का इस्तेमाल करें। स्टार्च किए हुए कपड़े पहनने से बचें।
इलाज की हुई चमड़ी पर रगड़ने खुजलाने या चिपकने वाले टेप का इस्तेमाल करने से बचें। यदि उस जगह की त्वचा को ढकना जरूरी है तो पेपर टेप या संवेदनशील त्वचा पर यूज किए जाने वाले अन्य टेप का इस्तेमाल करें।
प्रभावित त्वचा पर अधिक गर्म या ठंडी चीज ना लगाएं जैसे की हीटिंग पैड, आइस पैक अन्य। गर्म पानी से भी त्वचा में बहुत अधिक पीड़ा हो सकती है इसलिए साफ करने के लिए भी सिर्फ गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
प्रभावित त्वचा को सूरज की किरणों से बचा कर रखें। ऐसे समय पर त्वचा सूर्य की तेज किरणों के लिए अधिक संवेदनशील होती है। यदि संभव हो तो त्वचा को अल्ट्रावयलेट किरणों से रोकथाम करने वाले वस्त्र पहनकर बचाएं। यदि आप सनस्क्रीन लोशन लगाना चाहते हैं तो पहले अपने डॉक्टर की राय ले।
त्वचा को धोने के लिए सिर्फ गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें। रेडिएशन थेरेपी में शरीर के जिस हिस्से में किरणें दी जानी है वहाँ कुछ स्याही के निशान लगा दिए जाते हैं. आप इन्हें पानी से तब तक ना हटाए जब तक आप की थैरेपी खत्म नहीं हो जाती।
प्रभावित त्वचा के बालों को हटाने के लिए शेविंग करने से पूर्व अपने डॉक्टर की राय अवश्य लें।
रेडियोथेरेपी की वजह से बालों में बदलाव
रेडियोथैरेपी की वजह से बाल झड़ सकते हैं। अधिकतर बाल सिर्फ उसी जगह पर झड़ते हैं जहां पर रेडियोधर्मी किरणें दी जाती हैं। जैसे अधिक सिर पर रेडियोथैरेपी दी जाए तो सिर के बाल, यहां तक की पलकों के तथा आंखों के भौं के बाल भी, झड़ सकते हैं लेकिन यदि पेट के किसी अंग पर रेडियोथैरेपी दी जाए तो सिर के बाल नहीं झड़ेंगे।
ज्यादातर लोगों में इलाज खत्म होने के बाद बाल खुद-ब-खुद बढ़ आते हैं। कई लोगों में जो नए बाल आते हैं वह पहले से ज्यादा पतले और मुलायम होते हैं। बाल झड़ने की वजह से खोपड़ी को छूने पर दर्द रह सकता है और आप अपने सिर को ढक कर रखें तो बेहतर है। सूर्य की किरणों में जाने के वक्त सिर पर एक स्कार्फ या हेट लगाकर निकलें। यदि आपने विग लगाई है तो यह पक्का कर ले कि इसकी फिटिंग ठीक है तथा इसकी वजह से आपके सर में खुजलाहट या चिड़चिड़ापन नहीं है।
रेडियोथेरेपी के दौरान या उसके बाद थकान होना
रेडियोथैरेपी के बाद थकान होना बहुत सामान्य लक्षण है। यह थकान शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक होती है। ज्यादातर लोग रेडियोथैरेपी के कुछ हफ्ते बाद ही थकान महसूस करना शुरू कर देते हैं। इस थकान की वजह होती है कि रेडियोधर्मी किरणें कैंसर की कोशिकाओं के साथ ही कुछ स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारती हैं। जैसे-जैसे यह इलाज आगे बढ़ता जाता है थकान भी बढ़ती जाती है। आमतौर की जिंदगी में आई हुई थकान थोड़ी देर आराम करके कम हो जाती है या ठीक हो जाती है पर ऐसा रेडियोथैरेपी के बाद पैदा हुई थकान में नहीं होता। यदि आपकी थकान पोषक आहार लेने तथा विश्राम करने पर भी जरूरत से ज्यादा है तो आपको इसके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
नीचे चिन्हित सभी हालातों में आपको अपने कैंसर इलाज टीम से अपनी थकान के बारे में बात करनी चाहिए।
- यदि आपकी थकान कुछ भी करने से ठीक नहीं होती वापस आती रहती है या और बुरी हो रही है.
- यदि आप 24 घंटे से अधिक के दौरान अपने बिस्तर से उठ पाने में असमर्थ रहे हैं.
- यदि किसी कार्य को करते वक्त आप जरूरत से ज्यादा थकान महसूस कर रहे हैं.
- यदि आपने कोई कार्य किया है लेकिन आप उसकी तुलना में कहीं ज्यादा थकान महसूस कर रहे हैं.
- यदि थकान की वजह से आपकी रोज की दिनचर्या या सामाजिक लाइफ पर असर पड़ रहा है
शरीर में पानी की कमी भी नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह के हिसाब से तरल पदार्थ तथा अन्य आहार लेते रहिए एवं भावनात्मक रूप से स्वयं को कमजोर ना होने दीजिए। ध्यान रखिए यह आपके जीवन का एक पड़ाव है, मंजिल नहीं।
रेडियोथेरेपी की वजह से रक्त कणिकाओं की संख्या कम होना
रेडियोथैरेपी की वजह से शरीर में रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी आ सकती है। श्वेत रक्त कणिका और प्लेटलेट नाम की कणिका की संख्या में काफी कमी आ सकती है। श्वेत रक्त कणिका शरीर को इन्फेक्शन से बचा के रखती है तथा यदि इनकी संख्या काफी कम है तो आपको किसी भी तरह के इंफेक्शन से खुद को बचा कर रखना चाहिए। यदि इनकी संख्या अत्यधिक कम मात्रा में है तो आपके डॉक्टर आपको श्वेत रक्त कणिका बढ़ाने वाला इंजेक्शन भी दे सकते हैं। कुछ मरीजों में प्लेटलेट की संख्या भी कम हो जाती है जिससे खून जमने की प्रक्रिया पर असर पड़ता है। प्लेटलेट की संख्या दस हज़ार से भी कम होने पर आप के कैंसर के इलाज की टीम आपको प्लेटलेट चढ़ाने के बारे में फैसला ले सकती है। अधिकतर देखा जाता है कि यदि रेडियोथैरेपी का ट्रीटमेंट कुछ दिनों के लिए रोक दिया जाए तो यह सभी रक्त कणिकाएं पुनः सामान्य अवस्था की संख्या में पहुंचने लगती हैं।
रेडियोथेरेपी की वजह से खाने, पीने में तकलीफ होना
यदि रेडियोथैरेपी गले मुंह, पेट या आंतों में दी गई है तो इसकी वजह से खाने-पीने और पचाने में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। उदाहरण के लिए आप को उल्टी आ सकती है जी मचला सकता है या आपके मुंह में छाले हो सकते हैं। बहुत सारे मरीजों की भूख बहुत कम या खत्म हो जाती है तथा इलाज के दौरान खाने से मन पूरी तरह हट जाता है। चाहे कुछ भी खाने की इच्छा ना हो आपको प्रोटीन से भरपूर तथा अधिक कैलोरी वाले आहार अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेने चाहिए। हर वैज्ञानिक जांच ये बताती है कि जो लोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार अच्छा खाते पीते हैं उन पर कैंसर का इलाज बेहतर काम करता है तथा साइड इफेक्ट भी कम होते हैं.