जानिए ‘चमत्कारी वृक्ष’ मोरिंगा (सहजन) के पत्तों से होने वाले स्वास्थ्य लाभ

0
836
moringa leaves

मोरिंगा के पेड़ को ‘चमत्कार वृक्ष’ अथवा ‘सहजन वृक्ष‘ के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ के पत्ते, फल, रस, तेल, जड़, छाल, बीज, फली और फूलों सभी में औषधीय गुण होते हैं। पेड़ से प्राप्त होने वाले उत्पाद कई प्रकार से उपयोग में आते हैं । यह ज्यादातर एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है। मोरिंगा के पत्ते पोषण मूल्य के मामले में गाजर, संतरे और यहां तक कि दूध को भी पीछे छोड़ देते हैं। मोरिंगा के पत्ते भारतीय व्यंजनों में कई प्रकार से उपयोग में लाए जाते हैं क्योंकि इन पत्तों का उपयोग विभिन्न प्रकार से व्यंजनों की उपयोगिता बढ़ाने के लिए किया जाता है। जब मोरिंगा के पत्ते का प्राकृतिक रूप में सेवन किया जाता है, तो मोरिंगा के पत्तों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते के स्वास्थ्य लाभों के बारे में और जानने के लिए पढ़ें।

Table Of Contents
  1. मोरिंगा के पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेटिव गुण पाया जाता हैं
  2. विटामिन और मिनरल्स की मात्रा से भरपूर होते हैं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते
  3. आंतरिक सूजन से लड़ने में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते सहायक होते हैं
  4. कोलेस्ट्रॉल कम करने में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते प्रभावी होते हैं
  5. रक्त शर्करा के स्तर को निम्न रखने में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते सहायक होते हैं
  6. मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में अमीनो एसिड की उच्च मात्रा मौजूद होती है
  7. मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते आर्सेनिक विषाक्तता से बचातें है
  8. हड्डी के स्वास्थ्य में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते सुधार करतें है
  9. त्वचा और बालों के लिए बहुत अच्छे माने गए हैं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते
  10. मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते डिटॉक्सिफिकेशन के रूप में कार्य करते हैं
  11. तंत्रिका तंत्र के लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते लाभप्रद होते हैं
  12. जिगर स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते
  13. वजन प्रबंधन के लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों का उपयोग करें
  14. स्तनपान में सुधार करने के लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते उपयोग करें
  15. मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते एंटीसेप्टिक के रूप में भी कार्य करते हैं
  16. पेट संबंधित समस्याओं के लिए सहजन के पत्तों का सेवन लाभकारी होता है

मोरिंगा के पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेटिव गुण पाया जाता हैं

मोरिंगा के पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेटिव गुण पाया जाता हैं और यह वातावरण में मौजूद मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों से बचातीं हैं। मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों से होने वाली क्षति कई गंभीर बीमारियों जैसे टाइप-2 मधुमेह, हृदय की समस्याओं और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। मोरिंगा की पत्तियां विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन से भरपूर होती हैं, जो मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों के विरुद्ध काम करती हैं। इनमें क्वेरसेटिन नामक तत्व भी होता है जो एक प्रकार का एंटी-ऑक्सिडेंट है, जो रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में मौजूद एक अन्य एंटी-ऑक्सीडेंट क्लोरोजेनिक एसिड है, जो भोजन के बाद रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने में मदद करता है। महिलाओं के ऊपर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि तीन महीने तक नियमित रूप से 1.5 चम्मच मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों का पाउडर का सेवन करने से रक्त में एंटी-ऑक्सीडेंट के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

विटामिन और मिनरल्स की मात्रा से भरपूर होते हैं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते

मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में विटामिन-ए, सी, बी1 (थियामिन), बी2 (राइबोफ्लेविन), बी3 (नियासिन), बी6 और फोलेट भरपूर मात्रा में होते हैं। इनमें मैग्नीशियम, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस और जस्ता की भी समृद्ध मात्रा पाई जाती है। एक कप मोरिंगा के पत्तों में 2 ग्राम प्रोटीन

  • मैग्नीशियम (आर.डी.ए. का 8 %)
  • विटामिन बी6 (आर.डी.ए. का 19 %)
  • आयरन (आर. डी. ए. का 11 %)
  • राइबोफ्लेविन (आर. डी. ए. 11 %)
  • विटामिन ए (आर. डी. ए. का 9 %)

आंतरिक सूजन से लड़ने में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते सहायक होते हैं

आंतरिक सूजन अथवा जलन सामान्यता उस एहसास को कहते हैं जो शारीरिक दर्द और चोट के कारण स्वाभाविक रूप से किसी भी व्यक्ति द्वारा महसूस की जाती है। आइसोथियोसाइनेट्स की उपस्थिति के कारण मोरिंगा के पत्तों में प्राकृतिक रूप से सूजन-रोधी गुण पाए जाते हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में नियाज़िमिसिन नामक तत्व होता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास में रूकावट पैदा करने के लिए जाना जाता है। सूजन कई प्रकार की बीमारियों जैसे कैंसर, गठिया, संधिशोथ और कई ऑटोइम्यून बीमारियों का मूल कारण मानी गई है। जब हमें कोई चोट या संक्रमण होता है, तो शरीर में आंतरिक सूजन अथवा जलन बढ़ जाती है। मूल रूप से, यह उस चोट अथवा संक्रमण के विरुद्ध शरीर के द्वारा तैयार किया गया एक सुरक्षात्मक तंत्र होता है। लेकिन गलत जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर आहार के कारण भी शरीर में सूजन बढ़ सकती है। लंबे समय तक सूजन स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की ओर ले जाती है। मोरिंगा के पत्ते खाने से आंतरिक जलन अथवा सूजन कम करने में मदद मिलती है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते प्रभावी होते हैं

ओट्स, अलसी और बादाम के अलावा, मोरिंगा के पत्ते उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी प्रभावी माने गए हैं। कोलेस्ट्रॉल को किसी भी व्यक्ति के भीतर हृदय रोग को बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार माना गया है। मोरिंगा के पत्ते खाने से उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर में काफी हद तक सुधार नोटिस किया गया है। मोरिंगा ओलीफेरा कोलेस्ट्रोल के उच्च स्तर को कम करने और हृदय के जोखिम को घटाने में काफी कारगर माना गया है।

रक्त शर्करा के स्तर को निम्न रखने में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते सहायक होते हैं

निरंतर उच्च रक्त शर्करा के स्तर से व्यक्तियों में मधुमेह के विकास का खतरा अधिक बढ़ जाता है। मधुमेह अधिक समय तक रहने से हृदय से जुड़ी समस्याओं और शरीर के अंग क्षति का कारण भी बन सकता है। इससे बचने के लिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखना अच्छा होता है। मोरिंगा के पत्ते मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए एक आदर्श संसाधन माने गए हैं क्योंकि इनमें मौजूद आइसोथियोसाइनेट्स नामक तत्व की उपस्थिति के कारण यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में सक्षम होते हैं।

मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में अमीनो एसिड की उच्च मात्रा मौजूद होती है

मोरिंगा की पत्तियां अमीनो एसिड की मात्रा से भरपूर होती हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में 18 प्रकार के अमीनो एसिड पाए जाते हैं और उनमें से प्रत्येक हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान देता है।

मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते आर्सेनिक विषाक्तता से बचातें है

दुनिया के कई हिस्सों में, आर्सेनिक संदूषण एक आम समस्या है। कई खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से चावल के माध्यम से आर्सेनिक हमारे शरीर में प्रवेश कर लेता है इस तत्व के लंबे समय तक हमारे शरीर में बने रहने से कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का विकास होने लगता है। पशुओं के ऊपर किए गए अध्ययन से ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि मोरिंगा अथवा सहजन का सेवन करने से आर्सेनिक विषाक्तता के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

हड्डी के स्वास्थ्य में मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते सुधार करतें है

मोरिंगा के पत्ते कैल्शियम और फास्फोरस के समृद्ध स्रोत होते हैं। हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए इन दोनों तत्वों की आवश्यकता होती है। चूंकि मोरिंगा के पत्तों में एंटी-इन्फ्लेमेटरी का गुण पाया जाता है इसी कारण यह गठिया जैसे गंभीर रोग से लड़ने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते क्षतिग्रस्त हड्डियों को भी ठीक करने का गुण रखते हैं। मोरिंगा ओलीफेरा ऑस्टियोपोरोसिस से भी लड़ता है और हड्डियों तथा दांतों को मजबूत रखता है।

त्वचा और बालों के लिए बहुत अच्छे माने गए हैं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते

एंटी-ऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों की प्रचुरता के कारण, मोरिंगा के पत्तों को त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए जिम्मेदार माना गया हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों का सेवन त्वचा में कसावट और बालों में प्राकृतिक चमक लाता हैं। मोरिंगा के पत्तों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट त्वचा पर उम्र के साथ आने वाली फाइन लाइन और झुर्रियों की उपस्थिति को कम करते हैं। इनमें लगभग 30 एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं, मोरिंगा के पत्तों का पेस्ट जब स्कैल्प और बालों पर लगाया जाता है तो यह रूसी को कम करने के साथ सुस्त, बेजान बालों में जान लाने के लिए भी जाने जाते हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते बालों के रोम को भी मजबूत करती हैं। यदि त्वचा से जुड़े स्वास्थ्य की बात की जाए तो मोरिंगा के पत्ते मुँहासे प्रवण त्वचा के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। यही कारण है कि मोरिंगा के पत्ते कई प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे ना केवल त्वचा की रंगत में सुधार करते हैं बल्कि अपनी शुद्ध प्रकृति और चिकित्सीय गुणों के कारण त्वचा में अंदरूनी चमक भी लाते हैं।

मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते डिटॉक्सिफिकेशन के रूप में कार्य करते हैं

मोरिंगा की पत्तियां प्राकृतिक क्लींजर के रूप में कार्य करतीं हैं, साथ ही यह शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्सीफाई करने में मदद करती हैं। यह शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को और मजबूत बनाते हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते शरीर में ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

तंत्रिका तंत्र के लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते लाभप्रद होते हैं

कई प्रकार के तंत्रिका तंत्र से जुड़े विकारों को मोरिंगा के पत्तों का उपयोग करके सकारात्मक परिणाम दिखाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। वे मस्तिष्क के स्वास्थ्य और लाभ पहुंचाते हैं और न्यूरो-एन्हांसर के रूप में काम करते हैं। विटामिन ई और सी की उच्च सांद्रता तंत्रिका अध:पतन को कम करने में सहायक होती है तथा यह आपके मस्तिष्क के कार्य को और बेहतर बनाने में मदद करती है। जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या हो या जो लोग बार-बार होने वाले सिरदर्द से पीड़ित हैं, उन्हें नियमित रूप से मोरिंगा के पत्ते खाने चाहिए। ये पत्ते मूड बैलेंसर्स के रूप में भी काम करते हैं क्योंकि इनमें सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरएड्रेनालाईन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को स्थिर करने का गुण पाया जाता है, जो स्मृति, मनोदशा और उत्तेजना-प्रतिक्रिया के लिए महत्वपूर्ण माने गए हैं।

जिगर स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते

जो लोग तपेदिक आम भाषा में टी.बी. जैसे गंभीर नामक रोग से पीड़ित होते हैं उनके लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों का सेवन अत्यंत लाभप्रद हो सकता है क्योंकि मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में ऐसे गंभीर रोगों को कम करने का गुण पाया जाता है। इसके साथ ही मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते तपेदिक के दौरान खाए जाने वाली दवाओं के नकारात्मक प्रभावों को भी कम करने में प्रभावी होते हैं। मोरिंगा की पत्तियां यकृत कोशिकाओं की मरम्मत अत्यंत तेजी से करते हैं। मोरिंगा की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स की उच्च सांद्रता होती है, जो लीवर को होने वाली ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाती है और इसे कम भी कर सकती है। ये लीवर में प्रोटीन के स्तर को भी बढ़ाते हैं। यकृत रक्त के विषहरण, वसा चयापचय और पोषक तत्वों के अवशोषण का स्थान होता है और यह तभी सुचारू रूप से कार्य करता है, जब यकृत में मौजूद एंजाइम सामान्य अवस्था में हों। सहजन की पत्तियां इन लिवर एंजाइम को स्थिर करतीं हैं।

वजन प्रबंधन के लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों का उपयोग करें

मोरिंगा की पत्तियां शरीर में उपस्थित फैट बर्निंग को बढ़ा देती हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते शरीर से ऊर्जा के स्तर को कम किए बिना ही व्यक्ति को पतला करने में मदद करतें हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों के सेवन से व्यक्ति प्रसन्नचित्त और पोषित रहता है। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते व्यक्ति के भीतर भोजन के प्रति लालसा को कम करते हैं और चयापचय को बढ़ावा देते हैं। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल भी कम करने में सहायक होतें हैं।

स्तनपान में सुधार करने के लिए मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते उपयोग करें

पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्तनपान को बढ़ाने के लिए मोरिंगा के पत्तों का उपयोग किया जाता था। चूंकि मोरिंगा के पत्तों में प्रोटीन की उच्च मात्रा के साथ महत्वपूर्ण विटामिन और आवश्यक पोषक तत्वों की भी समृद्ध मात्रा पाई जाती हैं, इसलिए मोरिंगा के पत्तों का सेवन मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना गया है।

मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते एंटीसेप्टिक के रूप में भी कार्य करते हैं

मोरिंगा के पत्तों में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते कई प्रकार के विभिन्न संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से भी लड़ते हैं मोरिंगा के पत्तों का इस्तेमाल घाव भरने के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा मोरिंगा के पत्तों का उपयोग करके थक्के के समय को कम करने के साथ-साथ चोट के निशान, मामूली घाव और जलन को जल्दी ठीक करने में मदद मिलती है।

पेट संबंधित समस्याओं के लिए सहजन के पत्तों का सेवन लाभकारी होता है

मोरिंगा अथवा सहजन के पत्ते पाचन विकारों के लिए फायदेमंद होते हैं। जो लोग कब्ज, सूजन, गैस, गैस्ट्राइटिस और अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित होते हैं, उन्हें मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। मोरिंगा अथवा सहजन के पत्तों में एंटीबायोटिक और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो पाचन संबंधित समस्याओं का निदान करने में लाभकारी होते हैं। मोरिंगा अथवा सहजन की पत्तियों में विटामिन बी की उच्च मात्रा पाई जाती है जो पाचन क्रिया में सुधार करने के लिए जिम्मेदार मानी गई है।

Leave a Reply