जानिए काजू आपके लिए क्या सचमुच फायदेमंद है?

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cashew benefits

काजू एक प्रकार का सूखा मेवा है, जिसका आकार हमारी किडनी की तरह का होता है। यह हमें पेड़ से प्राप्त होता है, जिसकी उत्पत्ति ब्राजील में होती गई है। परंतु अब यह जलवायु के हिसाब से संसार के अन्य भागों में भी (जहां पर भी गर्म वातावरण उपलब्ध है) पाया जाता है। हालांकि काजू को हमेशा से एक पेड़ से प्राप्त होने वाला ड्राई फ्रूट माना जाता है और इसकी तुलना पेड़ों से प्राप्त होने वाले अन्य प्रकार के फलों से पौष्टिकता के आधार पर की जाती है, परंतु वास्तव में काजू एक प्रकार का बीज है। काजू पौष्टिकता से भरपूर होता है तथा इसका सेवन करने से अत्याधिक फायदे भी प्राप्त होते हैं। पेड़ से प्राप्त होने वाला यह सूखा मेवा कई अन्य कारणों से भी हमारे लिए अत्यधिक फायदेमंद है और इसका इस्तेमाल हम अपनी रोजमर्रा के जीवन में कई तरीकों से कर सकते हैं। कई प्रकार की मिठाइयां और लजीज खाने के व्यंजनों में भी काजू का इस्तेमाल करना अब आम बात है। काजू को अक्सर उसकी पौष्टिकता के लिए जाना जाता है और काजू का सेवन करने से वजन नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। काजू को हमारे खून के अंदर मधुमेह का स्तर नियंत्रित करने तथा हमारे दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। इस लेख के माध्यम से आप जान पाएंगे काजू के अंदर उपलब्ध पौष्टिक तत्वों की जानकारी, काजू सेवन करने के फायदे तथा काजू के सेवन से होने वाले कुछ नकारात्मक पहलू जिसके माध्यम से आप जान पाएंगे कि कितना काजू का सेवन करना आपके लिए उचित होगा।

काजू के अंदर उपलब्ध पौष्टिक तत्वों की जानकारी

पौष्टिकता में भरपूर

काजू एक महत्वपूर्ण पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, इसके अंदर कई प्रकार के पोषक तत्वों का मिश्रण होता है जो हमारे लिए कई मायनों में लाभदायक सिद्ध होता है। काजू के अंदर वैसे तो कई प्रकार के पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं परंतु काजू को अनसैचुरेटेड वसा के उच्च स्तर के कारण भी जाना जाता है। अनसैचुरेटेड वसा एक इस प्रकार की वसा होती है जो हमारे लिए लाभदायक होती है। इस वसा के कारण समय से पूर्ण मृत्यु होने की आशंका कम होती है और इसी वजह से हृदय से जुड़ी बीमारियां भी कम होती हैं। काजू के अंदर शुगर का स्तर भी काफी कम होता है। इसके अंदर प्रोटीन की अच्छी मात्रा उपलब्ध होती है तथा फाइबर का स्तर भी इसमें उपयुक्त मात्रा में होता है। यदि काजू को प्रोटीन के स्तर पर देखा जाए तो काजू के अंदर मीट के जितना ही प्रोटीन उपलब्ध होता है। यदि काजू के अंदर उपलब्ध अन्य पोषक तत्वों को देखा जाए तो काजू के अंदर तांबे की उपयुक्त मात्रा उपलब्ध होती है। काजू के अंदर कई प्रकार के खनिज पदार्थ भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। जिससे हमारे शरीर को एनर्जी प्राप्त होती है। काजू हमारे मस्तिष्क के विकास की प्रक्रिया को तेज करता है तथा हमारे शरीर में मजबूत प्रतिरोध सिस्टम तैयार करने में भी हमारी सहायता करता है। काजू, मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत होता है।

पेड़ों से प्राप्त होने वाले उत्तम प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होना

बीजों तथा ड्राई फ्रूट्स को हमारे शरीर के लिए जरूरी एंटी-ऑक्सीडेंट का खजाना समझा जाता है और इसी की प्रक्रिया में काजू भी पेड़ों से प्राप्त होने वाला इसी प्रकार का एक अद्भुत खाद्य पदार्थ है। एंटी-ऑक्सीडेंट इस प्रकार के तत्व होते हैं जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते हैं तथा यह हमारे शरीर को लंबे वक्त तक स्वस्थ बनाए रखने में हमारी सहायता करते हैं। यह हमारे शरीर से कई प्रकार के हानिकारक जीवों को समाप्त करके हमारे शरीर के लिए शुद्धि का कार्य करते हैं। जिसके माध्यम से हमारे शरीर के अंदर संक्रमण का स्तर घटता है और हमारे शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। जिसमें रोगों से लड़ने की क्षमता भी शामिल है। इस प्रकार हम स्वस्थ बने रहते हैं तथा बीमारियों से बचे रहते हैं। काजू से हमें इसी प्रकार के एंटी-ऑक्सीडेंट प्राप्त होते हैं, जिसमें से प्रमुख है पॉलिफिनॉल्स तथा करॉटिनाइड। यह बहुत ही मूल्यवान एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। पेड़ों से प्राप्त होने वाले अन्य सूखे मेवों के अंदर भी यह एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। अध्ययनों के माध्यम से यह साबित किया जा चुका है कि काजू, अखरोट, चिलगोजे और बादाम जैसे सूखे मेवे हमारे शरीर के अंदर उत्पन्न होने वाले कई प्रकार के संक्रमण का विनाश करके हमारे शरीर के लिए शुद्धि का कार्य करते हैं।

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काजू से होने वाले फायदे

काजू दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

सूखे मेवों से भरपूर भोजन जिसमें कि काजू भी शामिल होता है हमारे दिल के स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक है। इस प्रकार की भोजन प्रणाली को हमेशा से बीमारियों से बचे रहने वाली भोजन व्यवस्था के तौर पर जाना जाता है और इस प्रकार के सूखे मेवों के सेवन से हम हृदयाघात तथा अन्य दिल से जुड़ी बीमारियों से भी बचे रहते हैं। इस दिशा में कुछ अध्ययन किए गए हैं जो केवल हृदय से जुड़ी बीमारियों के प्रति काजू के प्रयोग करने की उपयोगिता को निर्धारित करते हैं। ऐसा देखा गया है कि जो लोग टाइप-2 मधुमेह से ग्रसित हैं तथा ऐसे लोग जब अपनी रोजमर्रा के भोजन में 10 प्रतिशत कैलोरी काजू से प्राप्त करते हैं, तो उनका बुरे कोलेस्ट्रॉल का लेवल अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लेवल की तुलना में घट जाता है। यह उन लोगों के मुकाबले काफी अच्छी स्थिति होती है जो लोग काजू का सेवन बिलकुल नहीं करते। हमारे शरीर के अंदर एल.डी.एल कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होना, अच्छे हृदय के स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त समझा जाता है। काजू के संदर्भ में किए गए अन्य दो रिसर्च का अध्ययन करने पर ऐसा जान पड़ता है कि काजू का सेवन करने से हमारे शरीर के अंदर एच.डी.एल. कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ता है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। इस दिशा में एल.डी.एल कोलेस्ट्रॉल का लेवल एच.डी.एल. कोलेस्ट्रोल के मुकाबले घट जाता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा समझा जाता है। हालांकि अभी हाल ही के दिनों में की गई एक रिसर्च इस दिशा में कुछ अपवाद उपलब्ध करवाती है।

इसी प्रकार की एक स्टडी के अनुसार यदि हम लगातार काजू का सेवन करते हैं तो हो सकता है कि यह हमारे अंदर ब्लड प्रेशर का स्तर घटा दे और ट्राइग्लिसराइड का स्तर जरूरत से अधिक कम कर दे। हालांकि इन दोनों ही तत्वों का कोलेस्ट्रोल के ऊपर कोई अन्य असर देखने को नहीं मिलता है। इसी दिशा में की गई एक अन्य रिसर्च के मुताबिक यदि हम काजू के सेवन की मात्रा को एक औंस से बढ़ाकर 3 ऑस कर दें और इसका सेवन लगातार 4 से 12 हफ्तों तक करतें रहें तो यह हमारे कॉलेस्ट्रोल के स्तर के ऊपर किस प्रकार के परिणाम प्रदर्शित करता है, यह पता करने में यह रिसर्च विफल साबित हुई। इन सब तथ्यों को साबित करने के लिए अभी इस दिशा में और अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है।

काजू आपकी वजन घटाने में सहायक कर सकता है

काजू के अंदर कैलोरी और वसा की मात्रा अधिक होती है, इसलिए जो वह लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं उन्हें यह सलाह दी जाती रही है कि वे सूखे मेवों के प्रति उदासीन हो जाए और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इनका उपयोग कम कर दें। हालांकि इस दिशा में किए गए कई अध्ययनों के माध्यम से ऐसा मालूम पड़ता है कि इस प्रकार के सूखे मेवों से भरपूर भोजन प्रणाली वजन घटाने में हमारी सहायता करती है तथा हमारी वजन घटाने के लिए उपयोग की जाने वाली दूसरे खाद्य प्रणाली की तुलना में यह भोजन प्रक्रिया अधिक सार्थक सिद्ध होती है। इसे अन्य चरणों में भी समझाया जा सकता है कि आखिर किस प्रकार काजू हमारे शरीर का वजन घटाने में हमारी सहायता करता है तथा इसके अंदर कैलोरी की मात्रा अधिक होने के बावजूद यह हमारे लिए अधिक कैलोरी नहीं उत्पन्न करता। फूड डाटा संस्था के द्वारा जो कि यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर से संबंधित है उसके अनुसार एक औंस काजू की मात्रा में लगभग 157 कैलोरी विद्यमान होती है।

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हाल ही में किए गए अध्ययनों के अनुसार यह बात साबित की जा चुकी है कि हमारा मानव शरीर इस काजू के अंदर उपलब्ध कैलोरी का केवल 84% भाग ही अपने अंदर पाचन प्रक्रिया के माध्यम से प्रयोग कर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि काजू के अंदर उपलब्ध वसा का एक भाग काजू के चारों ओर उपलब्ध रेशे की दीवारों के अंदर उलझ कर रह जाता है जिस वजह से उसे हमारे पाचन तंत्र के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। यदि इस बात को भुने हुए काजू के संदर्भ में समझा जाए तो यहां यह जानना आवश्यक है कि यदि हम काजू का सेवन भूनकर करते हैं तो बचा हुआ वह कैलोरी का प्रतिशत हमारे पाचन तंत्र के द्वारा शोषित कर लिया जाता है और इस प्रकार भुने हुए काजू का सेवन करने से हमारी कैलोरी लेने की मात्रा बढ़ सकती है। इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि काजू वजन घटाने के लिए एक अच्छा खाद्य पदार्थ है परंतु केवल बिना भुने हुए काजू का सेवन ही करना चाहिए। यदि हम काजू को अपनी भोजन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाते हैं तो हम इसके अंदर उपलब्ध महत्वपूर्ण एंटी-ऑक्सीडेंट से भी वंचित रह जाते हैं। जो कि भुने हुए तथा बिना भुने हुए दोनों प्रकार के काजु के अंदर समान रूप से उपलब्ध रहते हैं। काजू कैलोरी में कम होने के साथ-साथ प्रोटीन और फाइबर का भी अच्छा स्रोत होता है। प्रोटीन और फाइबर को वजन घटाने के लिए अति महत्वपूर्ण समझा जाता है। इन दोनों पदार्थों के सेवन से हमारी भूख नियंत्रण में रहती है और हमें अपना पेट भरा हुआ महसूस होता है।

टाइप-2 मधुमेह से ग्रसित लोगों के लिए काजू लाभकारी सिद्ध होता है

यदि ऐसे लोग जो टाइप-2 मधुमेह से ग्रसित हैं, अगर वह अपने भोजन में काजू का सेवन शामिल करते हैं तो हो सकता है कि उन्हें टाइप 2 मधुमेह से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो। यह साबित किया जा चुका है कि काजू, फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। यह एक प्रकार का ऐसा पोषक तत्व होता है जो हमारे खून के अंदर मौजूद मधुमेह के स्तर को अचानक से ऊपर उठने से रोकता है और इस प्रकार इस पोषक तत्व को टाइप-2 मधुमेह के लिए एक अच्छा कवच माना जाता है। टाइप-2 मधुमेह के संबंध में काजू से होने वाले परिणामों के लिए अध्ययन सीमित स्तर पर ही किए गए हैं। इसलिए हमें इस दिशा में एक सीमित स्तर तक ही जानकारी प्राप्त हो पाई है। इसी प्रकार के एक अध्ययन में कुछ ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो टाइप-2 मधुमेह से ग्रसित थे और उन्होंने अपने भोजन में 10% काजू को शामिल किया। जिसकी वजह से उनका इन्सुलिन लेवल काफी घट गया। इंसुलिन एक ऐसा पदार्थ है जो खून के अंदर मौजूद मधुमेह के स्तर को नियंत्रित करता है और यह उन लोगों की तुलना में काफी नियंत्रित था, जो काजू का सेवन बिल्कुल नहीं करते हैं।

काजू के अंदर केवल 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मौजूद होते हैं और जिसमें से केवल 2 ग्राम ही शुगर से प्राप्त होते हैं। भोजन के अंदर उपलब्ध कुल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को नेट कार्बोहाइड्रेट्स के नाम से जाना जाता है, जब हम इसको उस भोजन के अंदर उपलब्ध फाइबर की मात्रा से घटा देते हैं तो हमें नेट कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा प्राप्त हो जाती है। यह एक ऐसी कार्बोहाइड्रेट की संख्या होती है जो हमारे शरीर के द्वारा अवशोषित किए जाते हैं। यदि हम अपनी भोजन प्रणाली से ऐसे तत्वों की संख्या घटा दें जो नेट कार्बोहाइड्रेट्स में अधिक होते हैं या फिर उनके अंदर शुगर का स्तर अधिक होता है और इस प्रकार के भोजन को हम जब काजू के साथ बदल देते हैं तो यह हमारे खून के अंदर मौजूद मधुमेह के स्तर को नियंत्रित करने में हमारी सहायता करता है। इस प्रकार की व्याख्याओं के लिए अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है और इस बात के लिए अभी एक सीमित स्तर तक ही अध्ययन किए गए हैं कि आखिर काजू किस प्रकार टाइप-2 ग्रसित मधुमेह के पीड़ितों को और अधिक फायदा पहुंचाने में अपना योगदान दे सकता है।

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काजू के बारे में कई विरोधाभास तथा नई जानकारियाँ

  • अगर मुख्य तौर पर देखा जाए तो काजू सभी लोगों के लिए फायदेमंद साबित होते हैं और इनका सेवन करने की सलाह सभी को दी जाती है। काजू का सेवन करने से पहले हमें अपने दिमाग में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि भुने हुए काजू या फिर नमक मिलाकर प्रयोग किए जाने वाले काजू के अंदर वनस्पति घी का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे ऐसे खाद्य पदार्थ के अंदर वसा और नमक की मात्रा अधिक हो जाती है। इसी कारण यह सलाह दी जाती रही है कि हमें काजू को उसकी मूल अवस्था में ही ग्रहण करना चाहिए।
  • कुछ अध्ययन से हमें यह जानकारी मिलती है कि भुने हुए काजू के अंदर एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा मूल अवस्था में ग्रहण किए जाने वाले कार्यों की तुलना में अधिक होती है। यदि आप इस तथ्य को ध्यान में रखते हैं तो आपको काजू को भूनने के लिए घर पर ही उत्तम व्यवस्था करनी चाहिए तथा इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए आपको वनस्पति घी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा करने के लिए आपको बहुत ही सामान्य कार्य करने होते हैं सबसे पहले आप अपनी बेकिंग करने वाली ट्रे के ऊपर कुछ काजू को रख दें और फिर उनको ओवन के अंदर डाल कर 350 डिग्री फॉरेनहाइट की ऊष्मा के ऊपर भुनने दें इस प्रकार यदि आप अपने ओवन के अंदर उन्हें आठ से 15 मिनट तक रखते हैं, तो यह उत्तम प्रकार से भुने हुए आपको प्राप्त होंगे। आपको यहां यह याद रखना चाहिए कि आपको हर 3 से 5 मिनट के अंदर काजू को थोड़ा हिला देना चाहिए जिससे उनका नीचे का हिस्सा अधिक ना भुन जाए। इसके उपरांत आप अपने काजू को निकालकर किसी प्लेट के ऊपर रख लें और फिर इसके उपरांत यह आपके सेवन करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • अब तक यह बात सिद्ध हो चुकी है कि काजू पेड़ों से प्राप्त होने वाला सबसे उत्तम प्रकार का सूख मेवा है। कई लोग पेड़ों से प्राप्त होने वाले सूखे मेवों से एलर्जी महसूस करते हैं। इस दिशा में कई लोग कई अन्य प्रकार के सूखे मेवे जैसे कि बदाम, चिलगोजे, पिस्ता, अखरोट आदि से भी एलर्जी महसूस करते हैं तो इसलिए उन्हें इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा अवश्य करना चाहिए।

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