जानिये गर्भावस्था की हर तिमाही की ज़रूरी ‘चेकलिस्ट’

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Pregnancy trimester checklist

गर्भावस्था महिलाओं के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चरण है. गर्भावस्था के दौरान सही खानपान और रहनसहन न केवल मां के लिए फायदेमंद होता है बल्कि इससे बच्चे के विकास पर भी अच्छा असर पड़ता है. गर्भवती महिला को दिन में कम से कम दो घण्टे के लिए आराम करना चाहिए। और रात में कम से कम आठ घण्टे की नींद लेनी चाहिए। साथ ही, घर में खुश और स्वस्थ वातावरण का होना भी बहुत ज़रूरी है। यह चेकलिस्ट आपको बताएगी कि आपको गर्भावस्था की हर तिमाही में क्या क्या करना है.

गर्भावस्था की पहली तिमाही

यह पक्का कर लीजिये कि आप गर्भवती हैं: घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट एक-दो बार उस दौरान कर लें जिस दौरान आपको सामान्यतया माहवारी आती है.

अपने हेल्थ इन्शुरन्स के बारे में पता कर लीजिये: इस दौरान आपको यह जान लेना ज़रूरी है कि आपके हेल्थ इन्शुरन्स में आपकी प्रेगनेंसी से सम्बंधित क्या कुछ कवर है और क्या नहीं. यदि आपका हेल्थ इन्शुरन्स नहीं है तो यह पक्का कर लीजिये कि कहाँ से प्रेगनेंसी का इलाज लेना है.

डॉक्टर (स्त्री विशेषज्ञ) से मिलने केलिए अपॉइंटमेंट लीजिये: गर्भावस्था के दौरान आपको अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना पड़ेगा. गर्भावस्था की पहली तिमाही में ज्यादा बार नहीं मिलना पड़ता. जैसे जैसे प्रेगनेंसी बढती जाती है, गर्भ में पल रहे बच्चे की जांचों के लिए आपको अपनी डॉक्टर से मिलते रहना पड़ता है.

यदि आप धूम्रपान करती हैं, तो छोड़ दीजिये: धूम्रपान करने से आपको प्रेगनेंसी के दौरान समस्याएं उत्पन्न  हो सकती हैं. आपके गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुक्सान पहुँच सकता है. समय के पहले बच्चे का जन्म हो सकता है, गर्भ गिर सकता है और बच्चे को कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं.

कौन कौन सी गतिविधियाँ गर्भावस्था में नुकसानदायक हैं इसकी लिस्ट बनाइये: सामान्य जीवन में की जाने वाली कई गतिविधियाँ प्रेगनेंसी में नहीं की जाती. इन की लिस्ट बनाइये ताकि आप अनजाने में भी इन्हें ना करें.

अच्छा खाने पीने को अपनी प्राथमिकता बनाएं: प्रेगनेंसी में मिचली होने की वजह से खाना पीना मुश्किल हो सकता है. वो तरीके ढूंढिए जिनसे आप का खाना पीना अधिक प्रभावित न हो.

प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी ज़रूर पीयें: इसके अलावा हर घंटे शारीरिक रूप से हल्का काम करने पर 1 गिलास पानी और पीजिये.

जल्दी सोना शुरू कीजिये: प्रेगनेंसी के दौरान थकावट रह सकती है. आपको अधिक आराम करना चाहिए और अपनी दिनचर्या प्राकृतिक ही रखनी चाहिए, जिसका मतलब है रात को जल्दी ही सो जाना.

गर्भावस्था में स्पेशल टेस्ट के बारे में विचार करें: कुछ टेस्ट ऐसे होते हैं जो आपको गर्भ में पल रहे बच्चे के भविष्य के स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं. जैसे क्रोमोसोम टेस्ट और आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) टेस्ट. यदि आपके परिवार में आनुवंशिकी बीमारियाँ होती हैं तो आप इन टेस्ट के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं.

ये प्लान बनाएं कि आप अपने गर्भवती होने की बात दुनिया को कब बतायेंगे: कुछ महिलाएं यह खबर मिलते ही दुनिया में सबको बताती हैं. कुछ गर्भावस्था की दूसरी तिमाही का इंतज़ार करती हैं जब गर्भ गिरने का खतरा कम हो जाता है.

गर्भावस्था के विटामिन लेना शुरू कीजिये: आपके लिए पोषक तत्वों का लेना अति-आवश्यक है. ख़ास तौर से फोलिक एसिड (फोलेट) और आयरन. फोलेट के सेवन से शिशु में ‘न्यूरल-ट्यूब’ के डिफेक्ट की संभावना क्षीण हो जाती है.

सहायताकर्ता का चुनाव करिए: प्रेगनेंसी के दौरान आपको अपनी मदद करने के लिए कोई न कोई चाहिए ही होगा. ऐसे मदद्कर्ता का चुनाव भी आपको जल्दी ही कर लेना चाहिए. आप अपने रिश्तेदारों, मित्रों या जानने वालों से अपने मदद्कर्ता बनने का अनुरोध कर सकते हैं.

यह पक्का करें की जो दवाएं आप ले रही हैं वो गर्भावस्था के लिए सुरक्षित हैं: कई दवाएं ऐसी होती हैं जो गर्भावस्था में नहीं ली जानी चाहिए. अपने डॉक्टर से सलाह लीजिये और सिर्फ वही दावा लें जो आपकी गर्भावस्था के लिए हानिकारक नहीं हैं.

शराब का सेवन बंद करिए: अगर आप शराब पीती हैं, तो आपको अब ये बंद कर देना चाहिए. दिन भर में सिर्फ एक ड्रिंक भी आपके शिशु को हानि पहुंचा सकती है.

कॉफ़ी का सेवन भी कम करें: बहुत अधिक मात्रा में कैफीन गर्भावस्था में नुकसानदायक है. इससे अत्यधिक सेवन से गर्भपात की सम्भावना भी रह सकती है.

नुकसानदायक आहार की लिस्ट बनाएं और इससे दूर रहे: गर्भावस्था में पोषण पूर्ण आहार ज़रूरी है. जंक-फ़ूड खाने से नुकसान ही होता है. यदि आपको किसी खाने की चीज़ से एलर्जी है तो उससे बिलकुल दूर रहे.

अपने किचन में पोषण से भरपूर आहार रखें: अपने फ्रिज और किचन की अलमारियों में गर्भावस्था के लिए अच्छे आहार का संचय कीजिये. ताकि जब भी भूख लगे तो कुछ अच्छा खाने के लिए मौजूद हो.

मोर्निंग सिकनेस (Morning Sickness) से बचाव करें: गर्भावस्था की पहली तिमाही में लगभग तीन चौथाई महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस रहती है. इससे बचने के और इलाज के उपाय डॉक्टर से पूछें. खाने पीने में अपनी रूचि का ख्याल रखें. ऐसा आहार न खाएं जिससे आपकी परेशानी बढ़ जाये.

उन सभी लक्षणों के बारे में जानें जो गर्भावस्था के लिए ठीक नहीं हैं: आपको ये जानना ज़रूरी है कि प्रेगनेंसी में किन लक्षणों को अनदेखा करना हानिकारक साबित हो सकता है. इन लक्षणों की लिस्ट बनाएं.

गर्भ में पल रहे अपने शिशु से आत्मीय सम्बन्ध बनाएं: अपने बच्चे के विकास पर नज़र रखें और आत्मीयता महसूस करें.

बढ़ते हुए पेट की फोटो लेना शुरू करें: गर्भावस्था की यादें पूरे जीवन आपको लुभायेंगी. फोटो खिंचवाइये और संजो के एल्बम में रखिये.

अपने लिए नए अंदरूनी वस्त्र लीजिये: मैटरनिटी में पहनी जाने वाली ब्रा और पेंटी काफी आरामदेह होती हैं. आपको इन्हें खरीद लेना चाहिए.

अपने शिशु को अल्ट्रासाउंड के दौरान देखने के लिए तैयार हो जायें: अल्ट्रासाउंड के समय आप अपने पेट में पल रहे शिशु की छायाकृति देख सकती हैं. डॉपलर मॉनिटर की मदद से उसके दिल की धड़कन भी सुन सकती हैं.

होने वाले बच्चे का नाम सोचिये: कितने सारे नाम हो सकते हैं – असीमित संभावनाएं हैं. इसलिए यही सही समय है उसका नाम सोचने का. चाहे तो वेबसाइट की मदद लीजिये या अपने घरवालों और दोस्तों से बात करिए.

होने वाले बच्चे के लिए एक बजट बनाइये: बच्चे के जन्म के बाद आपके खर्चे बढ़ जायेंगे. बहुत सारी वस्तुओं की ज़रुरत पड़ेगी जैसे बच्चे के कपडे, डायपर, खिलौने वगैरा. इसके लिए आपको पहले से पहले बजट बना कर चलना चाहिए.

अपने बच्चे से मानसिक सम्बन्ध बनान शुरू करिए: प्रतिदिन कुछ समय निकालिए जिसमें आप अपने गर्भ में पल रहे शिशु के साथ आत्मिक और मानसिक सम्बन्ध बनाइये. उससे मन ही मन बात करिए,चाहे सोने से पहले, चाहे उठने के बाद, चाहे और किसी भी वक़्त.

सम्भोग करना मना नहीं है: कई महिलाएं बहुत थका हुआ महसूस करती हैं. या उनका मूड बदलता रहता है. या दिल कच्चा होने लगता है. पर अगर आपको लग रहा है तो आप शारीरिक सुख की प्राप्ति कर सकती हैं. यदि आपके मन में इसके बारे में कुछ सवाल हैं तो आप अपने डॉक्टर से राय ले सकती हैं.

अपने पति से बातें करें कि आप किस तरह के माता पिता बनना चाहते हैं: माता पिता बनना एक बहुत बड़ा चैलेंज है. आपको भी अपने माता पिता में कुछ अच्छाइयां और कुछ कमियाँ नज़र आती होंगी. अच्छा होगा यदि आप पहले से ही इस की तैयारी शुरू कर दें.

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गर्भावस्था की दूसरी तिमाही:

अपने लिए व्यायाम कक्षा का चुनाव करें: प्रेगनेंसी में हल्का व्यायाम करना अच्छा है. अपने डॉक्टर की सलाह से व्यायाम कक्षा ज्वाइन करें. दिन भर में कितनी शारीरिक गतिविधि करनी है इसके बारे में डॉक्टर से बात करें.

शरीर के बढ़ते वजन पर नज़र रखें: हर हफ्ते अपना वजन लें. इससे वजन बढ़ने की स्पीड पर निगरानी रहेगी.

अपने पेट पर मोईसचरायिज़र (Moisturizer) लगाना शुरू करें. चाहे इससे त्वचा के खींचने के निशान फिर भी बनेंगे, पर आपको पेट पर खारिश कम होगी. अपने डॉक्टर से सलाह ले लीजिये.

प्रसव (childbirth) की कक्षा ज्वाइन करें: यहाँ आपको गर्भावस्था और शिशु के जन्म के बारे में बहुत जानकारी मिलेगी. इससे आपकी प्रेगनेंसी का समय ज्यादा कुशलतापूर्वक निकल सकता है.

अपने बड़े बच्चों को इस शिशु के जन्म के लिए तैयार करें: घर में नया बच्चा आने से बड़े बच्चों के मन पर अलग अलग तरह से असर पड़ सकता है. इसलिए अच्छा है यदि आप उन्हें पहले से तैयार करना शुरू कर दें.

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान होने वाले टेस्ट के बारे में जानिये: इसके बारे में आप अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं. यह भी जानिये की आपके मदद्कर्ता आपके लिए किस किस तरह से सहायता के लिए ज़िम्मेदार होंगे.

मैटरनिटी के कपड़े खरीदिये: जैसे जैसे आपका वजन बढेगा, आपको और आरामदेह कपड़ों की ज़रुरत पड़ेगी.

अपने सपनों को किसी डायरी में लिखना शुरू करिए: कई महिलाओं को दूसरी तिमाही में अलग अलग तरह के सपने आ सकते हैं. अगर आप इनको लिख कर रखेंगे तो आप भविष्य में इनका आंकलन कर सकते हैं.

अपने पालतू पशुओं को तैयार करें: चाहे आप मानें या न मानें, आपके प्रिय पालतू पशुओं को भी घर में आ रहे नन्हे शिशु के लिए तैयार करना ज़रूरी है.

अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में प्लान करिए: माता पिता बनने से आर्थिक ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है. आपको इसके बारे में सोच विचार करना चाहिए.

मैटरनिटी छुट्टी के बारे में विचार करिए: यदि आप मैटरनिटी लीव लेने के बारे में इच्छुक हैं तो अपने डिपार्टमेंट से बात कर लीजिये.

शिशु के जन्म के बाद देखभाल के लिए किसी अच्छी संस्था से बात करिए: यदि आपको अपने शिशु के जन्म के बाद उस की देखभाल के लिए किसी सहायता की ज़रुरत पड़ेगी तो आप कोशिश आरम्भ कर दें.

प्रेगनेंसी का आधा वक़्त ख़त्म होने का जश्न मनाएं: 19-20 हफ़्तों में गर्भावस्था का आधा समय ख़त्म हो जाता है. आपको इसे सेलिब्रेट करना चाहिए.

किसी भी असुरक्षित शारीरिक गतिविधि में हिस्सा न लें: अब आपके पेट का आकर भी बढ़ चूका है तो आप कोई ऐसा कार्य न करें जिससे आपके अन्दर पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को खतरा हो.

घर की सज्जा और संरचना से जुड़े हुए कार्य करवाएं: यदि आपके शिशु की ज़रूरत के अनुसार आपको अपने घर की डिजाईन में कुछ बदलाव करने हैं तो शुरू कर दें.

पोषक भोजन खाएं: इस तिमाही में आपको प्रतिदिन लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत पड़ेगी. खाने पीने का ध्यान बहुत अच्छी तरह से रखिये. आपका शिशु पूरी तरह आप पर निर्भर है.

तनाव से दूर रहिये: यह तो गर्भावस्था के हर मिनट ज़रूरी है. जितना हो सके खुश रहिये.

अपने दांत साफ़ करवाइए: गर्भावस्था के दौरान दांत साफ़ करवाना (डेंटिस्ट द्वारा) सुरक्षित भी है और ज़रूरी भी. चाहे तो अपने डॉक्टर से बात करिए.

करवट ले कर सोना शुरू करिए: प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में आपको करवट लेकर सोना शुरू कर देना चाहिए. ख़ास तौर पर बायीं तरफ करवट ले कर. इससे शरीर में रक्त का बहाव ठीक रहता है और सूजन कम होती है.

अपनी अंगूठियों को चेक करिए: इस दौरान उँगलियों में सूजन आ सकती है और अंगूठी निकालने में मुश्किल बढ़ सकती है. समय रहते अंगूठी का साइज़ बढ़वाइए या उतार कर रख दीजिये.

बेबी शावर की तैयारी करिए: मेहमानों की लिस्ट बनाइये, उत्सव की थीम सोचिये, खरीदारी करिए, और सारी तैयारियां करवाइए.

अपने अनजन्मे शिशु को पत्र लिखिए: एक चिट्ठी का मूल्य समय के साथ बढ़ता है. सोचिये जब आपका शिशु जन्म ले लेगा और बड़ा हो जायेगा तो उसे ये पत्र पढ़ कर कितना अच्छा लगेगा.

अपने पति को पर्याप्त समय दीजिये: शिशु की तैयारी में अपने पति को समय देना मत भूलिए. आप दोनों को एक दुसरे का शक्ति-स्तम्भ होना चाहिए.

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गर्भावस्था की तीसरी तिमाही:

अपने पैदा होने वाले बच्चे के लिए डॉक्टर का चुनाव करें: अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से बच्चों के अच्छे डॉक्टर के बारे में पता कीजिये.

आप हमेशा गर्भ में पल रहे बच्चे के हिलने डुलने का हिसाब रखिये: यदि चाल फेर कम लगे तो तुरंत अपने मदद्कर्ता या डॉक्टर को बताएं.

शिशु के लिए सामान खरीदिये: आपके शिशु को बहुत सी चीज़ों की ज़रुरत पड़ेगी. अच्छा होगा कि आप खरीदारी शुरू कर दें.

डॉक्टर से अपॉइंटमेंट पूरे करिए: जिस जिस दिन आपको अपने डॉक्टर से मिलना है, वो लिस्ट हमेशा अपने पास रखिये और डॉक्टर से कोई भी अपॉइंटमेंट मत छोडिये.

स्तनपान के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाइये: अगर आप बच्चे को स्तनपान कराएंगी तो इसके लिए तैयारी शुरू करिए. डॉक्टर से बात करिए. जितनी जानकारी ले सकें, वो अच्छा है.

कार्ड ब्लड संचय करने के बारे में फैसला करिए: बच्चे के जन्म के उपरांत कार्ड ब्लड संचय किया जा सकता है. ये कई जानलेवा बीमारियों में उपयोग किया जा सकता है.

अपने बच्चे के सोने के लिए सही स्थान का चुनाव करिए: बच्चे के लिए छोटा सा पालना और गद्दा खरीदिये. उसके सोने की जगह फाइनल करिए.

अपने शिशु से बात करिए: अब तो आपका बच्चा आपकी बात सुन सकता है. आपको उससे ज्यादा से ज्यादा बातें करनी चाहिए.

प्रसव पीड़ा के बारे में जानिये: आपको ये पता होना चाहिए की प्रसव-परिश्रम की तीन अवस्थाएं होती हैं. हर अवस्था को पहचानने के लिए तैयार रहें. इससे आप यह जान सकेंगे कि आपको कब प्रसव के लिए एडमिट होना है.

अपने गर्भ की फोटो खींचिए: ये अद्भुत समय है क्योंकि आपका शिशु लगभग पूरी तरह विकसित हो चुका है. अब ली गयी फोटो आपको जीवन में हमेशा ख़ुशी  का अहसास देंगी.

बच्चे की देखभाल के बारे में पढना शुरू करिए: आप इस बारे में दोस्तों और रिश्तेदारों से बात भी कर सकते हैं. अच्छी किताबें भी पढ़ सकते हैं. बच्चों को शुरूआती दिनों में बहुत देखभाल की ज़रूरत पड़ सकती है. आपको जितनी जानकारी होगी उतना ही अच्छा.

अपने घर को अच्छी तरह साफ़ करवाइए: चाहे आपको इसके लिए प्रोफेशनल कंपनी की मदद लेनी पड़े, पर आपका घर बहुत अच्छी तरह साफ़ होना चाहिए. इससे बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहेगा और एलर्जी की समस्या होने की सम्भावना कम से कम रहेगी.

प्रसव-दर्द से निपटने का इंतज़ाम शुरू करिए: आपको इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए. प्रसव के दौरान दर्द एक यादगार दर्द है. इसके लिए पहले से तैयार होना ज़रूरी है.

हेल्पर्स की लिस्ट बनाएं: अपने परिवार और दोस्तों से कहें कि सभी मदद करने वालों को तैयार करें. यदि आपको घर में नौकर बदलने हों या बढाने हों, तो ये सही मौका है.

अस्पताल में एडमिट होने के लिए बैग तैयार करिए: शिशु के जन्म के लिए अस्पताल तो जाना ही होगा और आप अपने सामान को पैक करके रखें तो आखिरी समय की दौड़-भाग से बच पाएंगे.

बच्चे के जन्म की सूचना देने के लिए ईमेल और पत्र लिखें: पहले से ऐसा कर लेंगे तो बाद में आपको आसानी रहेगी.

प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के बारे में जानिये: उन सभी लक्षणों को जानिए जिनसे आपको प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं का पता पहले से लग सकता है.

प्रसव का दर्द शुरू होने पर क्या करना है इसका प्लान बनाइये: आपको प्रसव की पीड़ा शुरू होने से पहले ये पता होना चाहिए कि आप कहाँ फ़ोन करेंगे और किसको बुलाएँगे और कहाँ जायेंगे.

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घर पर रोज़मर्रा के सामान इकठ्ठा करिए: आपको घर पर खाने पीने की वस्तुओं, दवाओं, शैम्पू, साबुन, दवाएं इत्यादि संचित करनी चाहिए.

बच्चे की अलग सीट कार में लगवाइए: आप बच्चे को कार में घुमाएंगे तो एक अलग सीट की ज़रूरत होगी.

बच्चे का नाम फाइनल करिए: सभी रिश्तेदार आपको सुझाव देते होंगे. आपको सबकी बात सुनकर, अपनी पसंद का नाम चुनना चाहिए.

यदि जन्म की पूर्वतय तिथि तक जन्म ना हो तो घबराएं नहीं: कभी कभी ऐसा हो सकता है डॉक्टर द्वारा बताई गयी तारीख तक शिशु का जन्म न हो. ये ज़्यादातर सामान्य होता है. अपने डॉक्टर के संपर्क में रहे और मनोबल बनाकर रखें.

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