कहीं आपका सिरदर्द माइग्रेन की वजह से तो नहीं? अभी जानिये.

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यदि आप कभी माइग्रेन से पीड़ित नहीं हुए हैं तो आप सोचेंगे कि माइग्रेन का अर्थ होता है सिर में बहुत तेज दर्द होना. जबकि यह पूरा सच नहीं है. माइग्रेन में भयानक सिर दर्द के साथ कुछ और भी परेशान करने वाले लक्षण उत्पन्न होते हैं,  जैसे थकावट, जी मिचलाना, उल्टी आना, चक्कर आना, दृष्टि में बदलाव आना आदि. किसी किसी व्यक्ति को रोशनी और आवाज से बहुत परेशानी (चिडचिडापन) होने लगती है तथा किसी किसी को कुछ समय के लिए दिखाई देना भी बंद हो जाता है. आइए जानते हैं नाम की बीमारी से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य.

माइग्रेन पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होता है. ऐसा देखा गया है कि माइग्रेन से पीड़ित सभी व्यक्तियों में लगभग 75% आबादी महिलाओं की है. इसके पीछे महिलाओं के शरीर में होने वाले हारमोंस का अभिन्न रोल है. रिसर्च के अनुसार माना गया है कि इस्ट्रोजेन नाम के हार्मोन का लेवल माइग्रेन को बढ़ाने और कम करने से जुड़ा होता है. माइग्रेन होता तो पुरुषों में भी है पर महिला होने के नुकसान यह हैं कि माइग्रेन की आशंका ज्यादा है,  यदि हो गया तो माइग्रेन के लक्षण भी अधिक मात्रा में होते हैं और जल्दी जल्दी होते हैं. साथ ही महिलाओं में माइग्रेन का इलाज अधिक लंबा तथा विस्तृत करना होता है.

माइग्रेन दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी है. विश्व में लगभग हर 7 में से एक व्यक्ति को माइग्रेन की बीमारी है.  सिर्फ अमेरिका की आबादी के बारे में बात करें तो लगभग 4 करोड़ लोग माइग्रेन से पीड़ित है.

माइग्रेन कई तरह से उत्पन्न हो सकता है. अलग अलग मरीजों में अलग-अलग तरह से माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है. कुछ लोगों में अधिक तनाव से, कम सोने से,  शराब पीने से, कॉफी पीने से, चॉकलेट खाने से, या शरीर में पानी की मात्रा कम होने से माइग्रेन का दौरा पड़ता है. वहीं कुछ लोगों में मौसम बदलने से, कोई खास चीज खाने से, अधिक भूख लगने से, भूखे पेट रहने से, अचानक कानों में शोर आने से माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है.

severe headache due to migraine is a very common health problem

माइग्रेन होने का पूर्वाभास एक महत्वपूर्ण लक्षण है. कई लोगों में माइग्रेन  का दौरा पड़ने से पहले मरीजों को पूर्वाभास हो जाता है. लगभग एक चौथाई मरीजों को पूर्वाभास होता है –   हाथ या चेहरे पर झुनझुनी होना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, चमकीले बिंदुओं का दिखना इत्यादि के रूप में. ज्यादातर इस तरह के पूर्वाभास का दौरा पड़ने के 15 से 30 मिनट पहले उत्पन्न होते हैं और 5 मिनट से 1 घंटे तक चलते हैं.

माइग्रेन का दौरा बच्चों को भी पड़ सकता है. स्कूल जाने वाले लगभग 10% बच्चों को माइग्रेन की बीमारी है. ऐसा देखा गया है कि 18 महीने के बच्चे भी माइग्रेन से पीड़ित हो सकते हैं.  बच्चों में भी माइग्रेन होने पर सिर में दर्द, रोशनी और प्रकाश चिड़चिड़ापन, जी मिचलाना और दृष्टि में बदलाव जैसे लक्षण देखे जाते हैं. बच्चों का माइग्रेन बड़ों के बजाय जल्दी उत्पन्न होता है और अवधि में छोटा होता है.

माइग्रेन एक अनुवांशिक ( जेनेटिक)  बीमारी हो सकती है. ज्यादातर लोगों में माइग्रेन की बीमारी परिवारों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है. लगभग 90% माइग्रेन से पीड़ित लोग बताते हैं कि उनके परिवार में किसी एक अन्य सदस्य को भी यह बीमारी है.  यदि माता-पिता में से एक है तो 50% चांस है कि बच्चे को भी माइग्रेन की बीमारी होगी. यदि माता-पिता दोनों को तो बच्चे में माइग्रेन होने 75% संभावना हो जाती है.

हाथ पैर में लकवा मारना भी माइग्रेन का एक लक्षण हो सकता है, हालांकि यह बहुत कम देखा जाता है. इस तरह के मरीजों को शरीर के आधे हिस्से में जिस में हाथ पैर या चेहरा शामिल है, कमजोरी, झुनझुनाहट या सुन होने की शिकायत हो सकती है. इस तरह की परेशानी सामान्यतया 24 घंटे में ठीक हो जाती है. पर ऐसा देखा गया है कि हाथ पैरों में कमजोरी के लक्षण 1 घंटे से कई दिनों तक भी चल सकते हैं.

ऐसा देखा गया है कि माइग्रेन के दौरे के दौरान 90% लोग अपने काम पर नहीं जा पाते. यह लोग घर पर रहकर भी परेशान रहते हैं और माइग्रेन के दौरे के खत्म होने का इंतजार करते हैं.

माइग्रेन 18 से 44 वर्ष की उम्र के बीच में सबसे अधिक देखने को मिलता है.

माइग्रेन के ज्यादातर मरीजों को महीने में एक या दो बार दौरे पड़ते हैं. लेकिन लगभग 5 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें लगभग रोज ही माइग्रेन का दौरा पड़ता है.

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माइग्रेन में होने वाली रिसर्च में अधिक निवेश की आवश्यकता है. 2017 की रिपोर्ट देखे हैं तो अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्प ने माइग्रेन के रिसर्च में 2.2 करोड़ रूपए लगाए, वहीँ दमे की बीमारी की रिसर्च में इसके १२ गुने ज्यादा, स्तन कैंसर की रिसर्च में इससे लगभग ३० गुना ज्यादा और डायबिटीज में लगभग ५० गुना ज्यादा डॉलर का निवेश किया.

माइग्रेन से पीड़ित लोगों में डिप्रेशन की बीमारी भी देखी जाती है. अमेरिका में माइग्रेन के लगभग 40% मरीजों में मानसिक अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति है.  माइग्रेन के मरीजों में अन्य मानसिक बीमारियों की आशंका भी बढ़ जाती है जैसे, बाइपोलर डिसऑर्डर और पैनिक डिसऑर्डर. दिमाग से निकलने वाले केमिकल ‘सेरोटोनिन’ को माइग्रेन और डिप्रेशन दोनों में अपना किरदार निभाते देखा गया है. यही कारण है कि बहुत बार माइग्रेन के लक्षण काम करने के लिए डिप्रेशन हटाने की दवाई, जिनसे सेरोटोनिन बढ़ता है, दी जाती हैं.

आंकड़ों की माने तो हर 4 में से एक महिला को अपने जीवन में माइग्रेन का दौरा पड़ेगा.

माइग्रेन से पीड़ित आधी महिलाओं को महीने में 1 से अधिक दौरे पड़ते हैं. तथा 25% महिलाओं को महीने में 2 से अधिक दौरे पड़ते हैं.

माइग्रेन की बीमारी में दवाओं का अधिक इस्तेमाल करने की वजह से यह बीमारी गहरी और पुरानी होती जाती है.

यदि किसी परिवार में माइग्रेन से पीड़ित एक भी व्यक्ति है तो अन्य परिवार की तुलना में इनका औसत स्वास्थ्य पर खर्चा 70% तक अधिक होता है.

माइग्रेन से पीड़ित बच्चों के बारे में देखा गया है कि वह सामान्य बच्चों के बजाय स्कूल से दोगुना अनुपस्थित रहते हैं.

आधे से अधिक माइग्रेन के मरीज दुनिया में कभी  डायग्नोज नहीं हो पाते. ज्यादातर मरीज माइग्रेन के लिए डॉक्टर की सलाह नहीं लेते तथा इसे सामान्य सिर दर्द समझकर जिंदगी बताते रहते हैं.

माइग्रेन के दौरे से बचने के लिए भी दवाएं उपलब्ध है. देखा गया है कि इन दवाओं को लेने वाले व्यक्तियों में से 25% को माइग्रेन से बचाव रहता है, बाकी को नहीं.

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