क्या आप कैंसर-रोगी के देखभालकर्ता हैं? जानिये ये बहुमूल्य टिप्स.

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जब किसी को कैंसर की बीमारी होती है तो उस इंसान के जीवन में उस से जुड़े हुए सभी लोग इससे प्रभावित होते हैं चाहे वह परिवार के सदस्य हो या मित्र या सहकर्मी या पड़ोसी या कोई और। इसमें कोई शक नहीं कि सभी लोग कैंसर पीड़ित के प्रति संवेदना रखते हैं। आखिर कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो कई बार लाइलाज होती है। कैंसर से पीड़ित रोगी की देखभाल (Caregiving) करने का काम अधिकतर कोई एक नजदीकी व्यक्ति ही लेता है। कैंसर रोगी की देखभाल करना अपने आप में एक पूर्णकालिक कार्य है। देखभालकर्ता ज्यादातर रोगी के पति या पत्नी, भाई या बहन, माता या पिता, या कोई अन्य करीबी ही होता है।

देखभालकर्ता (Caregiver) कैंसर रोगी के इलाज एवं देखभाल संबंधी समस्त कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। चाहे रोगी का अपॉइंटमेंट लेना हो या समय पर दवा देनी हो या कोई मेडिकल जांच करवानी हो या अस्पताल में दाखिले के बाद रोगी के साथ समय बिताना हो – देखभालकर्ता यह सभी कार्य करता है। इसके अलावा कैंसर रोगी के देखभालकर्ता को घर की सभी जिम्मेदारियों का वहन भी करना पड़ता है, जैसे बच्चों की देखभाल, खाने पीने की व्यवस्था, साफ सफाई, समय पर बिल भरना, पैसे की कमी ना हो इत्यादि।

इतनी सभी जिम्मेदारियां निभाने में देखभालकर्ता के समय और ऊर्जा की अत्यधिक क्षति होती है और यदि लंबे समय तक यह करना पड़े तो कई बार देखभालकर्ता को मानसिक थकान हो जाती है। यह सुनने में अजीब लगता होगा कि सबसे अधिक प्रेम करने वाले व्यक्ति की देखभाल करने में कैसी थकान। पर कैंसर के माहौल में बिताया गया एक दिन भी एक वर्ष के समान लंबा और थकान भरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में बहुत सारी जिम्मेदारियों का वहन करते हुए कोई भी व्यक्ति, जो देखभालकर्ता का रोल अदा कर रहा है, मानसिक रूप से अधीर और परेशान हो सकता है।

यदि कैंसर पर विजय प्राप्त करनी है तो कैंसर रोगी के देखभालकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में पूरा ध्यान रखना चाहिए। कैंसर रोगी के देखभालकर्ता के मानसिक थकान को मिटाने के लिए कुछ बातें बहुत जरूरी हैं. यदि इनका ध्यान ना दिया जाए तो देखभाल की प्रक्रिया में कमी आ सकती है जिससे ना सिर्फ कैंसर की जीत हो सकती है बल्कि देखभालकर्ता स्वयं भी मानसिक बीमारी से ग्रसित हो सकता है। आइए जानते हैं कि कैंसर रोगी के देखभालकर्ता को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

प्रतिदिन छोटी-छोटी अवधि के लिए अवकाश ले लीजिये.

यह आपकी मानसिक सेहत के लिए बहुत जरूरी है। बिना अवकाश के लगातार कैंसर रोगी की देखभाल करना मानसिक रूप से अत्यंत थकावट और अवसाद पैदा करने वाला कार्य हो सकता है। कई बार चिड़चिड़ापन हो सकता है या धीरज खोने की नौबत भी आ सकती है। मन में बुरे और नकारात्मक विचार ना आए इसलिए यह जरूरी है कि प्रतिदिन देखभालकर्ता द्वारा अपने कार्य से छोटी छोटी अवधि के लिए अवकाश लिया जाए। यह अवकाश उस समय पर लिए जा सकते हैं जब मरीज सो रहा है या जब आप किसी अन्य पर देखभाल की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।

अपनी नींद पूरी लीजिए।

प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर को इस प्रकार बनाया गया है कि चाहे हम दिन भर में कितनी भी जटिल समस्याओं का सामना कर ले रात को गहरी नींद लेने के बाद सुबह हमारा शरीर फिर से तनाव के लिए तैयार हो जाता है। परंतु यदि यह नींद पूरी ना हो तो कुछ ही दिनों के अंदर मनुष्य का नर्वस ब्रेकडाउन हो सकता है। कैंसर के रोगी के सहायक के रूप में मानसिक तनाव चरम स्थिति पर होता है। ऐसे में यदि नींद पूरी ना ली जाए तो यह तनाव बढ़ भी सकता है तथा किसी अन्य रूप में भी परिवर्तित हो सकता है, जैसे नकारात्मकता, चिड़चिड़ापन, हीन-भावना, आत्महत्या के विचार इत्यादि। इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपनी नींद अवश्य पूरी करें तथा उस वक्त पर आप देखभाल की जिम्मेदारी किसी और को सौंप सकते हैं। आप रोगी के डॉक्टर से बात कर सकते हैं कि वह रोगी को सोने में मदद करने के लिए कुछ तरीके बताएं या दवाई दें। दोगी के सोने के साथ ही आप अपने सोने का नियम भी बना सकते हैं।

स्वस्थ आहार लेना अति आवश्यक है।

व्यक्ति के नर्वस सिस्टम को ठीक तरह से काम करने के लिए प्रचुर मात्रा में विटामिन और पोषक आहार की जरूरत होती है। अगर कैंसर रोगी के देखभालकर्ता के भोजन में पोषक तत्वों का अभाव होगा तो उसका स्नायु तंत्र कमजोर हो जाएगा जिससे वह तनाव ले पाने में धीरे-धीरे असमर्थ हो जाएगा. ऐसी अवस्था में मानसिक थकान देखभालकर्ता को पूरी तरह अपंग बना सकती है। कैंसर रोगी के इलाज में किसी प्रकार की कोताही ना हो इसके लिए देखभालकर्ता का पूरी तरह स्वस्थ होना जरूरी है। इसलिए समयानुसार पौष्टिक आहार अवश्य लें तथा यदि समय अभाव के कारण यह संभव ना लगे तो किसी अन्य को यह जिम्मेदारी सौंप दें जो आपको सही समय पर सही आहार प्रदान करते।

एक लिस्ट बनाएं जिसमें हर ज़रुरत के व्यक्ति या संस्था का फ़ोन नंबर हो.

इस लिस्ट में उन सभी लोगों के नाम फोन नंबर और पते होने चाहिए जो किसी खास अवसर पर आपकी मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आपका अखबार वाला आपके पड़ोसी आपके ऑफिस के सहकर्मी, एनजीओ, वालंटियर ऑर्गेनाइजेशन, आसपास के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, सेल्फ-हेल्प ग्रुप, कम्युनिटी सेंटर इत्यादि। आप को यदि किसी भी वक्त ड्राइवर की जरूरत हो तो आपके पास ड्राइवर का नंबर होना चाहिए। भोजन के लिए आपके पास आसपास के रेस्टोरेंट का नंबर होना चाहिए.

मोबाइल का सही इस्तेमाल करना सीखें.

आजकल कई किस्म के एप्स मार्केट में आ गए हैं जो आप अपने मोबाइल में डाल सकते हैं। इसकी मदद से आप घर बैठे ही घर के सामानों की खरीदारी भी कर सकते हैं और डिलीवरी भी करा सकते हैं। साथ ही घर के अंदर होने वाले छोटे-मोटे काम और मरम्मत के लिए भी आप को स्वयं बाजार जाकर किसी को बुलाने की जरूरत नहीं है। यह कार्य भी एप्स के द्वारा आराम से किया जा सकता है। एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए टैक्सी वगैरा भी ऐप से बुक हो जाती है। यदि आपको एप्स का इस्तेमाल करना ठीक से नहीं आता है तो आप यह जल्द से जल्द सीख ले क्योंकि देखभाल कर्ता के रूप में यह आपकी बहुत मदद करेगा।

किसी से मदद मांगने में किसी प्रकार की ग्लानि महसूस ना करें।

लोगों के लिए अलग-अलग कार्य निर्धारित करें तथा उन्हें समय पर बता दें। ज्यादातर ऐसा होता है कि यदि किसी व्यक्ति को पता हो कि उसे क्या करना है तो वह उस कार्य को अच्छी तरह से अंजाम दे सकता है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति को कैंसर रोगी के लिए कुछ करने का मौका मिले जिसे करने में अधिक श्रम या संसाधन ना लगे तो उसे करने में कोई परेशानी नहीं होती। यह ध्यान रखें कि जब भी कोई आपकी मदद करें तो आप उसे धन्यवाद जरूर करें।

कुछ ऐसी गतिविधियां या विषय ढूंढें जिनके बारे में सोच कर या काम करके आपको खुशी हो।

आपको ऐसी एक्टिविटी भी ढूंढने चाहिए जिसे करके कैंसर रोगी को भी आनंद महसूस होता हो। यह कुछ भी हो सकता है जैसे वेब सीरीज देखना, कॉमेडी शो देखना, कार्टून देखना, किताब पढ़ना, उपासना करना, लिखना, दोस्ती बनाना, चित्रकारी करना, गाने गाना, फोटो खींचना या कुछ भी और।

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सभी मेडिकल रिकॉर्ड को एक जगह संचित करके रखें।

आपको एक फाइल या फोल्डर बनाना चाहिए जिसमें आप मरीज के इलाज से संबंधित सभी कागजों को एक साथ रख सकें। यह मानकर चलें कि कैंसर का इलाज लंबा हो सकता है। ऐसे में कई किस्म की जांच, कई किस्म के प्रिसक्रिप्शन तथा अन्य मेडिकल कागज़ आप को संजोकर रखने पड़ेंगे. ऐसा ना होने पर यदि एक भी कागज समय पर ना मिले तो आप का तनाव बढ़ सकता है। साथ ही ऐसे में मरीज की सेवा और इलाज में भी कमी आ सकती है। इसलिए आप उस फाइल में एक ऐसी लिस्ट भी रखें जिसमें आगे आने वाले कुछ समय तक कौन सी गतिविधि कब करनी है इस बारे में लिखा हो। इस फाइल में सभी लैब टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट की रिपोर्ट भी लगी होनी चाहिए. इस फाइल में एक कागज ऐसा भी रखें जिसमें आपको अपॉइंटमेंट के दौरान डॉक्टर से पूछने वाले प्रश्न लिखे हुए हो। आप इस फाइल के सभी कागजों को स्कैन करके या उनकी फोटो खींचकर अपने फोन में भी रख सकते हैं। ऐसा करने पर आपको हर जगह इस फाइल को लेकर जाने की जरूरत नहीं है।

अपने आप की प्रशंसा खुद से करिए।

वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि सकारात्मक बातों का प्रभाव सीधे मन पर पड़ता है। आपको कई बार स्वयं को यह बताना चाहिए कि आप एक अच्छा कार्य कर रहे हैं। आपको स्वयं को यह याद दिलाना चाहिए कि आपके द्वारा किया गया यह देखभाल का कार्य किसी व्यक्ति को उसका जीवन वापस दिला सकता है। देखा जाए तो सच में एक देखभालकर्ता की जिम्मेदारी असीम और दैविक होती है। इसलिए अपने आप को यह याद दिलाते हुए कि आप एक उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाईये । यदि आप देखभालकर्ता का कार्य करने की वजह से अपना प्रोफेशनल कार्य ठीक से नहीं कर पा रहे हैं तो इसके लिए खुद को जिम्मेदार मत मानिए। आप अपने जीवन में कोई भी कार्य प्राथमिकता के हिसाब से ही कर सकते हैं। यदि आपने कैंसर रोगी की देखभाल करने के कार्य को प्राथमिकता दी है तो अन्य कार्यों परिणाम के हिसाब से खुद का नकारात्मक आंकलन मत करिए।

अपने शारीरिक या मानसिक लक्षणों को अनदेखा मत कीजिये.

यदि आप अधिक नर्वस महसूस कर रहे हैं या आपके मन में हीन भावना के या नकारात्मक ख्याल लगातार आ रहे हैं तो आप शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लीजिए। कैंसर रोगी की देखभाल करने का अर्थ यह नहीं है कि आप अपने स्वास्थ्य को अनदेखा कर दें। देखभालकर्ता के रूप में मानसिक शक्ति की कमी होना एक बहुत ही प्राकृतिक और सामान्य बात है। ऐसे में किसी भी तरह के मानसिक लक्षणों को अनदेखा करना दूरगामी परिणामों के हिसाब से गलत हो सकता है। अपने आप को यह समझाएं कि यदि आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तभी आप कैंसर रोगी की पूरी तरह मदद कर सकते हैं।

बेशक देखभालकर्ता का कार्य समाज में अच्छी निगाह से देखा जाता है, पर आंकड़ों की मानें तो देखभालकर्ताओं को अपने रोज़मर्रा के जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है. सेवा करते करते अपने स्वास्थ्य में ह्रास होना देखभालकर्ता के साथ एक आम बात है. कार्यक्षेत्र में भी कोई मदद नहीं मिलती. समाज में ऐसी योजनायें नहीं हैं जो देखभालकर्ताओं को मदद करें. एक देखभालकर्ता के रूप में आप समाज में वह कार्य कर रहे हैं जो करने का मौका चुनिंदा जुझारू लोगों को ही मिलता है। अपने मन में अपने आप पर गर्व करें तथा अपने कार्य को अपनी जिम्मेदारी समझकर भली-भांति अंजाम दे।

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