जानिये ‘वाइन’ (शराब) के बारे में 60 अद्भुत और अनकही बातें

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ज्यादातर संस्कृतियों में वाइन पीने का सिलसिला सदियों से चल रहा है जबकि ओडिसी से बाइबल तक हर जगह अधिक वाइन पीने से होने वाले खतरों का उल्लेख किया गया था। यूनानियों और रोमियों ने वाइन को इतनी गंभीरता से लिया कि वे अपने देवताओं को उनके पसंदीदा फलों के रस के रूप में समर्पित करने लगे। डायोनिसस को यूनानियों के लिए अंगूर की फसल के देवता के रूप में जाना जाता था। मेडिकल विज्ञान तो वाइन को सेहत के लिए लाभदायक बताता है अगर इसका उपयोग चिकित्सकीय देखरेख में किया जाए. आज हम आपसे यहां वाइन से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों का साझा करेंगे जिन्हें जानकर आप आश्चर्यचकित रह जायेंगें।

  1. वाइन पीने से पहले वाइन के गिलास को घुमाने से वाइन की सुगंध अच्छे से निकलती है।
  2. जापान में एक स्पा है जहां आप वाइन में तैर सकते हैं.
  3. टाइटैनिक जहाज के मलबे से वाइन की अलमारी मिली जिसमें रखी बोतलें अभी भी सही-सलामत हैं.
  4. वाइन पीने से पहले चियर्स करने का फैशन रोम से शुरू हुआ. ऐसा इसलिए शुरू किया गया जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि किसी की वाइन में जहर नहीं मिलाया गया है. चियर्स करने से वाइन एक गिलास से दुसरे में बिखर जाती है जिससे सभी चियर्स करने वालों कि वाइन आपस में मिक्स हो जाती थी. चियर्स करने के बाद वाइन पार्टी रखने वाले को पहला सिप लेना होता था.
  5. एक कम उम्र की वाइन की गंध को ‘एरोमा’ कहते हैं और अधिक उम्र की वाइन की गंध को ‘बुके’ कहते हैं.
  6. वाइन के गिलास ट्यूलिप के आकार के होते हैं, जो ऊपर की तरफ से घुमावदार होते हैं जिससे कि इसकी सुगंध बाहर निकल के ना चली जाए और जब तक पीने वाला इसे पिए इसकी सुगंध भी ग्लास में बनी रहे।
  7. वाइन को पीने से पहले चखने की प्रक्रिया व्यापक रूप से सभी जगह मानी जाती है। जिसके अनुसार आप इसके रंग को देखकर इसको समझकर, उसके बाद इसकी सुगंध लेने के बाद ही इसका स्वाद चखतें हैं।
  8. सबसे पुरानी वाइनरी जिसे हम जानते हैं अर्मेनियाई की है, जो आज से 4100 ईसा पूर्व की थी।
  9. आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि देखा जाता है कि बेकार क्वालिटी की मिट्टी में बेहतर वाइन बनती है.
  10. सबसे पुरानी वाइन की बोतल लगभग 1700 वर्ष पुरानी है और जर्मनी के म्यूजियम में संचित की गयी है.
  11. दसवीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान फोनीशियन ने भूमध्य सागर के चारों ओर वाइन फैला दी जिससे इसका परिचय प्राचीन यूनानियों के सामने पेय के रूप में हुआ। जिन्होंने रोमवासियों को वाइन की लत लगवाने के साथ ही उन्हें उनके साम्राज्य में वाइन के लिए अंगूर उगाने को प्रेरित भी किया।
  12. कीटों से बचाने के लिए, अंगूरों की बेलों को पहले “फिलाक्लोरा” नाम के पौधे की जड़ों में लगाया जाता है, जिससे उनकी कीड़ों से सुरक्षा हो सकें।
wine grapes
  1. एक ‘विंटेज’ वाइन एक एक ही वर्ष में काटे गए अंगूरों के रस से बनाई जाती है। जबकि “गैर-विंटेज’ वाइन कई वर्षों के अंगूर के रसों का मिश्रण होती है। शैंपेन में कई सबसे बड़े नाम गैर-विंटेज वाइन का उत्पादन करते हैं।
  2. वाइन के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं: लाल, सफेद और रोजे। हालांकि, इनके अलावा भी कुछ कम लोकप्रिय परंतु अलग-अलग किस्में भी हैं जिनमें नारंगी और यहां तक की नीले रंग की वाइन भी शामिल है।
  3. वाइन का रंग उस संपर्क से निर्धारित होता है जिसमें अंगूर के रस का साथ अंगूर की स्किन (खाल) से होता है। यह तैयार उत्पाद में टैनिन के स्तर को भी प्रभावित करता है।
  4. रेड वाइन को केवल नीले या बैंगनी स्किन वाले अंगूर से बनाया जा सकता है सफेद वाइन भी इस तरह के गहरे अंगूरों से बनाई जा सकती है लेकिन सिर्फ तब जब अंगूर की स्किन को रस से अलग रखा जाए।
  5. मीठी वाइन उन अंगूरों से बनाई जाती है जिनमें चीनी की मात्रा ज्यादा होती है। विश्व के कुछ हिस्सों में अंगूरों को “नोबेल रोट” नामक एक फंगल संक्रमण से अनुबंधित करने की अनुमति भी मिली हुई है। यदि साधारण शब्दों में कहें तो इसका मतलब यह है कि यहां अंगूरों का सिरप वाइन बनाने से पहले ही फ्रीज़ कर दिया जाता है।
  6. फोर्टिफाइड वाइन को उत्पादन प्रक्रिया के दौरान विभिन्न चरणों मे अतिरिक्त अल्कोहल को डालकर बनाया जाता है।
  7. चूंकि अंगूर में पकने के बाद शक्कर पैदा होती है और मिठास आती है यही कारण है कि गर्म जलवायु वाले इलाकों में बनने वाली वाइन में चीनी की मात्रा अधिक होती है और यह ठंडे जलवायु वाले इलाकों की तुलना में अधिक प्रबल भी बनती है।
  8. पश्चिमी यूरोप और मध्य पूर्व की वाइन को ‘ओल्ड वर्ल्ड’ के नाम से जाना जाता है, जबकि अन्य को ‘न्यू वर्ल्ड’ कहा जाता है, जिनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया शामिल हैं।
  9. वाइन को एक ही अंगूर की किस्म से नहीं बनाया जाना चाहिए। विभिन्न प्रकार के अंगूरों के रस को अलग-अलग किण्वित करने के बाद उन सभी को एक साथ मिलाकर वाइन के रूप में बनाया जाता है।
  10. एक बोतल वाइन बनने में लगभग सवा किलो अंगूर (600 अंगूर) का इस्तेमाल होता है.
  11. स्पार्कलिंग व्हाइट वाइन कहीं भी बनाई जा सकती है, लेकिन केवल फ्रांस के शैम्पेन क्षेत्र में उगाए और बोतलबंद की गई वाइन को ही शैंपेन कहा जा सकता हैं।
  12. शैंपेन की बोतलों को मोटे कांच से बनाया जाता है जिससे कि वे कार्बोनेशन के कारण उत्पन्न हो रहे दबाव को सहन कर सकें।
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  1. वाइन में मौजूद पॉलीफिनॉल नाम के तत्व दिमाग को रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह सही करते हैं जिससे मस्तिष्क की क्षमता में इजाफा होता है.
  2. शैम्पेन की बोतल में शैम्पेन के ही बुलबुले बनते हैं। वाइन बनाते समय जब उसे बोतल में बंद कर दिया जाता है तब उसमें खमीर और चीनी डालकर मिश्रण बनाया जाता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड बनती है, जो कि कम से कम 15 महीने तक परस्पर क्रिया करती रहती है।
  3. जैविक बायोडायनेमिक और प्राकृतिक वाइन का उत्पादन करने के लिए अंगूर के बागों में कीटनाशकों और अन्य प्रकार के पेस्टिसाइड का उपयोग वर्जित माना गया है। वाइन बनाने वाले वाइन बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखते हैं।
  4. ज्यादातर वाइन को इसलिए नहीं बनाया जाता कि उसे ज्यादा समय तक रखा जा सके। वाइन के विशेषज्ञ का मानना है कि केवल 10% बोतले ही ज्यादा समय तक रखे जाने के लिए बनते हैं ज्यादातर को 5 साल के भीतर ही उपयोग कर लेना चाहिए।
  5. शराब की बोतलों को क्षैतिज रूप से (लेटाकर) स्टोर करना सबसे अच्छा है। इस स्थिति में रखने से बोतल के कॉर्क में नमी बनी रहती है साथ ही इससे यह हवा को बोतल में प्रवेश करने से रोकता है।
  6. यदि आप किसी वाइन में “डिमीटर” नामक रूप में चिन्हित एक लेबल देखते हैं तो इसका मतलब है, यह वाइन “बायोडायनेमिक” रूप से प्रमाणित है। जिसका अर्थ यह हुआ कि इस वाइन को बनाते समय उपयोग होने वाले अंगूरों के बगीचों में किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया है।
  7. यदि किसी लेबल पर ‘मिस एन बोउटीले एयू डोमिन’ लिखा हुआ मिले तो उसका अर्थ यह होता है कि यह वाइन वहीं पर बनाई गई है जहां पर इस में उपयोग होने वाले अंगूरों का उत्पादन हुआ है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ऐसा करने से फलों की ताजगी बरकरार रहती है।
  8. शराब की एक पेटी में आमतौर पर 12 बोतलें होती हैं।
  9. 187 मिली ‘स्प्लिट’ से लेकर नबूकदनेस्सर (एक बहुत बड़ी वाइन की बोतल जिसकी क्षमता 20 नियमित बोतलों के बराबर होती है) तक 11 बोतलों के साइज पाए जाते हैं।
  10. वाइन की एक ‘मैग्नम’ बोतल दो सामान्य बोतलों के बराबर के आकार की होती है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह आकार सबसे अनुरूप आकार होता है, अधिक आकार का पूरा श्रेय ऑक्सीजन की कम जगह लेने के कारण बचे हुए स्थान को जाता है।
  11. दुनिया में अंगूर की लगभग 1300 किस्में पाई जाती हैं, जिनका उपयोग वाइन के उत्पादन के लिए किया जाता है।
  12. अंगूर में डैमकेनोन (एक गंध यौगिक) पाया जाता है जो कई प्रकार की वाइन में फूलों जैसी खुशबू प्रदान करता है।
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  1. वाइनमेकिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकांश अंगूर विटिस विनिफेरा प्रजाति के होते हैं।
  2. “सिराह / शिराज” – अपने समृद्ध और कभी-कभी चॉकलेट जैसे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। सिराह अंगूठी प्रजाति से बनी वाइन ऑस्ट्रेलिया की सबसे प्रसिद्ध अंगूर वाइन है।
  3. “रिस्लीन्ग” – जर्मनी में सफेद अंगूर की प्रजाति है और फ्रांसीसी क्षेत्र एल्सेस में पैदा हुआ। रिस्लिंग अपने उम्र की क्षमता और अपनी सुगंध और उच्च अम्लता जैसी बहुमुखी प्रतिभा के कारण अधिक लोकप्रिय है।
  4. न्यूजीलैंड का वाइन उद्योग “सॉविनन ब्लैंक” जाति के अंगूरों पर निर्भर करता है। इसका मसालेदार, घास जैसा स्वाद इसे दुनिया में सबसे लोकप्रिय सफेद वाइन की किस्मों में से एक बनाता है।
  5. बहुत सी वाइन शाकाहारी नहीं होती हैं। कई बार फाइनिंग एजेंट के रूप में वाइन में अंडे या फिर मछली के ब्लैडर का उपयोग किया जाता है जिसका मुख्य कार्य इसकी कड़वाहट या फिर कसैलेपन को कम करना होता है।
  6. वाइन बनाने की प्रक्रिया के दौरान मैलामैटिक किण्वन (फर्मेंटेशन) होता है जो कि वाइन की कसैलेपन को कम करके इसे अधिक स्वाद वाले लैक्टिक एसिड में परिवर्तित करता है।
  7. नए अंगूर द्वारा बनाई गई नई रेड वाइन पुरानी की ( यहां पुराना कहने से तात्पर्य वाइन के पुराना होने से है) अपेक्षा अधिक टैनिक (कसैली) होती है समय के साथ पुरानी रेड वाइन का रंग भी हल्का पड़ता जाता है।
  8. एक सामान्य नियम के अनुसार सफेद व्हाइट वाइन को 5 से 12 डिग्री सेल्सियस के तापमान में परोसा जाना चाहिए, जबकि रेड वाइन को 10 से 18 डिग्री सेल्सियस के तापमान में परोसा जा सकता है।
  9. जिन लोगों को वाइन पीने की अच्छी जानकारी होती है वह अपने गिलास का वाइन से सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही भरते हैं। ऐसा करने से गिलास में सुगंध विकसित करने के लिए अच्छी खासी जगह बढ़ जाती है। आखिर वाइन पीने का मतलब सिर्फ पीना नहीं बल्कि उसे अच्छे से एंजॉय करना भी होता है।
  10. वाइन से अधिक अल्कोहल माउथवाश में पाया जाता है.
  11. “स्क्रू कैप्स” को ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड के वाइन बनाने वालों ने लोकप्रिय बनाया था, क्योंकि वे उन्हें दिए जा रहे कॉर्क की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं थे।
  12. कॉर्क द्वारा सील की गई वाइन आज भी दुनिया की कुल बोतलों का 64% हिस्सा रखती है।
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  1. वाइन को सीधी रोशनी और गर्मी से दूर रखने से इसकी ताजगी और सुगंध बनी रहती है।
  2. एक 750 मिलीलीटर की वाइन की बोतल में 600-800 अंगूरों का रस होता है।
  3. बायोडायनामिक वाइनमेकर अपनी असामान्य प्रथाओं के लिए प्रसिद्ध है जिन्हें लेकर उन्हें कुख्यात भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह लोग ग्रहों की गति के अनुसार अपनी फसलों की कटाई करते हैं और फसलों को खाद देने के लिए गायों की सींगों को दफनाने से भी नहीं हिचकिचाते।
  4. वाइन टेस्ट करने का मतलब वाइन सूंघना होता है और औरतें पुरुषों से बेहतर वाइन टेस्टर होती हैं क्योंकि उनकी नाक की सूंघने की ग्रंथियां बेहतर रूप से परिपक्व होती हैं.
  5. रेड वाइन में टैनिन एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि हर रात खाना खाने के बाद या उसके साथ में एक ग्लास रेड वाइन लेने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सही रखा जा सकता है जिससे दिल की बीमारी होने का खतरा भी कम किया जा सकता है।
  6. रोमन अपनी वाइन में सीसा (लीड) मिलाया करते थे जिसे वे एक स्वीटनर के रूप में इस्तेमाल करते थे कुछ इतिहासकार रोमन साम्राज्य के पतन के लिए इसे जिम्मेदार भी ठहराते हैं।
  7. वाइट वाइन लाल और सफ़ेद अंगूरों से बनाई जा सकती है.
  8. वाइन में किसी प्रकार का कोई वसा या कोलेस्ट्रोल नहीं होता है अतः आप कह सकते हैं कि यह एक मोटापा-मुक्त पेय है।
  9. अधिकांश कॉर्क पुर्तगाल के कॉर्क जंगलों से उत्पन्न हुए थे, हालांकि स्क्रू कैप और सिंथेटिक कॉर्क के आगमन के साथ इनकी लोकप्रियता में काफी कमी आ गई थी।
  10. वेटिकन सिटी प्रति व्यक्ति शराब की खपत में दुनिया में सबसे आगे हैं।
  11. यदि आप आर्टिचोक खा रहे हैं, तो महंगी वाइन के सेवन से बचें। क्योंकि कई बार यह वाइन का स्वाद अत्यधिक तीखा या बहुत ज्यादा मीठा बना देते हैं।
  12. शैम्पेन की बोतलों में कार के टायरों की अपेक्षा अधिक दबाव होता है।

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