गर्भावस्था की पहली तिमाही में इन बातों का ध्यान रखिये

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एक बच्चे को जन्म देना किसी महिला के जीवन का सबसे खुशी का वक्त होता है। लेकिन आप चाहे जितना भी इसकी तैयारी करें अपने शरीर में होने वाले सभी बदलाव के लिए हर समय पूरी तरह तैयार रहना मुश्किल है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई किस्म के बदलाव होते हैं। हर एक महिला में इन बदलावों की सीमा अलग अलग हो सकती है। कुछ महिलाएं गर्भावस्था की पहली तिमाही में बहुत स्वस्थ महसूस करती हैं, जबकि कुछ काफी तकलीफों का सामना करती हैं। आइए जानते हैं कि सामान्यतया गर्भावस्था की पहली तिमाही में शरीर में किस किस तरह के बदलाव देखे जा सकते हैं।

गुप्तांग से ब्लीडिंग होना (रक्त स्त्राव होना)

प्रथम तिमाही में लगभग 25% गर्भवती महिलाओं को थोड़ी ब्लीडिंग होती है। गर्भावस्था के शुरुआती समय में हल्की सी ब्लीडिंग यह दर्शाती है कि भ्रूण गर्भ में स्थापित हो गया है। हालांकि अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो या पेट में बहुत तेज दर्द हो तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

स्तन में दर्द होना

स्तन में दर्द होना गर्भावस्था का एक शुरुआती लक्षण है। शरीर में कई तरह के हार्मोन में बदलाव होने की वजह से ऐसा होता है। हार्मोन में बदलाव अधिकतर इसलिए हो रहे होते हैं ताकि होने वाले शिशु के लिए दुग्ध ग्रंथियों को दूध देने के लिए तैयार किया जा सके। यदि आपको इस दर्द से अरे परेशानी है तो आप एक साइज ऊपर की ब्रा पहन सकती हैं या खुद को आरामदायक रखने के लिए एक सपोर्ट ब्रा पहन सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान अगर माँ का कोई अंदरूनी अंग क्षति ग्रस्त होता है तो गर्भ में पल रहा बच्चा क्षतिग्रस्त अंग की मरम्मत के लिए स्टेम कोशिकाओं को भेजता है।

कब्ज की शिकायत रहना

गर्भावस्था के दौरान आंतों को चलाने वाली मांसपेशियां धीमी हो जाती हैं। ऐसा प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बढ़ने की वजह से होता है। साथ ही गर्भावस्था में खाए जाने वाली आयरन की गोली की वजह से भी कब्ज की शिकायत रहती है तथा पेट में गैस अधिक बनती है। इसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान आपको पेट फूलने की शिकायत रह सकती है। यदि आपको कब्ज की वजह से परेशानी हो रही है तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ले सकते हैं।

गुप्तांग के रास्ते सफेद पानी का निकलना

गर्भावस्था की पहली तिमाही के शुरुआती दिनों में गुप्तांग के रास्ते सफेद रंग का पतला डिस्चार्ज निकलना सामान्य बात है। अगर यह डिस्चार्ज पीले या हरे रंग का है या मात्रा में बहुत ज्यादा है या इसमें से अधिक दुर्गंध आती है तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

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थकावट रहना

आपके शरीर में पल रहे भ्रूण को सपोर्ट करने के लिए आपके शरीर की कोशिकाएं जरूरत से अधिक काम कर रही होती है जिसकी वजह से आप जल्दी थकान महसूस करते हैं। बीच-बीच में आपको आराम करना चाहिए तथा जब मौका मिले तब थोड़ी देर के लिए सो जाना चाहिए। शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी विटामिन तथा आयरन की गोली भी नियम से खानी चाहिए। देखा गया है कि ऐसी अवस्था में आयरन की कमी हो जाती है जिसकी वजह से थकावट में इजाफा होता है।

किसी खास किस्म के खाने की तीव्र इच्छा होना या बिल्कुल मन भर जाना

गर्भावस्था के दौरान 60% से अधिक महिलाओं को कुछ खास किस्म के खाने की तेज इच्छा होती है और लगभग आधे से अधिक महिलाओं को किसी न किसी तरह की खाने की वस्तु से नफरत हो जाती है। यदि आप सामान्य रूप से पौष्टिक आहार ले रहे हैं तो कभी कभी तीव्र इच्छा वाले भोजन को लिया जा सकता है। किसी किसी महिला को भोजन के अतिरिक्त किसी अन्य वस्तु जैसे मिट्टी या स्टार्च को खाने का मन होता है जो की स्वयं की तथा पल रहे बच्चे की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि आपको भी किसी ऐसी वस्तु खाने की इच्छा हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेना चाहिए।

बार बार पेशाब होना

गर्भावस्था की पहली तिमाही में चाहे बच्चे का आकार छोटा ही होता है पर बच्चेदानी के बढ़ने की वजह से पेशाब की थैली पर दबाव पड़ता है।इसकी वजह से आपको लगातार पेशाब करने की इच्छा हो सकती है तथा बार-बार गुसलखाने जाना पड़ सकता है।आपको ऐसे में पानी पीना कम करना या बंद करना नहीं चाहिए क्योंकि आपके शरीर को पानी की जरूरत हमेशा रहती है। हां आप यह कर सकते हैं कि चाय या कॉफी का इस्तेमाल कम करते हैं क्योंकि इनका सेवन करने से भी पेशाब अधिक आता है। खासतौर से रात को सोने के पहले चाय या कॉफी ना लें।

छाती में जलन होना

गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर प्रोजेस्टेरोन नाम के हार्मोन की मात्रा बढ़ाता है यह हार्मोन आपके शरीर के अंदर के अंगों की मांसपेशियों को रिलेक्स करता है। खाने की नली के नीचे के वाल्व को भी रिलेक्स करता है जिसकी वजह से पेट के अंदर बना हुआ एसिड खाने की नली में आ सकता है। इस अवस्था को एसिड रिफ्लक्स कहते हैं । इसकी वजह से छाती में जलन हो सकती है तथा खट्टे डकार भी आ सकते हैं। छाती में जलन को रोकने या बिल्कुल कम करने के लिए आपको थोड़ी थोड़ी अवधि में थोड़ा थोड़ा भोजन करना चाहिए। खाना खाने के बाद तुरंत नहीं लेट जाना चाहिए और बहुत मसाले वाले या एसिडिटी करने वाले, तले भुने खाने से परहेज करना चाहिए। साथ ही सोते हुए आपको अपने सर के नीचे तकिए का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

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बार बार मूड बदलना

ज्यादा थकावट और हार्मोन में बदलाव की वजह से आपके मूड में बार बार परिवर्तन हो सकते हैं। कभी-कभी अचानक ही आप दुखी हो सकते हैं और कुछ ही समय बाद आप बहुत खुश महसूस कर सकते हैं। ऐसी हालत में थोड़ा बहुत रो लेना भी ठीक है। लेकिन यदि आपका मानसिक अवसाद जरूरत से ज्यादा बढ़ गया है और आसपास के लोगों से प्रभावित हो रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

मॉर्निंग सिकनेस रहना

लगभग 85% गर्भवती महिलाओं को जी मिचलाने की शिकायत रहती है यह शरीर में हारमोंस के बदलाव की वजह से होता है। और ये समस्या लगभग शुरू के 3 महीने रह सकती है या कभी कभी उससे भी ज्यादा। किसी महिला को यह शिकायत कम होती है तथा वह बिना दवाओं के गुजर बसर कर सकती हैं। पर कुछ महिलाएं ऐसी होती है जिनमें जी मिचलाना उल्टी आना बहुत अधिक होता है और उनके दिन की शुरुआत बिना उल्टी के नहीं होती। ज्यादातर देखा गया है कि जी मिचलाना सबसे अधिक प्रभावी सुबह के वक्त होता है। इस परेशानी से निपटने के लिए आपको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अधिक प्रोटीन के स्नैक्स लेना चाहिए तथा फलों के रस लेने चाहिए। और ऐसे आहार को लेने से बचना चाहिए जो पचाने में भारी हैं। उलटी आने की समस्या चिंताजनक नहीं है लेकिन यदि जरूरत से अधिक है तो यह आपके गर्भ में पल रहे शिशु को मिलने वाले पोषक आहार ओं से वंचित कर सकती है। ऐसी अवस्था में आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

जरूरत से अधिक शरीर के वजन का बढ़ना

गर्भावस्था किसी महिला के जीवन में वह समय होता है जब वजन का बढ़ना एक अच्छी बात समझा जाता है। लेकिन ध्यान रखें वजन का बहुत अधिक बढ़ना ठीक नहीं है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में आपका वजन लगभग दो-तीन किलो बढ़ना चाहिए। यदि आपके गर्भ में जुड़वा बच्चे पल रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप दो लोगों के लिए खाना खाना शुरू कर दें। पहले तिमाही के दौरान आपको अपने पूरे दिन में लगभग डेढ़ सौ कैलोरी का आहार अधिक लेना चाहिए। आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि अधिक कैलोरी आप स्वस्थ तरीके से लें – जैसे अपने भोजन में फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाकर तथा प्रोटीन और दूध की मात्रा बढ़ाकर।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में होने वाले खतरनाक लक्षण

यदि नीचे लिखे लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपके अंदर उत्पन्न होता है तो इसका मतलब या तो आपके या आपके गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत को खतरा हो सकता। है ऐसे समय में आपको और इंतजार नहीं करना चाहिए तथा यथा शीघ्र अपने डॉक्टर या मेडिकल टीम से सलाह लेनी चाहिए:-

1. पेट में भीषण दर्द होना
2.अचानक बहुत अधिक ब्लीडिंग होना
3. अचानक बहुत अधिक कमजोरी होना या चक्कर आना या बेहोशी छा ना
4. बहुत जल्दी बहुत अधिक वजन का बढ़ना या वजन के बढ़ने की गति बहुत धीमी हो ना

गर्भावस्था की पहली तिमाही किसी भी महिला के लिए एक बहुत अलग अनुभव ले कर आती है. सबसे ज्यादा ज़रूरी है डॉक्टर की सलाह मानना और खाने पीने का ध्यान रखना। आप को खुश रहना चाहिए, आस पास का माहौल अच्छा होना चाहिए और साफ़ सफाई भी होनी चाहिए. अपनी पसंद का संगीत सुनिए और किताबें पढ़िए. किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बच कर रहने की कोशिश करिए.

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