Home स्वास्थ्य जानिये पित्ताशय की पथरी के लक्षण, जांच, इलाज और ज़रूरी बातें.

जानिये पित्ताशय की पथरी के लक्षण, जांच, इलाज और ज़रूरी बातें.

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पित्ताशय की पथरी एक आम बात हो गयी है. भारत में लगभग 6-9% लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है. यह ज़्यादातर मध्यम आयु वालों को या बुजुर्ग लोगों को होती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को पित्ताशय की पथरी की सम्भावना अधिक होती है. पूरे विश्व में उत्तर भारत में पित्ताशय की पथरी के सबसे ज्यादा केस देखने को मिलते हैं.

पित्ताशय पेट के दाहिनी ओर, लिवर (यकृत) के नीचे उपस्थित, एक छोटा सा नाशपाती के आकार का अंग होता है। पित्त लिवर में बनता है और पित्ताशय के अंदर संचित होता है। पित्त का कार्य भोजन को पचाने में मदद करना होता है। भोजन को पचाने के लिए पित्ताशय में एकत्रित यह पित्त छोटी आंत में भेजा जाता है। कभी-कभी पित्ताशय के अंदर पथरियां बन जाती हैं। यह पथरियां आकार में बहुत बारीक हो सकती हैं जैसे बालू के कण के बराबर. या ये गोल्फ बॉल के बराबर बड़ी भी हो सकती हैं। इनका आकार इन दोनों उदाहरणों के बीच कुछ भी हो सकता है. किसी किसी व्यक्ति के पित्ताशय में मात्र एक ही पथरी होती है और ऐसा भी संभव है कि पित्ताशय में एक से अधिक या असंख्य पथरियां हो। यदि पित्ताशय की पथरी की वजह से शरीर में परेशानी पैदा करने वाले लक्षण देखे जाएं तो ऑपरेशन के द्वारा पित्ताशय को निकाल दिया जाता है। यदि पित्ताशय की पथरी की वजह से कोई लक्षण या परेशानी नहीं है तो इस प्रकार की पथरी को इलाज की आवश्यकता नहीं होती। यदि यह पथरी शरीर में लक्षण उत्पन्न करती है तो ऑपरेशन के द्वारा पित्ताशय बाहर निकाल देना ही एक मात्र इलाज है।

पित्ताशय की पथरी से होने वाले लक्षण

ऐसा संभव है कि पित्ताशय की पथरी की वजह से कोई भी लक्षण देखने को ना मिले। और ऐसा भी हो सकता है कि अलग-अलग तरह की परेशानियों से मरीज ग्रसित हो जाए। यदि पित्ताशय की पथरी किसी छोटी नली में फंस कर रुकावट पैदा करती है तो नीचे लिखे हुए लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • पेट के ऊपरी और दाहिने हिस्से में बहुत अधिक दर्द होना
  • पेट के ऊपरी और बीच के हिस्से में बहुत अधिक तथा अचानक दर्द होना
  • जी मिचलाना या उल्टियां होना
  • दाहिने कंधे में दर्द होना
  • पीठ के ऊपरी हिस्से में दोनों कन्धों के बीच की जगह पर दर्द होना

ऐसा देखा जाता है कि पित्ताशय की पथरी से उठने वाला दर्द अचानक उठता है, बहुत तीव्र होता है, तथा कुछ घंटों तक भी बना रह सकता है। इसकी तीव्रता इतनी अधिक होती है कि मरीज को कई बार यह लगता है कि उसे हार्ट अटैक हुआ है। ज्यादातर इस दर्द से राहत पाने के लिए मरीज को अस्पताल जाना ही पड़ता है।

पित्ताशय की पथरी के कारण

अभी तक यह पूरी तरह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि पित्ताशय की पथरी किस वजह से बनती है। चिकित्सा जगत में यह माना जाता है कि पित्ताशय की पथरी बनने के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

अभी तक यह पूरी तरह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि पित्ताशय की पथरी किस वजह से बनती है। चिकित्सा जगत में यह माना जाता है कि पित्ताशय की पथरी बनने के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

  • पित्त में अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का होना: जब पित्त लिवर में बनता है तो इसमें लिवर द्वारा बनाया गया कोलेस्ट्रॉल भी मिला होता है। सामान्यतया पित्त में इतने केमिकल होते हैं जो इस कोलेस्ट्रॉल को घुला सके. पर कभी-कभी लिवर अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल को पित्त में मिला देता है। ऐसी अवस्था में पित्त में उपस्थित केमिकल कोलेस्ट्रॉल को घुलाने के लिए पर्याप्त नहीं होते। अधिक मात्रा में बचा हुआ कोलेस्ट्रोल धीरे-धीरे छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाता है जो अंत में पत्थर का रूप ले लेते हैं. इस तरह पित्त द्वारा अधिक कोलेस्ट्रॉल को ना घुला पाने की वजह से पित्ताशय कि पथरी का जन्म होता है।
  • यदि पित्त में बिलीरूबिन नाम के केमिकल की मात्रा बहुत अधिक हो: बिलीरुबिन एक ऐसा केमिकल है जो शरीर के द्वारा लाल रक्त कणिका को नष्ट करने के उपरांत पैदा होता है। जो लाल रक्त कणिकाएं उम्र दराज हो जाती हैं वह प्राकृतिक रूप से लिवर द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं। इस प्रक्रिया में बिलीरुबिन बनता है। किसी किसी अवस्था में लिवर द्वारा अधिक मात्रा में बिलुरुबिन का निर्माण होता है जैसे सिरोसिस, पित्त के विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन या कुछ विशेष खून की बीमारियां। इस प्रकार अधिक मात्रा में बना हुआ बिलुरुबिन पित्ताशय की पथरी बनाने में योगदान देता है।
  • पित्ताशय का ठीक तरह खाली ना होना: भोजन को पचाने की प्रक्रिया ठीक प्रकार चलती रहे इसके लिए यह जरूरी है कि पित्ताशय समय समय पर पूरी तरह खाली हो तथा उसके अंदर संचित पित्त छोटी आंत में भेज दिया जाए। कभी-कभी ऐसा होता है कि पित्ताशय ठीक प्रकार से खाली नहीं होता तथा उसके अंदर पित्त संचित रह जाता है। यदि यही प्रक्रिया लंबे समय के लिए चले तो पित्त धीरे धीरे काफी गाढ़ा हो जाता है, जिससे पित्ताशय की पथरी बनने लगती है।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार

पित्ताशय की पथरी मुख्य रूप से दो प्रकार की हो सकती है:

  • कोलेस्ट्रॉल पथरी: यह सबसे मुख्य प्रकार की पित्ताशय की पथरी है। यह अधिकतर पीली या मटमैले रंग की नजर आती है। यह मुख्य रूप से ना घुल सके हुए कोलेस्ट्रॉल से बनी होती है तथा इसमें कुछ अन्य तत्व भी मिले हो सकते हैं।
  • पिगमेंट पथरी: पिगमेंट का अर्थ है रंग. यह पथरी ज्यादातर गहरे भूरे या काले रंग की होती है। यह पथरी बनती है जब पित्त में बिलुरुबिन बहुत अधिक मात्रा में होता है।
  • मिश्रित पथरी: इनमें आदर्श रूप से 20-80 प्रतिशत कोलेस्ट्रौल होता है और साथ ही कैल्सियम कार्बोनेट, पॉमिटेट फॉस्फेट, बिलिरुबिन और तत्व हो सकते हैं।
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पित्ताशय की पथरी बनने के लिए मुख्य रूप से कौन से खतरे होते हैं?

  1. स्त्रीलिंग होना
  2. उम्र 40 साल या अधिक होना
  3. शरीर का वजन अधिक होना
  4. गर्भवती होना
  5. अधिक फैट या वसायुक्त आहार लेना
  6. अधिक कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन करना
  7. खाने में फाइबर की कमी होना
  8. व्यायाम ना करना
  9. ज्यादातर बैठे रहना
  10. डायबिटीज की बीमारी होना
  11. पित्त की पथरी परिवार में किसी अन्य सदस्य को भी होना
  12. बहुत जल्दी बहुत अधिक वजन कम करना
  13. लिवर की कुछ बीमारियां होना
  14. कुछ ऐसी दवाई लेना जिसमें एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन होता है जैसे गर्भनिरोधक गोली या मीनोपॉज के बाद दी जाने वाली हॉरमोन थेरेपी
  15. कुछ खास किस्म की खून की बीमारियां होना जैसे ल्यूकीमिया, सिकल सेल एनीमिया

पित्ताशय की पथरी के कॉम्प्लिकेशन

  1. पित्ताशय में सूजन आना: जब कभी पित्ताशय की पथरी पित्ताशय की गर्दन में फंस जाती है तो इससे पित्ताशय में सूजन आ सकती है। ऐसा पित्ताशय की पथरी के लगभग दो प्रतिशत मरीजों में देखने को मिलता है. पित्ताशय में सूजन की वजह से पेट में बहुत अधिक दर्द तथा बुखार हो जाना सामान्य है। इसमें जी मिचलाना तथा उल्टियां भी देखी जाती हैं।
  2. पित्ताशय का परिवहन करने वाली कॉमन बाइल डक्ट (सामान्य पित्त नलिका) में अवरोध आ जाना: पित्ताशय की पथरी कॉमन बाइल डक्ट (सामान्य पित्त नलिका) में अवरोध पैदा कर सकती है। यह पित्त को पित्ताशय या लिवर से छोटी आंत तक लेकर जाती है। इसमें अवरोध होने की वजह से पेट में बहुत अधिक दर्द तथा पीलिया हो सकता है।
  3. पैंक्रियास (अग्न्याशय) की नली में रुकावट: पैंक्रियास की नली पैंक्रियास ग्रंथि के अंदर होती है तथा छोटी आंत में खुलने के पहले कॉमन बाइल डक्ट से जुड़ जाती है। इस नली के जरिए पैंक्रियास से निकलने वाले पाचन रस छोटी आंत में पहुंचते हैं। पित्ताशय की पथरी पैंक्रियास की नली में रुकावट पैदा कर सकती है इसकी वजह से पैंक्रियास में सूजन आ सकती है। पैंक्रियास में सूजन को पेनक्रिएटाइटिस कहते हैं। इसकी वजह से पेट में बहुत तेज दर्द पैदा हो सकता है तथा इस बीमारी में ज्यादातर अस्पताल में दाखिल होने की नौबत आती है।
  4. पित्ताशय का कैंसर: जिन लोगों में पित्ताशय की पथरी का इतिहास होता है उनमें पित्ताशय के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। पित्ताशय का कैंसर समाज में बहुत कम देखने को मिलता है। इसलिए भले ही पिताशय के कैंसर की संभावना बढ़ जाए पर असल में बहुत कम लोग इस कैंसर से प्रभावित होते हैं।

पित्ताशय की पथरी से बचाव के उपाय

  • भोजन समय पर करें: यह जरूरी है कि आप समय पर अपना खाना खाएं और कभी भी खाना ना छोड़े। यदि आप बार-बार खाना छोड़ते हैं या अधिक उपवास रखते हैं दो पित्ताशय की पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
  • वजन धीरे-धीरे कम करिए: यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो आपको यह प्रक्रिया धीरे-धीरे करनी चाहिए। यदि बहुत जल्दी बहुत अधिक मात्रा में वजन कम किया जाए तो पित्ताशय की पथरी बनने के आसार काफी बढ़ जाते हैं। आपको प्रति हफ्ते आधा से 1 किलो वजन कम करना का ही लक्ष्य बनाना चाहिए।
  • खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाना: पित्ताशय की पथरी से बचाव के लिए आपको अपने भोजन में रेशे की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। ऐसा करने के लिए आपको अपने आहार में कच्चे फल, सब्जियां तथा होल ग्रेन या संपूर्ण अनाज की मात्रा में इजाफा करना चाहिए।
  • शरीर का वजन सामान्य श्रेणी में रहना चाहिए: यह जान लेना आवश्यक है कि शरीर का वजन अधिक होने पर या मोटापा होने पर पित्ताशय की पथरी के आसार बढ़ जाते हैं। यदि आप मोटापे के शिकार हैं तो आपको अपने भोजन में कैलोरी की संख्या कम करनी चाहिए तथा व्यायाम अवश्य करना चाहिए। एक बार सामान्य वजन पा लेने के बाद उसे मेंटेन रखना इतना मुश्किल नहीं होता। पर इसके लिए आपको खाने पीने का परहेज तथा समय-समय पर व्यायाम अवश्य करना चाहिए।

पित्ताशय की पथरी डायग्नोसिस या निदान

  1. पेट का अल्ट्रासाउंड: पित्ताशय की पथरी के परीक्षण के लिए सबसे अधिक पेट के अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल होता है। यह पूरी तरह सुरक्षित टेस्ट है तथा इसकी मदद से पित्ताशय की पथरी के लगभग सभी केस में पकड़ में आ जाते है। अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया में एक छोटे से यंत्र को पेट के ऊपर अलग-अलग स्थानों पर रखते हैं तथा पेट के अंदर सभी अंगों की संरचना कंप्यूटर में दिखाई देती है। इस प्रक्रिया के द्वारा पित्ताशय के अंदर की संरचना भी दिखती है तथा पथरी होने पर साफ साफ नजर आ जाती है।
  2. एंडोस्कोपी के द्वारा अल्ट्रासाउंड: इस प्रक्रिया का इस्तेमाल पित्ताशय के अन्दर स्थित बहुत छोटे पत्थरों को पहचानने में किया जाता है। पेट के अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया में यदि बहुत छोटे पत्थर हो तो डायग्नोसिस कठिन हो सकती है। एंडोस्कोपी के द्वारा अल्ट्रासाउंड में एक पतली सी नली मुंह के रास्ते पाचन तंत्र में डाली जाती है। इस नली के अंदर एक अल्ट्रासाउंड का यंत्र लगा होता है जो पेट के अंदर के सभी अंगों की साफ-साफ तस्वीर कंप्यूटर पर भेजता है। इन तस्वीरों की मदद से पित्ताशय के अंदर की पथरी की पहचान हो जाती है।
  3. इमेजिंग टेस्ट: जैसे पेट का सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, एमआरसीपी, हिडा स्कैन या कोलिसिस्टोग्राफी। ईआरसीपी प्रक्रिया में पित्ताशय की पथरी ना सिर्फ देखी जा सकती है बल्कि प्रक्रिया के दौरान उन्हें निकाला भी जा सकता है।
  4. खून की जांच: खून की जांच द्वारा पित्ताशय की पथरी का पता नहीं लगता, किंतु पीलिया, पैंक्रियास में सूजन, पित्ताशय में सूजन या इन्फेक्शन तथा अन्य कॉम्प्लिकेशन के बारे में जानकारी मिलती है।
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पित्ताशय की पथरी का इलाज

पित्ताशय की पथरी से पीड़ित ज्यादातर लोगों को कोई लक्षण पैदा नहीं होता इसलिए उन्हें इलाज की जरूरत भी नहीं पड़ती। यदि पथरी की वजह से शरीर में परेशानी पैदा करने वाले लक्षण पैदा होते हैं तब ही इलाज की जरूरत होती है अन्यथा नहीं। पित्ताशय की पथरी में मुख्य रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले इलाज इस प्रकार है:

ऑपरेशन के द्वारा पित्ताशय को निकाल देना

इस प्रक्रिया को कोलिसिस्टेक्टोमी भी कहते हैं। पित्ताशय को निकाल देने के बाद पित्त (जो लिवर में बनता है) सीधे छोटी आंत में चला जाता है, बिना पित्ताशय में संचित हुए। आपको यह जानना आवश्यक है कि पित्ताशय का कार्य पित्त को संचित करना है इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। पित्ताशय की आवश्यकता हमें जीवन जीने के लिए नहीं है। पित्ताशय ना पित्त बनाता है और ना पित्त को छोटी आंत में खाना पचाने के लिए भेजता है। यह पित्त को सिर्फ संचित करता है। इसलिए पित्ताशय को निकालने के बाद भी पित्त सामान्य रूप से लिवर में बनता है तथा छोटी आंत में जाता है एवं सामान्य रूप से भोजन पचाने में अपना योगदान देता है। पित्ताशय के ऑपरेशन के बाद कुछ समय के लिए भोजन के पाचन की प्रक्रिया में थोड़ी मुश्किल आ सकती है जिसकी वजह से डायरिया हो सकता है पर यह समस्या कुछ समय के लिए ही होती है।

पित्ताशय की पथरी को घुला देने वाली दवा

पित्ताशय की पथरी को घुला देने वाली दवाएं कई बार वर्षों तक लेनी पड़ सकती हैं और यदि रोक दी जाए तो पित्ताशय की पथरी दोबारा बन सकती है। यह भी पक्का नहीं है कि यह दवाएं काम करें। इसलिए इन दवाओं का इस्तेमाल अधिकतर नहीं किया जाता है तथा यह उन मरीजों में इस्तेमाल की जाती हैं जो ऑपरेशन के लिए उपयुक्त नहीं है।

यदि आप पित्ताशय की पथरी से पीड़ित है तो अपने डॉक्टर से यह सभी सवाल पूछ सकते हैं:

  • क्या यह पथरी ही मेरा पेट दर्द की वजह है ?
  • क्या ऐसी कोई संभावना है कि यह पथरी के अलावा अन्य किसी कारण से मुझे पेट में दर्द और अन्य लक्षण हैं?
  • क्या ऑपरेशन के बिना मेरा इलाज नहीं हो सकता?
  • ऑपरेशन के साथ कौन-कौन से खतरे जुड़े हुए हैं?
  • पित्ताशय के ऑपरेशन के बाद पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगता है?
  • मुझे पित्ताशय की पथरी के अलावा भी बीमारियां हैं क्या इन बीमारियों का मेरी पथरी से कोई संबंध है?
  • मेरी डायग्नोसिस पक्की करने के लिए किस तरह की जांचों की आवश्यकता है?
  • क्या पित्त को घुला देने वाली दवाओं से मैं ठीक हो सकता हूं?

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