कैंसर एक महामारी की तरह फ़ैल चूका है. इतना कि पश्चिमी जगत में हर 8 में से 1 महिला को उसके जीवन में स्तन कैंसर होगा. पाश्चात्य शैली का अनुग्रहण करने से भारत में भी कैंसर की बीमारी बहुत ज्यादा फ़ैल चुकी है. रात को देर से सोना, बिगड़ा खाना पीना, तनाव और प्रदुषण से भरा जीवन, मिलावटी खाना, एलेक्रोनिक किरणों के बीच ही रहना, और न जाने कितने कारण है जो हमें कैंसर के खतरे में डालते हैं. कैंसर से बचाव करने में आहार, जीवन शैली और अनुवांशिक गुण का विशेष महत्व है. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार कुछ ऐसे आहार हैं जो कैंसर से लड़ने और रोकथाम में मदद कर सकते हैं. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि आप इलाज छोड़ दें. आपके डॉक्टर की राय सबसे ऊपर है. आइये जानते हैं.
ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती हैं और कैंसर को फैलने से ये सुरक्षा प्रदान कर सकती है. रोज़ तीन कप ग्रीन टी से अच्छा असर पता लग सकता है.
ब्रोक्कोली
ब्रोक्कोली को कई लोग विदेशी गोभी के नाम से भी बुलाते हैं. वैज्ञानिक रिसर्च बताती है कि ब्रोक्कोली में ‘सल्फोराफैन’ नाम का पदार्थ होता है जिसमें कैंसर को रोकने की क्षमता होती है. एक वैज्ञानिक जांच में ये पाया गया कि सल्फोराफैन स्तन कैंसर की कोशिकाओं का आकर ७५% तक कम करने में सफल रहा. शोधकार्य में ये भी पता लगता है कि ब्रोक्कोली का सेवन करने से आँतों के कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.
गाज़र
कुछ वैज्ञानिक रिसर्च ये बताती हैं कि गाज़र का सेवन करने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है. स्टडीज में पता लगा है कि गाज़र का सेवन करने से पेट के कैंसर का खतरा २५% तक और प्रोस्टेट के कैंसर का खतरा १८% तक कम हो सकता है. एक बड़ी रिसर्च में यह सामने आया कि वो धुम्रपान करने वाले व्यक्ति जो गाज़र का रोज़ सेवन करते हैं, उनमें उन लोगों के बजाय जो धुम्रपान करते हैं और गाज़र का सेवन नहीं करते, फेफड़े का कैंसर होने के आसार दुगने से भी कम होते हैं.
बीन्स
बीन्स एक पोषण देने वाला आहार है. बीन्स में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है जिसकी वजह से पेट और आँतों के कैंसर से ये बचाव करती है. कई परीक्षणों में पाया गया है की बीन्स का सेवन करने से कैंसर होने के आसार कम होते हैं.
बेरीज
बेरीज के अंतर्गत स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी जैसे फल आते हैं. इनमें अन्थोसैनिन नाम का तत्त्व होता है जो अपनी एंटी-ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी की वजह से कैंसर को रोकता है. बेरीज सूखे रूप में भी बाज़ार में आती हैं, तथा इनके सेवन से कैंसर की रोकथाम में मदद मिल सकती है. चूहों में किये गए एक प्रयोग में पाया गया कि सुखी, काली रास्पबेरी खाने वाले चूहों में खाने की नाली के कैंसर की दर ५४% तक कम हो गयी तथा ट्यूमर की संख्या लगभग ६२% तक घट गयी.
ऐसा देखा गया है कि विटामिन ई अंत, प्रोस्टेट और फेफड़े के कैंसर की सम्भावना घटाता है. विटामिन ई की अच्छी मात्रा बादाम, अवोकेडो, ओलिव आयल, पालक, अंकुरित दाल, आम, बीन्स से मिल सकती है.
दालचीनी
दालचीनी में कोशिकाओं की सूजन हटाने की क्षमता होती है, जो कैंसर का एक मुख्य कारण है. दालचीनी रक्त में शुगर की मात्रा भी नियंत्रित करती है और हम जानते हैं कि रक्त में अधिक शुगर कैंसर पैदा करने के लिए अति उत्तम माहौल बनाती है. एक जांच में ये पाया गया कि दालचीनी में उपस्थित ज़रूरी तेल सर और गर्दन के कैंसर की कोशिकाओं को दबाने में सफल रहे और ट्यूमर का आकर भी कम किया. कैंसर की रोकथाम के लिए अपने खाने में 2-4 ग्राम दालचीनी रोज़ लेनी चाहिए.
लहसुन
अपने शरीर को कैंसर से सुरक्षा देने के लिए लहसुन एक अद्भुत चॉइस है. लहसुन से होने वाले सभी लाभ उठाने के लिए रोजाना कम से कम एक कली (300-1000 मिलीग्राम) अवश्य खानी चाहिए. लहसुन कैंसर के बचाव में कई तरह से काम करता है – टूटे-फूटे डी एन ए (DNA) को वापस बनाने में, कैंसर कोशिकाओं को फैलने से बचने में, कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों को रोकने में और जीवाणुओं को मारने में.
अदरक
अदरक भी दालचीनी की तरह कोशिकाओं की सूजन हटाता है और कैंसर की रोकथाम में इसका बहुत महत्वपूर्ण किरदार है. प्रयोगशाला की जांचों में ये पाया गया है की कुछ कैंसर में अदरख के तत्व कैंसर की कोशिकाओं को खुद को ख़त्म करने के लिए बाध्य कर देते हैं.
हल्दी
प्राचीनकाल से हल्दी के स्वास्थ्य लाभ के बारे में दुनिया जानती है. इसके अंदर ‘कर्कुमिन’ नाम का तत्त्व होता है जो सूजन कम करता है, एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता है और कैंसर से लड़ता है. एक वैज्ञानिक शोध में पाया गया कि रोज़ 4 ग्राम कर्कुमिन का सेवन करने वालों में कैंसर की कोशिकाओं की संख्या और आकर ४०% तक कम हो गया. कई आंचों में ये देखा गया है कि हल्दी का सेवन फेफड़े के कैंसर, सर और गर्दन के कैंसर, स्तन कैंसर और प्रोस्टेट के कैंसर में मदद करता है.
कॉड लीवर आयल
कॉड लीवर आयल में विटामिन डी और ओमेगा थ्री फैटी एसिड होते हैं जो इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखते हैं. प्राथमिक जांचों में ऐसा देखा गया है कि कॉड लीवर लेने वाले कैंसर रोगियों में २०% तक कम मृत्यु दर होती है. कीमोथेरेपी से होने वाले साइड इफ़ेक्ट में भी कॉड लीवर आयल मदद कर सकता है.