जानिए शिशु को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) के ये वैज्ञानिक टिप्स

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एक छोटे से शिशु को पालना इतना आसान नहीं होता जितना कि सुनने में लगता है, और यह बात हर कोई जानता है। आज हम आपको यहां ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) से जुड़ी कुछ टिप्स देने जा रहे हैं जो आप जैसी हर नई मां की जरूरत होती है। यह टिप्स हमने विशेषज्ञों से सलाह करके सूचीबद्ध की हुई है। यहां हम आपको कुछ टिप्स देंगे, कुछ शॉर्टकट्स बताएंगे और आपकी कुछ समस्याओं का समाधान भी देंगे।

शिशु को पालना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, परंतु यह आसान नहीं होती है। तकरीबन 83% माताएं जन्म के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराने में सफल होती हैं। जबकि केवल 57% महिलाएं शिशु के 6 माह की आयु होने तक उन्हें ब्रेस्टफीडिंग करवा पातीं हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) ने यह सलाह दी हुई है कि शिशु के जन्म के 6 माह तक उसे ब्रेस्टफीडिंग कराना अनिवार्य होता है। शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग कराने से उसे बचपन में होने वाले मोटापे के खतरे से बचाया जा सकता है, साथ ही संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है, इम्यून सिस्टम मजबूत किया जा सकता है और एलर्जी के खतरे को भी कम किया जा सकता है। ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराने से न सिर्फ शिशु के दिमाग का विकास होता है बल्कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।

यदि आपने निश्चय कर लिया है कि आप अपने शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने की कोशिश करेंगीं तो आपको कुछ और बातों का भी निश्चय करने की जरूरत है जैसे कि थोड़ा सा धैर्य, अच्छी और सही योजना और दृढ़ संकल्प। यदि आप इनके साथ चलेंगे तो आपकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी। यहां हमने कुछ टिप्स भी हैं जो आपके उन शुरुआती दिनों में आपको मदद करेंगें।

Table Of Contents
  1. प्री-बेबी ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी
  2. हॉस्पिटल में ब्रेस्टफीडिंग कराने की युक्तियां
  3. बच्चे को सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए जरूरी बातें
  4. पहले कुछ सप्ताह में ब्रेस्टफीडिंग के प्रति सावधानियां
  5. शिशु की देखभाल करने के साथ ही काम पर वापस लौटना

प्री-बेबी ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी

विशेषज्ञ से सलाह

बच्चे के जन्म लेने से पूर्व यह अच्छा होगा यदि आप किसी नर्सिंग विशेषज्ञ या फिर ब्रेस्टफीडिंग सलाहकार के साथ मिलकर अपने विचारों को साझा कर लें। वह उन युक्तियां को आप को समझा सकती है, जो शुरुआत में आपकी मदद करेंगे। जिनसे आपको यह पता लग सकेगा कि आपको वास्तव में कब मदद की जरूरत है।

असलियत को देखें

यदि आपकी दोस्तों की लिस्ट में आपकी कोई दोस्त नर्सिंग कर रही है तो यह आपके लिए उचित अवसर होगा कि आप उससे यह पूछे कि क्या आप उसे बच्चों की नर्सिंग करते समय देख सकतीं हैं? यदि ऐसा नहीं है तो आप इस तरह के समूह (ग्रुप), जिनमें माएं अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराती हो, का चुनाव करें और उनमें शामिल होने की कोशिश करें। यह आपको आने वाले समय के लिए अच्छे से तैयार कर देंगे। आप किसी भी किस्म के संदेह को मौके पर ही पूछ कर ख़त्म कर सकते हैं और आपका आत्मविश्वास बढ़ सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए जगह बनाएं

बेबी के जन्म लेने से पहले अपने घर में अपने लिए एक आरामदायक कुर्सी के साथ अच्छी तकिया, साइड टेबल का इंतजाम कर लें। इस साइड टेबल पर आप अपने लिए नाश्ता, पानी, नर्सिंग पैड, तौलिया, अपना फोन और अच्छी किताब रखने की जगह बना सकती हैं। आने वाले समय में यह वह जगह बनने वाली है जहां आप अपना ज्यादातर समय बिताएंगीं। कोशिश करें बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आप खुश रहें और आरामदायक स्थिति में हों।

अस्पताल को यह पहले से बताएं कि आप क्या चाहते हैं

अपने डॉक्टर से इस बात पर सलाह मशवरा पहले से कर ले कि आप जितना हो सके अपने बच्चे को अपने ही कमरे में अपने पास रखना चाहते हैं। एक साथ एक जगह बच्चे को अपने पास रखने से आपका बच्चे के साथ रिश्ता जल्दी और अच्छा बनने में मदद मिलेगी। साथ ही आप बच्चे को कब फीड कराना है इस बारे में भी जल्दी से और पूरी तरह समझ सकेंगे।

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हॉस्पिटल में ब्रेस्टफीडिंग कराने की युक्तियां

मदद पाने के लिए इंतजार ना करें

यदि अस्पताल की नर्स आपसे कहती हैं कि आप ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन आपको अभी भी दर्द हो रहा है तो समय है आप किसी लेक्टेशन विशेषज्ञ को कॉल करके उनकी सलाह लें। यदि डॉक्टर का यह कहना है कि आपका बच्चा पूरी तरह से वजन नहीं ले रहा है तो ऐसी स्थिति में अच्छा होगा कि आप किसी बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें। यदि आपकी अंदर की आवाज यह कहती है कि कुछ सही नहीं हो रहा है तो ऐसे में चुप रहने के बजाय बोलें। चुप रह कर के किसी भी मुश्किल का हल नहीं निकाला जा सकता।

डिलीवरी होने के 1 घंटे के भीतर ही अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड कराने की कोशिश करें

2 घंटे के बाद बहुत से शिशुओं के लिए यह मुश्किल हो जाता है। उस समय नई बनी मां को भी ऐसा लगने लगता है जैसे कि वह बहुत कम मात्रा में अपने बच्चे का पेट भर पा रही है। इस तरह की होने वाली स्थिति को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि आप डिलीवरी होने के 1 घंटे के भीतर ही अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाएं। इस समय बच्चे को मिलने वाला दूध उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। मां के इस दूध को आयुर्वेद में अमृत माना गया है।

बच्चे के पापा को भी अस्पताल में अपने साथ रखें

यह बहुत जरूरी है कि जब भी आप लेक्टेशन सलाहकार (स्तनपान विशेषज्ञ) से मिले तो उस समय आपका जीवनसाथी भी आपके साथ हो। आप दोनों साथ में ही हॉस्पिटल जाएं और बच्चे के जन्म तक साथ ही रहें। कई बार पिता भी आने वाली मुश्किलों को बहुत अच्छे से सुलझा लेते हैं। डिलीवरी के बाद ऐसा कई बार होता है कि आपको बहुत थकावट का अनुभव हो, साथ ही आप खुद को नींद से वंचित महसूस करें। यह स्थिति आपके लिए बहुत मुश्किल होगी, ऐसे समय में आपके जीवनसाथी का आपके साथ होने से आप दोनों आने वाली मुश्किलों का सामना आसानी से कर सकेंगे।

उन छोटे-छोटे पैरों पर ध्यान दें

“शिशु अपने आप को बहुत सुरक्षित महसूस करता है, जब उनके पैर किसी चीज को छू रहे होते हैं। ऐसे समय में कोशिश करें की उसका पैर आपके हाथ या आप की बगल की तकिया या आपको छू रहा हो।” ऐसा कई प्रशिक्षित लेक्टेशन काउंसलर का मानना है।

किसी भी फार्मूले को अपनाने के पहले कई बार विचार करें

यदि आप इस बात के लिए सुनिश्चित नहीं हैं कि आपको कितने समय में ब्रेस्टफीडिंग(स्तनपान) करानी चाहिए, तो हॉस्पिटल जाएं और बात करें। ऐसा कोई भी फार्मूला जो चिकित्सीय तौर पर जरूरी ना हो, आपके स्वास्थ्य को और बच्चे के लिए दूध की आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है।

बच्चे को सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए जरूरी बातें

बच्चे की पोजीशन पर ध्यान दें

इस बात का ध्यान रखें कि आपके बेबी का पेट आपको इस प्रकार से छू रहा हो कि उसको आपकी तरफ करवट लेकर के ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) करने की जरूरत ना पड़े। इस समय उसकी नाक का ध्यान रखें क्योंकि कई बार ब्रेस्टफीडिंग कराते समय बच्चों की नाक दबने लगती है, इसलिए उसे थोड़ा सा सिर की तरफ से ऊपर को उठा लें। जिससे उसका मुंह अपने आप थोड़ा ज्यादा और आराम से खुल जाएगा और वह आसानी से दूध पी सकेगा।

अपने शिशु के सिर को पीछे की तरफ धक्का ना दें

यदि आप ऐसा करेंगीं तो वह प्रतिरोध करने लगेगा, जिससे बच्चे का बैलेंस बिगड़ सकता है। इसके बजाय आप अपने हाथों को अपने बच्चे की गर्दन के पास रखें और उसे स्वयं अपने पास ब्रेस्टफीडिंग करवाने के लिए लाए।

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पहले कुछ सप्ताह में ब्रेस्टफीडिंग के प्रति सावधानियां

समय को ना गिनें

शुरुआती दिनों में आप अपने शिशु को जब ब्रेस्टफीडिंग के दौरान, उसे पहले एक तरफ से अपना सिर खुद हटाने दें, उसके बाद ही उसे दूसरी तरफ के ब्रेस्टफीडिंग के लिए लें कर जाएं। कुछ शिशुओं के लिए एक ही तरफ से ब्रेस्टफीडिंग कर लेने से उनका पेट भर जाता है। परंतु कुछ दोनों तरफ से करते हैं। हर बच्चे का अपना अलग तरीका होता है। इसलिए इस समय आप सिर्फ अपने शिशु पर ध्यान दें, घड़ी की सुई के ऊपर नहीं।

अपनी तरफ थोड़ा सा झुक कर लेटें

यह आपको आपके कंधे और पीठ के निचले हिस्से को आराम देने में सहायता करेगा। यदि आप उन नई बनी हुई मांओं में से एक हैं जिनका अभी सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है या जिन्हें कार्पल टनल सिंड्रोम है या जो बहुत ज्यादा थक गई हैं, इस स्थिति में लेटने से उनको राहत मिलेगी। जहां तक हो सके अपने घुटनों के बीच में तकिए को रखें और अपने सिर के नीचे अपने हाथ को और बेबी को अपने चेहरे के पास लाएं। आप शुरुआती तौर पर किसी की मदद भी ले सकतीं हैं।

नर्सिंग स्टूल का उपयोग करें

यह आपको शिशु को गोद लेने में मदद करेगा। सामान्यता नई मां को शिशु को खिलाने का कोई पूर्व अनुभव नहीं होता है, इसलिए ऐसे समय पर जरूरी है कि वह इस तरह के उपकरणों का प्रयोग करके अपनी इस नई जिंदगी की शुरुआत आरंभ करें। शिशु का ध्यान रखने के साथ ही यह भी जरूरी है कि आप अपना भी ध्यान रखें। यह नर्सिंग स्टूल आपको बहुत राहत भी देगा।

बच्चे के लिए पहली बोतल 4 से 6 सप्ताह बाद ही शुरू करें

जहां तक हो सके बच्चे को अपना ही दूध पिलायें। बच्चे के लिए पहली बोतल आप उसके जन्म के 4 से 6 सप्ताह बात शुरू कर सकतीं हैं। पर अच्छा होगा यदि आप 8 सप्ताह तक रुक जाएं। यदि आप इतनी समय तक रुक गईं तो ऐसा हो सकता है कि आपको बच्चे को बोतल से दूध पिलाना ही ना पड़े। यदि आप चाहें तो इसके लिए किसी की मदद भी ले सकती हैं।

अपने आहार पर ध्यान दें

जिस तरह गर्भवती होने के दौरान आपको अधिक कैलोरी युक्त भोजन की आवश्यकता थी। उसी तरह शिशु के जन्म के बाद शिशु को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) करवाने के दौरान आपको पहले से भी अधिक कैलोरी युक्त भोजन की आवश्यकता होगी। इस समय यह जरूरी है कि आप अपने आहार पर अच्छे से ध्यान दें। समय-समय पर संतुलित भोजन करती रहें। संतुलित आहार खाने से आप बच्चे को सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग भी करवा सकेंगीं।

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नर्सिंग के लिए एक पूरी अलमारी ना खरीदें

शिशु को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराना इतना मुश्किल नहीं होता की जिसके लिए आप एक पूरी नई अलमारी खरीदें। यदि आपने शर्ट पहनी है तो बस थोड़ी सी शर्ट उठाकर फिर आप अपने बच्चे को आसानी से ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं। ऐसे समय में कोशिश करें हल्के कपड़े पहनें, जो आपके और आपके शिशु दोनों के लिए आरामदायक हों।

शिशु के झपकी लेने पर क्या करें 

यदि आपका शिशु ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) के दौरान आपके ऊपर ही सो गया तो उसके पैरों के नीचे हल्की सी गुदगुदी करें, उसकी ठोड़ी को नीचे से दबाए या उसे थोड़े से गीले वॉशक्लॉथ से छुएं। ऐसा करने से वह चौंक कर नहीं उठेगा और आप आसानी से उसे अपने ऊपर से उठाकर बिस्तर पर लेटा पाएंगी। इतने छोटे से शिशु को चौंकाना उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है।

नर्सिंग तकिया

अन्य तकियों के विपरीत यह आपके शरीर को चारों ओर से लपेटता है और आपकी शरीर को ब्रेस्टफीडिंग करवाने की स्थिति में लाने के लिए मदद करता है। यह आपकी पीठ, गले और कंधे में हो रहे दर्द से भी आराम दिलाता है।

ब्रेस्टफीडिंग का रिकॉर्ड रखें

फीडिंग का सारा लेखा जोखा रखने के लिए और रिकॉर्ड करने के लिए बेबी ब्रेस्टफीडिंग के ऐप डाउनलोड करें और उनमें रीडिंग डालते रहें।

विशेषज्ञ को पहुंच में रखें

किसी ऐसे व्यक्ति का फोन नंबर हमेशा अपने फोन की स्पीड डायल पर रखें, जिन्हें आप जरूरत पड़ने पर मदद के लिए बुला सके।

शिशु की देखभाल करने के साथ ही काम पर वापस लौटना

काम पर वापस लौटने से पहले यह जानना सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप इस बात का अंदाजा अच्छे से लगा ले कि आपका बेबी कितना दूध पी लेता है। क्योंकि जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, वह चाहे 6 महीने के हो जाए या 1 महीने के वास्तव में उनकी दूध की जरूरत बहुत अधिक नहीं बदलती। यदि उनकी भूख बढ़ती भी है तो उसके लिए आपको दूध को बढ़ाने की जरूरत नहीं बल्कि उसे बाहर की शिशु फूड देने की जरूरत है। शिशु की देखभाल के साथ ही काम को वापस से शुरू करने से पहले आपको अपनी शारीरिक क्षमता का भी एक बार आंकलन करना जरूरी होगा। ऐसे समय में आप अपने आप पर भी पूरा ध्यान दें, ताकि आप काम और शिशु दोनों के साथ खुश रह सकें।

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