जानिये 12 राशियों के 12 ज्योतिर्लिंग (और उनके मन्त्र भी)
पुराणों के अनुसार शिवजी
जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों
के रूप में पूजा जाता है। शतरुद्र संहिता,...
श्री ललिता त्रिपुरसुन्दरी देवी द्वारा सृजन & भंडासुर से युद्ध की तैयारी
श्री ललिता त्रिपुरसुन्दरी देवी ने भंडासुर नाम के अति-शक्तिशाली दानवराज को परास्त करने के लिए अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों से कई...
सिख धर्म के तीसरे गुरु श्री अमरदास जी का जीवन परिचय
गुरु अमरदास जी सिखों के तीसरे गुरु थे। उन्हें गुरु अंगददेव जी (सिखों के दूसरे गुरु) द्वारा 16 अप्रैल 1552 को 73...
शनिदेव की साढ़े-साती का श्रीकृष्ण पर क्या प्रभाव पड़ा?
भगवान श्री कृष्ण
ने दैविक वास्तुकार 'त्वाश्त्री' द्वारा स्वर्ण की नगरी द्वारका का
निर्माण करवाया था। द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण अपनी सोलह हजार स्त्रियों...
सिख धर्म के दूसरे गुरु श्री अंगद देव जी का जीवन परिचय
गुरु अंगद देव जी सिखों के दूसरे गुरु थे । उनके बचपन का नाम लेहना था और उनका जन्म 1504 में पंजाब...
ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष अनुसार क्या खाना खाएं?
जिन व्यक्तियों का सूर्य उनकी कुंडली में कमजोर होता है वह खाने में अधिक नमक का इस्तेमाल करते हैं। इसकी वजह से उन्हें हड्डियों...
दस महाविद्या (4): देवी भुवनेश्वरी – महिमा एवं मंत्र
दस महाविद्या में भुवनेश्वरी देवी का चौथा स्थान है। इन्हें आदि पराशक्ति या पार्वती भी कहते हैं जो शक्ति के सबसे पुरातन...
सिख धर्म के चौथे गुरु श्री रामदास जी का जीवन परिचय
गुरु रामदास जी सिखों के चौथे गुरु थे, जिनका जन्म लाहौर शहर के चूना मंडी नामक स्थान पर हुआ। गुरूजी के पिताजी...
जानिये बौद्ध धर्म की ये 35 बेहद ख़ास बातें
बौद्ध धर्म की स्थापना भारत में 2,500 साल से भी पहले सिद्धार्थ गौतम ("बुद्ध") ने की थी। गौतम बुद्ध का जन्म 563...
सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री अर्जन देव जी का जीवन परिचय
गुरु अर्जन देव जी सिखों के पांचवें गुरु थे। गुरु अर्जन देव जी का जन्म सन 1563 में पंजाब के गोइंदवाल नामक...