(नाड़ी ज्योतिष) क्या होता है जब राहु किसी और ग्रह के संग बैठता है? उपाय भी जान लीजिये.

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राहु हिन्दू ज्योतिष के अनुसार असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है. इसे बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा रथ खींचा जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। दिन में राहुकाल (२४ मिनट) की अवधि होती है जो किसी भी शुभ कार्य को करने के योग्य नहीं मानी जाती. आइये जानते हैं क्या होता है जब राहु किसी अन्य ग्रह के साथ विराजमान होता है.

राहु और सूर्य

जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु और सूर्य एक साथ एक ही राशि में विराजमान होते हैं तो इस व्यक्ति के पिता पर बचपन काल में ही संकट आ सकता है,  अलग होने का योग हो सकता है, मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है, या मृत्यु हो सकती है. ग्रहों के संयोग से व्यक्ति के पिता के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं.

ऐसे लोग अक्सर खराब स्वास्थ्य और आंखों की समस्याओं से पीड़ित रहते हैं.  क्योंकि किसी भी जन्मकुंडली में सूर्य आत्मा स्वास्थ्य और पिता का कारक होता है,  अतः सूर्य के राहु द्वारा ग्रसित होने की वजह से स्वास्थ्य पर हमेशा प्रश्न चिन्ह लगा रह सकता है. हड्डियों और जोड़ों की बीमारी तथा मेरुरज्जा (bone marrow) की समस्या से ग्रसित होने पद सकता है.

ऐसा देखा गया है कि ऐसे लोगों को समाज में प्रतिष्ठाशाली व्यक्तियों, गवर्नमेंट कर्मचारियों तथा अफसरों से तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है.  यह लोग ज्यादातर अभिमान में जीते हैं और कई बार अहंकार बस खुद का बुरा कर लेते हैं. राहु और सूर्य का एक साथ बैठना पूर्व जन्म में पिता के द्वारा दिए हुए  शाप को दर्शाता है.

ऐसे व्यक्तियों  की बीमारियों का पता लगना भी एक समस्या बन सकता है. अधिकतर ऐसे केस जिसमें मरीज की बीमारी या तो देर से पता लगती है या नहीं पता लगता थी,  उनमें राहु की मुख्य भूमिका होती है. जब सूर्य राहु से चौथे स्थान पर विराजमान होता है तो व्यक्ति के पिता का अपने परिवार से उच्चाटन सा देखा गया है और पारिवारिक जीवन में असंतोष पाया जाता है. इन लोगों को पुत्र प्राप्ति में समस्या हो सकती हैं.

उपाय:

इन लोगों को सूर्य देवता की पूजा करनी चाहिए,  सूर्य नमस्कार कर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए, सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए ( गुड,  गेहूं, ताम्बा, आटा इत्यादि) तथा आदित्य हृदयम का पाठ करना चाहिए. चांदी से बने हुए 7 सांपों को कच्चे दूध से 11 दिन तक रोशनी हिलाने से ग्रहों का विषम प्रभाव कम किया जा सकता है.  साथ ही रविवार को 100 ब्राह्मणों को भोजन कराना भी हितकर है, खासतौर पर अगर यह संक्रांति का दिन हो. गाय का दान करने से भी राहु और सूर्य के साथ होने के दुष्प्रभाव कम किए जा सकते हैं.

राहु मन्त्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”, १८००० बार ४० दिन तक

राहु और चंद्र

जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में राहु और चंद्र एक साथ होते हैं उनका मन अधिकतर किसी व्यथा में होता है.  ऐसे लोग जुनूनी स्वभाव के होते हैं ठीक प्रकार का निर्णय नहीं ले पाते. इन लोगों का स्वभाव बहुत संवेदनशील देखा गया है, साथ ही ये लोग रचनात्मक स्वभाव के होते हैं. इन लोगों की माताओं को अधिकतर खराब स्वास्थ्य से पीड़ित देखा जाता है. यदि चन्द्र बलहीन और राहु बलशाली है तो ऐसे लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या भी देखने को मिलती है.

जीवन के लगभग सभी आयामों में ये लोग दिल से काम लेते हैं और छोटी छोटी बातों को अपने दिल में बहुत बड़ा कर के देखते हैं. इसी स्वभाव की वजह से इनका अक्सर क्लेश बना रहता है. चूँकि चन्द्र अच्छे इलाज का द्योतक है, अतः इसके प्रभावित होने से व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब रह सकता है तथा बीमारी होने पर ठीक होने में ज़रूरत से ज्यादा समय लग सकता है. ऐसे व्यक्तियों को ज़्यादातर छाती, फेफड़े, प्लाज्मा, श्वेत रक्त कनिका और स्तन की बीमारी से ग्रसित होना पड़ सकता है. राहू धुंए का कारक होता है और चन्द्र फेफड़े का, इसलिए सामान्यतया ऐसे लोगों में धुम्रपान करने की आदत देखी जाती है. ऐसा देखा गया है की इस संयोग वाले व्यक्ति अपने देश के बजाय विदेश में अधिक सफल होते हैं. इन व्यक्तियों की माताओ का वैवाहिक जीवन अधिक सुखद नहीं पाया जाता. कोई विचार मन में आ जाये तो उस से इनका ध्यान कोई नहीं हटा सकता.

इन व्यक्तियों में आध्यात्मिक और रहस्यवादी विचारधारा देखी जा सकती है. राहु और चंद्र का संयोग पिछले जन्म में माता से मिले हुए शाप को बताता है. यदि जन्म कुंडली में राहु शुभ अवसर देने वाला हो तो ऐसे व्यक्तियों को अनूठी ऊंचाइयों तक पहुंचाने की क्षमता रखता है.

उपाय:

राहु और चंद्र की युति से ग्रसित मनुष्यों को विषम प्रभाव हटाने के लिए प्रतिदिन सुबह गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए.  ऐसे लोगों को दुर्गा सप्तशती का पाठ भी विशेष फलदाई है. 42 दिन लगातार पीपल के पेड़ हैं की परिक्रमा करने और दिया जलाने तथा भगवान हनुमान जी की पूजा करने से भी कष्ट कम होते देखे जाते हैं. ऐसे व्यक्तियों को स्त्रियों की सेवा करनी चाहिए,  रात में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए, महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन जाप करना चाहिए तथा यथासंभव बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए.

moon is eclipsed by rahu, the north node, in jyotish

राहु और मंगल

राहु और मंगल का सहयोग अधिकतर भाई बहनों से रिश्ते में एक कमी का एहसास दिलाता है.  ऐसे व्यक्तियों को रक्त से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं. यह भी देखा गया है कि ऐसे लोग अक्सर लड़ाई झगड़े में शामिल रहते हैं,  तथा अपराधिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं. ऐसे व्यक्तियों का एक भाई या बहन परिवार से दूर रहते देखा गया है.

इन व्यक्तियों को अक्सर किसी दुर्घटना का शिकार होते पाया जा सकता है.  मंगल भूमि का कारक होता है और राहु के द्वारा ग्रसित होने की वजह से व्यक्ति को भूमि संबंधी कष्ट की संभावना रहती है.  वह जमीन जायदाद के मुकदमे में फंस सकता है. स्त्रियों की जन्म कुंडली में राहु और मंगल का एक साथ बैठना वैवाहिक सुख से वंचित करने का काम करता है.  इन स्त्रियों की शादी होने में विघ्न या विलंब हो सकता है, पति का स्वास्थ्य खराब रह सकता है, तथा मां बनने का सुख मिलने में मुश्किल हो सकती है. इन व्यक्तियों के किसी भाई या बहन को बचपन में कठिन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इन लोगों में विपरीत लिंग के लिए आकर्षण की भावना तीव्र देखी जाती है. साथ ही इन लोगों के व्यक्तित्व में एक चुंबकत्व होता है जिसकी वजह से यह अधिकतर चर्चा में रहते हैं. यह लोग अपने आक्रोश तथा क्रोध के कारण जाने जाते हैं.

उपाय:

राहु और मंगल का एक साथ होना पिछले जन्म में मिले हुए भाई या बहन के शाप को दर्शाता है. इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पीपल का पौधा रोपना चाहिए, यथासंभव भूमि दान करना चाहिए,  पंचमुखी हनुमान की उपासना करनी चाहिए, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण तथा सुंदरकांड का यथासंभव पाठ करना चाहिए और यदि हो सके तो आम का पेड़ लगी हुई जमीन का दान करना चाहिए. इस दोष का दुष्प्रभाव हटाने के लिए 10 गाय दान में देनी चाहिए.  लाल रंग की वस्तुओं का इस्तेमाल कम करना चाहिए तथा यथासंभव अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए.

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार राहु सूर्य तथा चंद्रमा को निगलते हुए ग्रहण को उत्पन्न करता है. राहु के दुष्प्रभावों से ग्रसित व्यक्ति को माँ दुर्गा की उपासना करनी चाहिए.

राहु और बुध

जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु और बुध एक साथ होते हैं उनकी शिक्षा में समस्याएं या विघ्न पाए जाते हैं.  यह लोग कई बार अपने रिश्तेदारों या पड़ोसियों द्वारा छले जा सकते हैं. यह लोग ज्यादातर नर्वस सिस्टम की बीमारियां,  त्वचा की एलर्जी, दिमाग की कमजोरी और पेट की दिक्कतों से प्रभावित हो सकते हैं. इन व्यक्तियों को अनेक भाषाओं को सीखने का शौक हो सकता है,  साथ ही इनका स्वभाव सट्टा लगाने मैं दिलचस्पी लेने वाला होता है. यदि ये ग्रह शुभ प्रभाव देते हैं तो यह जातक गणितज्ञ, व्यापारी, अकाउंटेंट, लेखक, संवाददाता या ज्योतिषी बन सकते हैं. ऐसा देखा गया है कि यदि राहु अशुभ प्रभाव देने वाला हो तो इन व्यक्तियों के द्वारा दिमाग से लिए गए निर्णय अधिकतर गलत साबित होते हैं.   यह लोग अक्सर तर्क वितर्क में पड़ जाते हैं और मानसिक संतुलन खो बैठते हैं. इन लोगों का फोटोग्राफी, रिसर्च, फॉरेन लैंग्वेज ( विदेशी भाषा) और फाइन आर्ट्स की और झुकाव देखा जा सकता है.

उपाय:

राहु और बुध का साथ होना पिछले जन्म में किसी रिश्तेदार या चाचा मामा ताऊ के द्वारा मिले ही शाप को दर्शाता है. इसका दुष्प्रभाव हटाने के लिए भगवान विष्णु की उपासना करना अति आवश्यक है.  विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. जनता के उपयोग के लिए एक कुआं खुदवाना चाहिए या जरूरतमंद लोगों के लिए पानी की सप्लाई करानी चाहिए. जातक किसी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति लगवाने में भी अपना सहयोग कर सकते हैं.

राहु और बृहस्पति

वे लोग जिनके जन्म कुंडली में राहु और बृहस्पति एक ही स्थान पर होते हैं,  अक्सर बीमारियों से ग्रसित देखे गए हैं. ऐसे जातकों को उनके जीवन के प्रथम वर्ष में स्वास्थ्य का अधिक खतरा रहता है.  यह लोग सामान्यतया देखने में सुंदर किंतु तीक्ष्ण स्वभाव के होते हैं. इनके व्यवहार की वजह से ज्यादातर लोग इन के निकट नहीं आना चाहते.  ऐसे व्यक्तियों को उनके टीचर्स ( गुरुओं) द्वारा अधिक ध्यान नहीं मिलता.

यह व्यक्ति गाड़ियां चलाना यह गाड़ियों में सैर करना पसंद करते हैं और रचनात्मक विषयों में इनका रुझान होता है. इन लोगों में लिवर की समस्याएं होना,  डायबिटीज होना, और मोटापा होना स्वाभाविक रूप से देखा जाता है. संतान प्राप्ति में मुश्किल है आ सकती हैं तथा अबॉर्शन के योग भी बनते हैं. यह जातक हमेशा नई इच्छाओं के पीछे दौड़ते रहते हैं तथा अपने जीवन में इन्हें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इन लोगों में गुरु की बात न मानने की प्रवृत्ति देखी जाती है और ये जो भी बनते हैं, अपने परिश्रम से बनते हैं.

उपाय:

राहु और बृहस्पति के साथ  होने से पिछले जन्म में किसी ब्राह्मण या गुरु के शाप की पुष्टि होती है.  इस युक्ति की वजह से जातक का स्वभाव दुखी रहता है तथा उसमें गैर कानूनी कार्य करने की प्रेरणा रहती है.  इन लोगों को बवासीर की शिकायत भी देखी जाती है. इस शाप का दुष्प्रभाव हटाने के लिए किसी ब्राह्मण को एक गाय,  धन तथा स्वर्ण का दान करना चाहिए. जरूरतमंद बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें दान करनी चाहिए, गरीब बच्चों को स्कूल या कॉलेज में दाखिला कराना चाहिए.

worshipping serpents and snakes helps in pacifying rahu

राहु और शुक्र

वे लोग  जिनकी जन्म कुंडली में राहु शुक्र के साथ होते हैं, सम्मोहित करने वाले व्यक्तित्व के धनि होते हैं. इन लोगों का बहुत सारा धन व्यर्थ ही खर्च हो जाता है. ऐसे लोग सुन्दरता के कायल होते हैं और किसी के साथ इनकी गुप्त मित्रता भी देखि जा सकती है. ग्रहों की यह युक्ति मनुष्य को मादक पदार्थों का सेवन करने तथा सत्ता लगाने की और प्रेरित कर सकती है. ऐसे लोगों का विवाह विदेश या दुसरे धर्म में होने की आशंका रहती है. साठ ही प्रेम विवाह होने की सम्भावना ज्यादा रहती है. ऐसा देखा गया है कि जब पुरुषों की जन्म कुंडली में यह युक्ति होती है तो उनकी पत्नी देखने में सुंदर तथा क्रियात्मक स्वभाव की होती है.  साथ ही यह युक्ति वैवाहिक संबंधों में परेशानियां भी पैदा कर सकती हैं.

जिन व्यक्तियों की कुंडली में यह योग होता है उन्हें गुप्त धन अथवा वैभव मिलने की आशा रहती है.  विवाह के समय पर परेशानी उत्पन्न हो सकती है तथा विवाह गुप्त अथवा अति शीघ्र संपन्न हो सकता है. यदि राहु और शुक्र का फल शुभ हो तथा इनका संबंध दसवें भाव से हो तो व्यक्ति मीडिया क्षेत्र में उन्नति पा सकता है.

उपाय:

शुक्र का राहु के साथ होना पिछले जन्म में किसी पुरुष या स्त्री (पति या पत्नी, सहचर या सहचरी)) से मिले हुए शाप को दर्शाता है. इसका दुष्प्रभाव कम करने के लिए किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करनी चाहिए,  बिस्तर या चारपाई का दान करना चाहिए, तथा एक ब्राह्मण युगल को वस्त्र और आभूषण का दान करना चाहिए.

राहु और शनि

राहु और शनि दोनों ही क्रूर ग्रह माने जाते हैं तथा उनका जन्म कुंडली में एक साथ होना सामान्य तौर पर अच्छा नहीं समझा जाता. ऐसे लोग अधिकतर कम पैसे की नौकरी करते हैं या नौकरी का अभाव रहता है. ये लोग ज़्यादातर अच्छा व्यवहार नहीं करते और इन्हें अँधेरे का माहौल अच्छा लगता है. इनको फोटोग्राफी का शौक देखा गया है. रहू और शनि की युक्ति कुंडली के जिस भाव में होती है, परिणाम उसके अनुरूप बदलते हैं. यह लोग ज्यादातर अपने काल्पनिक दुनिया में रहते हैं तथा इनके प्रवृत्ति बदला लेने की होती है. ऐसा भी देखा गया है कि यह लोग रिसर्च में अच्छे होते हैं तथा इनमें जासूसी करने की प्रतिभा होती है.  इन व्यक्तियों के पास खुद की बड़ी गाड़ी हो सकती है हालांकि इनकी वजह से कई बार जातक को नुकसान भी होता हुआ देखा गया है. इन लोगों के जीवन में कर्म प्रधानता रहती है तथा इन्हें बुजुर्ग अवस्था तक कार्य करते देखा जाता है. यह लोग कई प्रकार के झूठे वादे तथा आश्वासन देते हैं जो इन इनके द्वारा पूरे नहीं किए जाते. कार्य क्षेत्र में तथा व्यापार में इन लोगों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

यह लोग तांत्रिक प्रयोगों में तथा अध्यात्मिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं और यदि कोशिश करें तो इनमें आगे बढ़ सकते हैं.  यह लोग शराब, नशीले पदार्थ जैसे तम्बाकू, इत्र, टायर तथा दवाओं के व्यवसाय में नौकरी करके अपना भविष्य बना सकते हैं.

उपाय:

राहु और शनि का साथ होना यह दर्शाता है कि पिछले जन्मों में मृत माता पिता के पूर्वजों के कर्म कांडों में गलतियां हुई हैं अथवा उनका श्राद्ध भली-भांति नहीं किया गया है.  इस दुष्प्रभाव को हटाने के लिए पिंड दान करना चाहिए, ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और यथासंभव धन तथा उपहार देना चाहिए. भगवान शिव का रुद्राभिषेक ( जन्म नक्षत्र की तारीख के दिन,  यथासंभव प्रतिमाह या प्रतिवर्ष) कराने से लाभ होता है. चांदी में बनी हुई गाय की मूर्ति ब्राह्मण को दान करने से तकलीफें कम होती देखी गई हैं. प्रतिदिन सुबह पूर्वजों के लिए भोजन निकालकर कौवे को देना चाहिए.

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