क्या आप पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से पीड़ित हैं?

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polycystic ovary syndrome affects young and middle age women

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम क्या है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) महिलाओं में होने वाली एक सामान्य बीमारी है. इस बीमारी में प्रजनन तंत्र के हॉर्मोन की मात्रा में बदलाव की वजह से बीमारी के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं. मुख्यतः इस बीमारी में महिला की ओवरी अथवा अंडाशय में छोटी छोटी सिस्ट (थैलियां) बन जाती है. सामान्य रूप से अंडाशय का कार्य है कि प्रतिमाह एक अंडा बनाना तथा यदि पुरुष के शुक्राणु के साथ इसका निषेचन नही हुआ तो प्रतिमाह माहवारी के साथ इसे शरीर से बाहर निकालना. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में ये उस तरह नहीं बनता जिस तरह बनना चाहिए या बनने के बावजूद अंडाशय से बाहर नहीं निकलता जैसे इसे सामान्य रूप से निकलना चाहिए. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से माहवारी (menstruation) में रुकावट आ सकती है या और असामान्यता हो सकती है. माहवारी सामान्य रूप से ना आने की वजह से महिलाओं में बांझपन की शिकायत हो सकती है. देखा जाता है कि महिलाओं में बांझपन का सबसे प्रमुख कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ही है.

आइए जानते हैं कि यह बीमारी होने के आसार किन महिलाओं को ज्यादा होते हैं.

वैज्ञानिक आंकड़ों की मानें तो 15 से 44 वर्ष की उम्र की महिलाओं में लगभग 5 से 10% को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है. ज्यादातर औरतों को 30 वर्ष के दौरान इस बीमारी का पता लगता है जब उन्हें गर्भवती होने में दिक्कत होती है. किसी भी जाति वर्ग की महिलाओं को यह बीमारी हो सकती है तथा इसके होने का खतरा तब बढ़ जाता है यदि आपके परिवार में भी किसी महिला को यह बीमारी रह चुकी है. अधिक मोटापे की वजह से भी इसके होने का खतरा बढ़ जाता है.

आइए जानते हैं कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण क्या है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का प्रमुख लक्षण है माहवारी में असामान्यता होना. कुछ महिलाएं माहवारी के दौरान यह महसूस करती हैं कि उन्हें हर 21 दिन या उससे भी कम अवधि में पीरियड हो रहे हैं. साथ ही कई महिलाओं को पीरियड बंद हो जाते हैं. कुछ महिलाओं को इस बीमारी की वजह से साल में 8 या उससे भी कम बार माहवारी होती है.

अगला मुख्य लक्षण है चेहरे पर बहुत अधिक बाल होना. ठोड़ी पर भी बाल हो सकते हैं और देखा जाता है कि पुरुषों को जिन जगहों पर अधिक बाल होते हैं इन महिलाओं को भी वहां पर अधिक बाल हो जाते हैं. इस दशा को ‘हरसूटिज्म’ (hirsutism) कहते हैं. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में लगभग 70% को हरसूटिज्म हो जाता है. इन महिलाओं में मुंहासे की शिकायत बढ़ जाती है, खासतौर पर चेहरे, छाती और पीठ के ऊपरी भाग में. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में वजन अधिक बढ़ने की या वजन कम करने में असक्षमता की तकलीफ देखी गई है. बालों का पतला हो जाना, कमजोर हो जाना या अधिक झड़ना भी सामान्य रूप से देखा जाता है. त्वचा का रंग गहरा हो जाता है खासतौर से गले में और स्तनों के नीचे.

polycystic ovary syndrome is a common problem in women

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने की वजह क्या है?

विज्ञान की मानें तो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने की मुख्य वजह अभी तक पूरी तरह ज्ञात नहीं है. ज्यादातर यह माना जाता है कि जेनेटिक्स या अनुवांशिकी के साथ-साथ कुछ और कारण है जो इस बीमारी के होने में भूमिका निभाते हैं जैसे एंड्रोजन (androgen) हार्मोन का शरीर में अधिक मात्रा में होना. एंड्रोजेंस को पुरुष हॉर्मोन भी कहते हैं हालांकि सभी औरतों में थोड़ी मात्रा में यह हार्मोन पाए जाते हैं. एंड्रोजेंस की अधिकता से महिलाओं में कई लक्षण देखे जाते हैं जैसे पुरुषों में होने वाला गंजापन, मूछें दाढ़ी होना इत्यादि. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से प्रभावित महिलाओं में एंड्रोजन की मात्रा सामान्य से ज्यादा होती है. इसकी वजह से ओवरी (अंडाशय) से अंडा माहवारी के दौरान बाहर नहीं निकलता तथा मुंहासे और अधिक बाल पैदा हो जाते हैं.

शरीर में अधिक मात्रा में इंसुलिन का होना भी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की एक वजह है. इंसुलिन पैंक्रियास नाम की ग्लैंड से निकलने वाला हार्मोन है जिस का प्रमुख कार्य है भोजन में खाए गए कार्बोहाइड्रेट से निकली हुई शुगर या शर्करा को रक्त से कोशिकाओं में पहुंचाना ताकि कोशिकाएं इन से ऊर्जा प्राप्त कर सके और शरीर अपना कार्य सुचारू रूप से कर सके. जब शरीर की कोशिकाएं सामान्य मात्रा में इन्सुलिन की उपस्थिति को प्रतिक्रिया नहीं देती हैं तो इस कंडीशन को इन्सुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) कहते हैं. इस स्थिति में शरीर में इंसुलिन की मात्रा जरूरत से ज्यादा रहती है क्योंकि शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए इतनी संवेदनशील नहीं होती हैं. इस वजह से मोटापा अधिक बढ़ सकता है, बार-बार चीनी खाने की खाने की इच्छा हो सकती है, आलसी पन हो सकता है, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बिगड़ सकती है, तथा आगे चलकर डायबिटीज हो सकती है.

क्या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने से गर्भधारण ना समस्या उत्पन्न होती है?

हां यह सच है किंतु ऐसा भी नहीं है कि आप गर्भवती नहीं हो सकती. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से हार्मोन का लेवल प्रभावित होता है जिसकी वजह से अंडो का विकास और अंडाशय से उनका निकल कर यूट्रस (बच्चेदानी) में आने की प्रक्रिया रूकती है. गर्भधारण करने के लिए आवश्यक है की अंडा यूट्रस (बच्चेदानी) में आ जाये और पुरुष के शुक्राणु से निषेचन (fertilization) करे. किंतु यदि आप मेडिकल सलाह लें तो दवाओं की मदद से यह ठीक किया जा सकता है.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से कौन-कौन सी अन्य समस्याएं शरीर में उत्पन्न हो सकती हैं?

वैज्ञानिक प्रयोगों में देखा गया है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कई बीमारियों के साथ जुड़ा हुआ हो सकता है जैसे कि डायबिटीज. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से प्रभावित आधी से अधिक महिलाओं में डायबिटीज बीमारी देखी जाती है. इन महिलाओं में उच्च रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है. उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर दिल की बीमारियों का एक मुख्य कारण है. महिलाओं में एलडीएल (LDL) नामक बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है तथा एचडीएल (HDL) नामक अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है. पूरे कोलेस्ट्रोल के अधिक होने से दिल की बीमारियां और ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है. इन महिलाओं में डिप्रेशन या मानसिक अवसाद और चिड़चिड़ापन तथा चिंतित स्वभाव का रहना अधिक पाया गया है। इन महिलाओं में स्लीप एप्निया की समस्या भी देखी जाती है स्लीप एप्निया (sleep apnea) वह कंडीशन है जिसमें सोते समय बीच-बीच में सांस रुक जाती है जिसकी वजह से नींद प्रभावित होती है. स्लीप एप्निया होने से दिल की बीमारियां और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है.

आइए जानते हैं कि क्या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण मीनोपॉज (menopause) के समय ठीक हो जाते हैं?

इसका जवाब पूरी तरह से हां या ना में दे पाना मुश्किल है. कई महिलाएं जिन है यह बीमारी होती है वह अनुभव करती हैं कि जैसे-जैसे मीनोपॉज (रजोनिवृति) के नजदीक पहुंचती हैं वैसे-वैसे की माहवारी सामान्य होती जाती है. हालांकि बढ़ती उम्र के साथ साथ हार्मोन का इंबैलेंस ठीक नहीं होता इसलिए उनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के अन्य लक्षण चलते रहते हैं. साथ ही साथ उम्र बढ़ने के साथ पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से जुड़ी हुई अन्य बीमारियों जैसे डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, मोटापा के खतरे बढ़ते हैं.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की डायग्नोसिस कैसे की जाती है?

पीसीओएस को डायग्नोज़ करने के लिए डॉक्टर या मेडिकल टीम सर्वप्रथम आप की मेडिकल हिस्ट्री लेती है. इसके जरिए आपके शरीर में हो रहे लक्षणों का पता लगता है. साथ ही साथ डॉक्टर आपसे आपकी परिवारिक हिस्ट्री भी पूछते हैं जिससे यह पता लगे कि क्या परिवार में किसी अन्य को भी यह बीमारी है. इसके बाद डॉक्टर आपके शरीर का एग्जामिनेशन (जांच पड़ताल) करते हैं जिसमें वह आपका ब्लड प्रेशर, नब्ज़, बीएमआई इत्यादि देखते हैं. वह आपकी त्वचा की जांच करते हैं साथ ही साथ शरीर में उपस्थित अधिक बालों की भी जांच पड़ताल करते हैं. डॉक्टर आपकी थाइरोइड ग्रंथि की जांच भी कर सकते हैं तथा बालों के झड़ने की भी जांच कर सकते हैं. आपके पेल्विक स्थान (पेट का निचला और कमर तथा गुप्तांगों के समीप) का एग्जामिनेशन भी किया जा सकता है यह देखने के लिए की अधिक पुरुष हार्मोन होने की वजह से क्या क्लीटोरिस का साइज बड़ा है, या आपकी ओवरी भी जरूरत से ज्यादा बड़ी हैं. पेट का अल्ट्रासाउंड करने से यह पता लग जाता है कि क्या ओवरी में सिस्ट हैं. पेल्विक स्थान के अल्ट्रासाउंड से युटेरस (बच्चेदानी) के स्वास्थ्य का भी मालुम पड़ता है.

इन महिलाओं में खून की जांच की जाती है जिससे एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा पता लगती है. इस हॉर्मोन के अलावा अन्य हॉर्मोन की जांच भी की जाती है जिससे यह अच्छी तरह से मालूम हो सके कि शरीर में कौन से हार्मोन अधिक है तथा कौन से हार्मोन कम है. खून में शुगर की तथा कोलेस्ट्रोल की जांच भी की जाती है. आपको पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित घोषित किया जा सकता है यदि नीचे लिखे लक्षणों में से आप में कम से कम 2 पाए जाते हैं:-

(1) माहवारी में अनियमितता होना (जैसे बहुत जल्दी-जल्दी महावारी होना बहुत कम माहवारी होना या बिल्कुल भी ना होना)
(2) एंड्रोजन हार्मोन के शरीर में अधिक होने के लक्षण होना जैसे चेहरे, ठोड़ी या शरीर पर बालों की मात्रा बहुत अधिक होना
(3) सिर के बालों का पतला और कमजोर हो जाना
(4) पुरुषों की तरह गंजापन होना
(5) एंड्रोजन की रक्त में मात्रा सामान्य से अधिक होना
(6) एक या दोनों ओवरीज में कई संख्या में सिस्ट या थैलियां होना

polycystic ovary syndrome can be managed with oral contraceptive pills and antiandrogens

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का इलाज

इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है. लक्षणों के हिसाब से आपके लिए एक ट्रीटमेंट प्लान बनाया जाता है जिसमें दवाओं के साथ साथ अन्य प्लान भी हो सकते हैं. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने के लिए आपको अपना वजन कम करना चाहिए तथा बालों की ग्रोथ भी कम करनी चाहिए. इसके लिए आप यह कर सकती हैं:- अधिक वजन या चर्बी को कम करना, स्वस्थ आहार लेना तथा समय-समय पर व्यायाम करना. अधिक वजन को कम करने से आपके शरीर में इन्सुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) कम होता है तथा रक्त में शर्करा की मात्रा भी नियंत्रित होती है. इससे आपके हार्मोन भी सामान्य मात्रा में रहने की तथा सामान्य रूप से काम करने की कोशिश करते हैं.

देखा जाता है कि सिर्फ 10% अधिक वजन को घटाकर भी आप अपनी माहवारी को अधिक नियमित बना सकते हैं तथा गर्भवती होने की संभावना भी बढ़ा सकते हैं. शरीर में अधिक मात्रा में बालों को हटाने के लिए आप चेहरे में लगाने वाले बाल हटाने की क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं या लेजर ट्रीटमेंट से भी बालों को हटा सकते हैं. कुछ महिलाएं इलेक्ट्रोलिसिस का इस्तेमाल करके अधिक बालों को हटाती हैं. बालों की ग्रोथ को कम करने के लिए भी कुछ दवाई आती हैं. एलोपैथिक क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि इफ्लोर्निथिन एचसीएल (eflornithine HCL) क्रीम.

किस तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षणों को मैनेज करने के लिए?

तीन तरह की दवाएं दी जाती हैं – पहली गर्भनिरोधक गोलियां, दूसरी एंटीएंड्रोजन दवाएं, तीसरी इंट्रायूटरिन हॉरमोन डिवाइस (IUD). वह महिलाएं जो गर्भवती नहीं होना चाहती उनमें गर्भ निरोधक की गोलियां लेने से माहवारी अधिक नियमित हो जाती है. साथ ही यूट्रस या बच्चेदानी के कैंसर होने की संभावना क्षीण हो जाती है. मुहासे कम हो जाते हैं तथा शरीर में अधिक बालों की समस्या भी कम हो जाती है. एंटीएंड्रोजन दवाएं पुरुष हार्मोन एंड्रोजन की मात्रा को नियंत्रित करती है तथा उसके इफेक्ट को भी कम करती हैं. उनके प्रभाव से बालों का झड़ना तथा कमजोर होना कम हो जाता है. चेहरे और शरीर पर भी बालों की ग्रोथ कम हो जाती. हालांकि इन दवाओं का इस्तेमाल करने से गर्भधारण में समस्या बढ़ सकती है.

मेटफॉर्मिन्न (metformin) नाम की दवा मुख्य रूप से डायबिटीज में इस्तेमाल की जाती है. यह शरीर की कोशिकाओं की संवेदना इंसुलिन के लिए बनाती है जिससे शुगर कंट्रोल रहता है तथा एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा में भी कमी आती है. कुछ महीनों प्रयोग करने के उपरांत मेटफॉर्मिन्न दोबारा अंडाशय में अंडे बनने तथा का अंडाशय से निकलकर यूट्रस में आने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से शुरू कर सकती है. लेकिन मुहांसों और अधिक बालों की समस्या में इसका प्रभाव कम देखा गया है. वैज्ञानिक जांच से पता लगता है कि मेटफॉर्मिन्न कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी नियंत्रित कर सकती है तथा अधिक बढ़े हुए वजन को भी कम कर सकती है. यदि आप पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित है तो आपको जानना जरूरी है कि यह गर्भावस्था को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है. इन महिलाओं में अबॉर्शन होने की संभावना अधिक रहती है. साथ ही साथ पीड़ित महिलाओं मैं गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज और प्रीएकलम्प्सिया (preeclampsia) नाम की बीमारियां होने की संभावना अधिक होती है. डिलीवरी के दौरान सिजेरियन ऑपरेशन करने की नौबत आने की संभावना बढ़ जाती है. पैदा होने वाले शिशु का सिर बड़ा होने की भी संभावना रहती है. यदि आप चाहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से होने वाली समस्याएं कम से कम हो तो गर्भधारण करने के पहले शरीर का वजन सामान्य रखने की कोशिश करें. स्वस्थ और पौष्टिक खाना खाएं जिससे कि रक्त में शर्करा की मात्रा ना बढ़े और डॉक्टर की सलाह से फोलिक एसिड लेना भी शुरू करें.

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