जानिए साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन के विषय में अनजाने 45 तथ्य

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albert einstein

“क्या यह अजीब बात नहीं है कि मैंने जो भी अलोकप्रिय किताबें लिखी हैं, उन्हें पढ़ने के लिए लोगों में इतनी अधिक रुचि है।” यह कहना था दुनिया के सबसे महान साइंटिस्ट्स में से एक, जिनके नाम को दुनिया का बच्चा-बच्चा जानता है- वो वैज्ञानिक थे अल्बर्ट आइंस्टीन।

1879 में जर्मनी में जन्मे, अल्बर्ट आइंस्टीन 20 वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली भौतिकविदों में से एक थे। इतना ही नहीं अल्बर्ट आइंस्टीन का नाम अपने समय के सबसे महान विचारकों में सबसे ऊपर आता है। वह अपनी प्रतिभा के साथ-साथ अपनी बुद्धिमानी के लिए भी बहुत प्रसिद्ध थे। उनका जीवन, आंकड़ों से कहीं अधिक बढ़कर रहा है, जिसे अंग्रेजी में “लार्जर दैन् लाइफ” कहा जाता है। हम आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातों को बताएंगे, जो शायद आप नहीं जानतें होगें और जिन्हें जानकर आपको अत्यंत आश्चर्य भी होगा। तो आइए शुरू करते हैं, भौतिक विज्ञान के महान साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन के विषय में ऐसे अनजाने 48 तथ्य.

Table Of Contents
  1. आइंस्टीन का कहना था कि एक अव्यवस्थित डेस्क रचनात्मक दिमाग की निशानी होती है
  2. क्या आइंस्टीन कभी गणित में विफल हुए थे? बिल्कुल नहीं
  3. अल्बर्ट आइंस्टीन को "पीपल्स साइंटिस्ट" के रूप में जाना जाता है
  4. अल्बर्ट आइंस्टीन संगीत में भी रुचि रखते थे
  5. जन्म के समय अल्बर्ट आइंस्टीन का सिर बहुत बड़ा था
  6. अल्बर्ट आइंस्टीन को उनकी पत्नी ने दुनिया का सबसे बुरा पति का खिताब दिया था
  7. आइंस्टीन अपने तलाक को कभी गलत नहीं मानते थे
  8. जब आइंस्टीन को अपनी चचेरी बहन के प्रति आकर्षित हो गए थे
  9. अल्बर्ट आइंस्टीन के हस्ताक्षर को उनकी पत्नी बेचकर पैसे बनाती थी
  10. आइंस्टीन सिंड्रोम
  11. अल्बर्ट आइंस्टीन कुछ भी बोलने से पहले उसको सोचा करते थे
  12. आइंस्टीन के मस्तिष्क का आकार दूसरों से विचित्र था
  13. आइंस्टीन का कहना था कि "वह अपने बचपन में उन्हें मिले कंपास के लिए सदैव शुक्रगुजार थे"
  14. दिमागी तौर पर अनुपस्थित प्रोफेसर
  15. एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन को क्लास से बाहर निकाल दिया गया था
  16. परमाणु बम के जनक
  17. अल्बर्ट आइंस्टीन को राष्ट्रपति बनने का भी मौका मिला था
  18. आइंस्टीन के जीवन का चमत्कारी साल
  19. अल्बर्ट आइंस्टीन का मानना था कि यदि आप पैदल चल सकते हैं तो कार क्यों चलाना
  20. अल्बर्ट आइंस्टीन तीव्र दिमाग के स्वामी थे
  21. अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा की गई उदासीन नौकरी
  22. जब अल्बर्ट आइंस्टीन ने सेना की नौकरी से बचने के लिए जर्मन नागरिकता छोड़ दीं
  23. फिर से जर्मन नागरिकता हासिल करना
  24. अल्बर्ट आइंस्टीन को नाव चलाना बहुत पसंद था
  25. एक दुखी बिल्ली
  26. आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था
  27. आइंस्टीनियम
  28. एक ऐसा सिद्धांत जो कभी भी प्रकाशित नहीं हुआ
  29. अल्बर्ट आइंस्टीन ने रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया था परंतु क्या यह सच है?
  30. आइंस्टीन के दिमाग के चोरी होने की घटना
  31. अल्बर्ट आइंस्टीन के मस्तिष्क को मरने के उपरांत म्यूजियम में रखा गया
  32. न्यूयॉर्क शहर में आइंस्टीन की आंखें
  33. अनुवाद की कमी के कारण आइंस्टीन के मरने से ठीक पहले बोले गए शब्दों को दुनिया ने खो दिया
  34. शांत रहने के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन हमेशा धूम्रपान करते थे
  35. अल्बर्ट आइंस्टीन का एक रशियन स्त्री के साथ अफेयर
  36. समानता के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन सदैव खड़े रहे
  37. सबसे बड़ा दिन
  38. अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक छोटी बच्ची को जो वैज्ञानिक बनना चाहती थी एक सलाह दी थी  
  39. अल्बर्ट आइंस्टीन अपने जीवन की अवधि को बढ़ा सकते थे
  40. जब अल्बर्ट आइंस्टीन एक शरणार्थी बने
  41. अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रसिद्ध फोटो
  42. योदा की डिजाइन अल्बर्ट आइंस्टीन से प्रेरित थी
  43. लिसेर्ल का बाद में क्या हुआ वह कहां गई
  44. एफबीआई ने अल्बर्ट आइंस्टीन के ऊपर खुफिया तरीके से नजर रखी हुई थी

आइंस्टीन का कहना था कि एक अव्यवस्थित डेस्क रचनात्मक दिमाग की निशानी होती है

अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना था कि “यदि एक अव्यवस्थित डेस्क अव्यवस्थित मस्तिष्क की तरफ संकेत करती है, तो क्या इसका मतलब यह है कि खाली (साफ) टेबल, खाली (साफ) दिमाग की तरफ संकेत करेगी?” जिस दिन अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन हुआ उस समय एक फोटोग्राफर ने उनके कमरे की तस्वीरें ने जिसमें उनकी टेबल किताबों से भरी पड़ी थी। उनके अलमारियों में इधर-उधर पड़ी हुई किताबें, पत्रिकाएं और नोट्स जगह-जगह दिख रहे थे। डेस्क पर किताबों के साथ एक तंबाकू से भरा पाइप भी रखा हुआ दिखाई दे रहा था।

क्या आइंस्टीन कभी गणित में विफल हुए थे? बिल्कुल नहीं

अल्बर्ट आइंस्टीन वास्तव में कभी भी गणित में फेल नहीं हुए थे। 16 वर्ष की आयु में उन्होंने फेडरल पॉलिटेक्निक की परीक्षा, अपने स्कूल ज्यूरिक में दी। परंतु वहां वह विफल हो गए, उनके विफल होने का कारण वह गैर विज्ञान के विषय थे। विशेष रूप से फ्रेंच, जिसके कारण उन्हें विफलता का मुंह देखना पड़ा। परंतु फेल होने के बावजूद भी आइंस्टीन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अगले वर्ष इसी स्कूल में दाखिला पाने में सफलता हासिल की।

अल्बर्ट आइंस्टीन को “पीपल्स साइंटिस्ट” के रूप में जाना जाता है

अल्बर्ट आइंस्टीन को “लोगों के वैज्ञानिक” के रूप में भी जाना जाता था, जिसकी मुख्य वजह था उनका स्वभाव। अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत सीधे-साधे तौर पर जीवन व्यतीत करना पसंद करते थे। उनके कपड़े हमेशा थोड़े अस्त-व्यस्त से रहते थे, उनके बाल इधर-उधर बिखरे हुए होते थे और वे कभी भी मोज़े नहीं पहनते थे। यहां तक कि जब वह राष्ट्रपति रूजवेल्ट से मिलने के लिए व्हाइट हाउस में पहुंचे उस समय भी उन्होंने मोज़े नहीं पहन रखे थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन संगीत में भी रुचि रखते थे

अल्बर्ट आइंस्टीन एक प्रतिभाशाली वायलिन वादक थे। उन्होंने 5 साल की उम्र से ही संगीत की कक्षा में दाखिला लिया था। परंतु संगीत से उन्हें प्यार 13 वर्ष की आयु में हुआ, जब उन्होंने मोजार्ट के वायलिन से सोनाटा की खोज की। उन्होंने अपने द्वारा खोजे गए उस वायलिग को “लीना” उपनाम दिया और उन्होंने कहा कि “उनके जीवन में सबसे ज्यादा खुशी उनके वायलिन से आई है।”

जन्म के समय अल्बर्ट आइंस्टीन का सिर बहुत बड़ा था

अल्बर्ट आइंस्टीन के जन्म के समय उनका सिर असामान्य रूप से बहुत बड़ा था। जब उनके परिवार ने उन्हें देखा तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ और इसे एक विकृति समझकर उन्होंने इसका कारण डॉक्टर से जानना चाहा। डॉक्टर, अल्बर्ट आइंस्टीन के परिवार को यह समझाने में सक्षम रहा कि समय के साथ आइंस्टीन का सिर उनके शरीर के हिसाब से सामान्य हो जाएगा। इसी प्रकार, एक बार उनकी दादी ने भी उनके माता-पिता से अल्बर्ट आइंस्टीन के अत्यधिक मोटा होने की भी शिकायत की थी।

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अल्बर्ट आइंस्टीन को उनकी पत्नी ने दुनिया का सबसे बुरा पति का खिताब दिया था

जब अल्बर्ट आइंस्टीन का विवाह मिलेवा मेरिक से हुआ तो उसके कुछ ही समय बाद इस विवाह में समस्याएं उत्पन्न होने लगीं। जिसका मुख्य कारण अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा उनकी पत्नी को दी गई एक सूची थी। जिसमें उन्होंने उन नियमों को लिख के रखा था, जो उनकी पत्नी को उनके साथ रहने के लिए मानना होगा। इस सूची के अनुसार उन्होंने मांग की थी कि उनकी पत्नी को उनकी नौकरानी बनकर रहना होगा, जो उनसे ज्यादा कुछ अपेक्षा नहीं करेंगी। विशेषकर किसी भी प्रकार के प्रेम, स्नेह या ध्यान रखने जैसी। कुछ समय पश्चात उनकी पत्नी ने उनके इस रूखे व्यवहार से तंग आकर उन्हें छोड़ कर चली गई और 5 साल बाद कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दी।

आइंस्टीन अपने तलाक को कभी गलत नहीं मानते थे

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपनी पहली पत्नी के साथ एक असामान्य तरह की सौदेबाजी (कॉन्ट्रैक्ट) किया था। तलाक लेते समय उन्होंने अपनी पत्नी से वादा किया कि वह इस तलाक के बदले उन्हें नोबेल पुरस्कार जीतकर जरूर दिखाएंगे और उससे मिली धनराशि को भी उन्हें जरूर देंगे। अंततः तलाक के 3 साल बाद अल्बर्ट आइंस्टीन नोबेल पुरस्कार जीता और उससे मिली धनराशि को अपनी पहली पत्नी को दे दिया। 

जब आइंस्टीन को अपनी चचेरी बहन के प्रति आकर्षित हो गए थे

एक समय ऐसा भी था जब आइंस्टीन और उनकी चचेरी बहन एल्सा, एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे। यह वह समय था जब अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी पहली पत्नी से अलग हो चुके थे। अल्बर्ट आइंस्टीन की चचेरी बहन एल्सा उनके लिए एक गेटकीपर (द्वारपाल) के रूप में भी काम करती थी और अवांछित आगंतुकों को उनसे दूर भगा देती थी।

अल्बर्ट आइंस्टीन के हस्ताक्षर को उनकी पत्नी बेचकर पैसे बनाती थी

अल्बर्ट आइंस्टीन की पत्नी एल्सा, अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रशंसकों को ईमेल के जरिए उनकी एक फोटो के लिए 5 डॉलर और अल्बर्ट आइंस्टीन के हस्ताक्षर के लिए 1 डॉलर की मांग की। आइंस्टीन ने अपनी पत्नी के इस कार्य से इकट्ठे हुए पैसों को दान में दे दिया। 

आइंस्टीन सिंड्रोम

9 साल की उम्र तक, अल्बर्ट आइंस्टीन कभी भी कुछ बोलने से पहले सोचा करते थे कि जो वह कहना चाहते हैं उसे किस प्रकार से कहें। यहां तक कि वह जो कहना चाहते थे उसको वाक्य बनाकर अपने ही अंदर बोलने का अभ्यास करते थे कि जो वाक्य उन्होंने बनाया है वह सही है या नहीं।

अल्बर्ट आइंस्टीन कुछ भी बोलने से पहले उसको सोचा करते थे

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जन्म के काफी समय बाद तक बोलने की शुरुआत नहीं की। अल्बर्ट आइंस्टीन की उम्र लगभग 3-4 साल की हो गई थी, परंतु अभी तक उन्होंने बोलना शुरू नहीं किया था। जिसके कारण उनके माता-पिता को अत्यधिक चिंता होने लगी थी। परंतु एक दिन अचानक जब उन्हें सूप दिया गया तो उनका पहला वाक्य रात के खाने में शिकायत करने के रूप में निकला कि “सूप बहुत गर्म था”। जब उनसे पूछा गया कि वह पहले क्यों नहीं बोले, तो उन्होंने जवाब दिया: “अब तक, सब कुछ क्रम में था।”

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आइंस्टीन के मस्तिष्क का आकार दूसरों से विचित्र था

अल्बर्ट आइंस्टीन का मस्तिष्क सामान्य मस्तिष्क के मुकाबले छोटा था। परंतु मस्तिष्क की पार्श्विका लोब सामान्य से 15% ज्यादा अधिक बड़ी थी। वास्तव में मस्तिष्क का यह क्षेत्र गणितीय क्षमता, और दृश्य और स्थानिक जागरूकता से जुड़ा हुआ होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसी वजह से अल्बर्ट आइंस्टीन का मस्तिष्क वैज्ञानिक रूप से सोचकर वह सब कार्य कर सका जो उन्होंने किए।

आइंस्टीन का कहना था कि “वह अपने बचपन में उन्हें मिले कंपास के लिए सदैव शुक्रगुजार थे”

अल्बर्ट आइंस्टीन जब 5 वर्ष के थे तो वह बीमार पड़ गए। जिसके कारण डॉक्टर ने उन्हें बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी। दिनभर बिस्तर में पड़े रहने के कारण वह बहुत ऊब जाते थे। जिसके कारण उनके पिता ने उनका मन बहलाने के लिए उन्हें कंपास लाकर दिया। कंपास से खेलते-खेलते ही उनके अंदर सुई को निर्देशित करने वाले बल की तरफ की जिज्ञासा जागृत हुई और यही आगे चलकर उनके भौतिक विज्ञान के प्रति रुचि का कारण भी बनी, जो आजीवन रही।

दिमागी तौर पर अनुपस्थित प्रोफेसर

अनावश्यक चीजों के प्रति अल्बर्ट आइंस्टीन की याददाश्त बहुत कमजोर थी। जब उनसे इस विषय में सवाल किया गया कि आखिर क्यों उन्हें अपना नंबर तक देखने के लिए अपनी डायरी का इस्तेमाल करना पड़ता है। तो अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस बात का जवाब दिया कि “मैं ऐसी चीज को क्यों याद करके रखूं, जिसे मैं आसानी से डायरी से प्राप्त कर सकता हूं।”

एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन को क्लास से बाहर निकाल दिया गया था

अल्बर्ट आइंस्टीन जब 15 वर्ष के थे तो अपने अध्यापक की बात ना मानने के कारण आइंस्टीन को क्लास से बाहर निकाल दिया गया था। अपने अध्ययन के दिनों के दौरान वह अपने अध्यापकों को अपनी उदासीनता से बहुत अधिक क्रोधित कर देते थे। बाद में उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि उन्हें वह कक्षाएं बहुत अधिक उबाऊ लगती थी।

परमाणु बम के जनक

जर्मन परमाणु बम के डर के कारण, अल्बर्ट आइंस्टीन ने राष्ट्रपति रूजवेल्ट को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने, राष्ट्रपति को परमाणु हथियार पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की। इसके पश्चात मैनहट्टन परियोजना का निर्माण हुआ, जो परमाणु बम के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। उनके प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 ने भी बम को सैद्धांतिक रूप से संभव बना दिया।

अल्बर्ट आइंस्टीन को राष्ट्रपति बनने का भी मौका मिला था

जी हां!  सन् 1952 के दौरान अल्बर्ट आइंस्टीन को इजरायल के राष्ट्रपति बनने का मौका दिया मिला था। परंतु उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि वह स्वयं को इस पद के लिए अयोग्य मानते थे।

आइंस्टीन के जीवन का चमत्कारी साल

1905 आइंस्टीन के जीवन का चमत्कारी साल साबित हुआ इस साल उन्होंने अपने चार अलग-अलग अकादमिक पत्र प्रकाशित किए। जिसमें उन्होंने अपने सिद्धांतों को सापेक्षता के सिद्धांत पर पुख्ता किया और उनमें से वह पेपर था जिसमें प्रसिद्ध सूत्र E=mc2 भी शामिल था।

अल्बर्ट आइंस्टीन का मानना था कि यदि आप पैदल चल सकते हैं तो कार क्यों चलाना

अल्बर्ट आइंस्टीन के पास जीवन भर कभी भी कोई अपनी कार नहीं रही और ना ही उन्होंने जीवन पर्यंत कभी कोई कार चलाना सीखा। उन्हें कभी कार से कहीं जाना होता था तो वह अपने मित्रों की मदद ले लेते थे जो उन्हें उनके गंतव्य तक छोड़ देते थे। उन्हें साइकिल चलाना पसंद था।

अल्बर्ट आइंस्टीन तीव्र दिमाग के स्वामी थे

अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे बड़ी सफलता उन्हें उनके ही द्वारा अपने मस्तिष्क में सोचे गए दृश्य प्रयोगों से मिली। रेलगाड़ी की गति के साथ-साथ, अलग-अलग समय पर ट्रेन पर बिजली गिरने की कल्पना से उनके द्वारा सापेक्षता के सिद्धांत का जन्म हुआ।

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अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा की गई उदासीन नौकरी

अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्नातक की शिक्षा डिग्री में पूरी की थी। परंतु किसी भी विश्वविद्यालय में उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही थी। जिसके कारण वे थोड़े निराश थे। लेकिन 1902 में, उन्हें बर्न के पेटेंट कार्यालय में नौकरी मिल गई, जिसे उन्होंने 7 साल तक संभाला। यह नौकरी बहुत उबाऊ थी जिसके कारण अल्बर्ट आइंस्टीन को अपने सिद्धांतों पर काम करने के लिए बहुत अधिक समय मिल जाया करता था। 

जब अल्बर्ट आइंस्टीन ने सेना की नौकरी से बचने के लिए जर्मन नागरिकता छोड़ दीं

सन् 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन अपने माता पिता के पास इटली चले गए। परंतु उनके इस तरह चले जाने की वजह से जर्मनी द्वारा उन्हें सूचित किया गया कि अगर वह यहां बने सेना कानून के अनुसार वापस नहीं आते हैं तो उन्हें इसके लिए दंडित किया जाएगा। सेना में नौकरी करने से बचने के लिए उन्होंने 17 साल की उम्र में जर्मन नागरिकता का त्याग कर दिया था।

फिर से जर्मन नागरिकता हासिल करना

जब अल्बर्ट आइंस्टीननेपर्ची अकैडमी और साइंस के मेंबर के तौर पर शपथ ग्रहण की तो उन्हें एक राजकीय अफसर का तमगा हासिल हुआ। उस समय के अनुसार केवल जर्मन नागरिक राजकीय अफसर का पद  प्राप्तत करने हकदार थे। इसी वजह से उन्हें जबरदस्ती एक बार फिर से जर्मन नागरिकता लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, जिसे उन्होंने 17 वर्ष की आयु में सेना की नौकरी में भर्ती होने से बचने के कारण छोड़ दी थी।

अल्बर्ट आइंस्टीन को नाव चलाना बहुत पसंद था

अल्बर्ट आइंस्टीन को नाव चलाने का बहुत शौक था। वह अपनी नाव को “टाइनफ” कहकर संबोधित करते थे। जिसका यहूदी में अर्थ ‘बेकार कबाड़’ होता है और यह समान रूप से उनके नौकायन कौशल का वर्णन भी करती है। न केवल वह एक घटिया नाविक थे, अपितु उन्हें तैरने का भी कोई ज्ञान नहीं था।

एक दुखी बिल्ली

अल्बर्ट आइंस्टीन के पास टॉम कैट नाम की एक बिल्ला था, जो बारिश होने पर अपने आप उदास हो जाता था। अल्बर्ट आइंस्टीन को अपने इस बिल्ले से बहुत सहानुभूति थी और कई बार बारिश होते समय उन्हें अपने बिल्ले से यह कहते हुए भी सुना गया कि मुझे नहीं पता कि “मैं तुम्हारे लिए ऐसा क्या करूं, जिससे कि यह बारिश बंद हो सके।”

आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था

अल्बर्ट आइंस्टीन को कभी भी उनके द्वारा पुष्टि किए गए ‘सापेक्षता के सिद्धांत’, अथवा किसी अन्य सामान्य कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। परंतु सन् 1921 में उन्हें ‘फोटो इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव‘ पर उनके द्वारा किए गए कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

आइंस्टीनियम

आइंस्टीनियम आवर्त सारणी पर 99 वां तत्व है। इसका नाम अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है। हालांकि वास्तव में इसकी खोज या अनुसंधान से अल्बर्ट आइंस्टीन का सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं था।

एक ऐसा सिद्धांत जो कभी भी प्रकाशित नहीं हुआ

अल्बर्ट आइंस्टीन ने बिग बैंग के सिद्धांत के विकल्प को खोजा। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड लगातार बढ़ रहा है और यह अनंत रूप से विस्तारित होता चला जा रहा है। परंतु बाद में अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने इस सिद्धांत को स्वयं ही छोड़ दिया और यह सिद्धांत का पेपर कभी भी प्रकाशित नहीं किया गया।

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अल्बर्ट आइंस्टीन ने रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया था परंतु क्या यह सच है?

आइंस्टीन और उनके सहयोगी लियो स्ज़ीलार्ड ने एक अवशोषण रेफ्रिजरेटर डिजाइन किया था, जिसमें किसी प्रकार का कोई चलित भाग (मूविंग पार्ट) नहीं था और इस अवशोषण रेफ्रिजरेटर को बिजली की आवश्यकता भी नहीं थी। यह फ्रिज कभी भी एक वाणिज्यिक उत्पाद नहीं बन पाया।

आइंस्टीन के दिमाग के चोरी होने की घटना

जब आइंस्टीन की मृत्यु हो गई तो उनके दिमाग को एक व्यक्ति ने चुरा लिया। जिसका नाम थॉमस हार्वे था। उसने अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग को चुराकर उसके ऊपर अवैध रूप से ऑटोप्सी की थी। कई वर्षों तक उसने आइंस्टीन दिमाग के कुछ टुकड़ों को एक जार के अंदर बचा कर रखा था। उसने इस जार को अपनी फिलाडेल्फिया की एक प्रयोगशाला के अंदर सुरक्षित रूप से रखा था। जो कि एक बेसमेंट के अंदर स्थित थी। इस प्रयोगशाला के अंदर उसने आइंस्टीन के दिमाग के टुकड़ों को एक बियर को ठंडा करने वाली मशीन के नीचे छुपा कर रखा था।

अल्बर्ट आइंस्टीन के मस्तिष्क को मरने के उपरांत म्यूजियम में रखा गया

थॉमस ने आखिरकार आइंस्टीन के दिमाग के टुकड़ों को प्रिंस स्टोन हॉस्पिटल को वापस कर दिया था।। जिन्होंने बाद में उसके ऊपर ऑटोप्सी को अंजाम दिया। आज के समय में फिलाडेल्फिया के अंदर बने हुए मटर म्यूजियम के अंदर उनके दिमाग के टुकड़ों को सुरक्षित रूप से रखा गया है। मटर म्यूजियम ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर सामान्य लोग आइंस्टीन के दिमाग को देख सकते हैं।

न्यूयॉर्क शहर में आइंस्टीन की आंखें

थॉमस हार्वे ने आइंस्टीन के दिमाग के साथ-साथ उनकी आंखों को भी निकाल लिया था और इसके उपरांत उसने उन आंखों को अल्बर्ट आइंस्टीन के आंखों के डॉक्टर हेनरी अबराम को एक उपहार के तौर पर भेंट में दे दी थी। आज के समय में आइंस्टीन की आंखों को न्यूयॉर्क शहर के अंदर सुरक्षित रूप से रखा गया है।

अनुवाद की कमी के कारण आइंस्टीन के मरने से ठीक पहले बोले गए शब्दों को दुनिया ने खो दिया

मरने से ठीक पहले, अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपनी सेवा कर रहीं, नर्स से कुछ शब्द बोले। जो बोलने के ठीक बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। परंतु दुर्भाग्यवश उन्होंने यह शब्द जर्मन भाषा में बोले थे। जिसको वह नर्स नहीं समझ सकीं, क्योंकि उसे जर्मन भाषा में बोलना या समझना नहीं आता था। 

शांत रहने के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन हमेशा धूम्रपान करते थे

अल्बर्ट आइंस्टीन को धूम्रपान करना बहुत अधिक पसंद था। उनका मानना था कि धूम्रपान पाइप वास्तव में कुछ हद तक मनुष्य को शांत और उद्देश्य पूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है। हालांकि अत्यधिक धूम्रपान करने के कारण उनके डॉक्टरों ने उन्हें कई बार धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी। जिसे समय के साथ उन्हें छोड़ना भी पड़ा। परंतु वह धूम्रपान के पाइप से खुद को अलग नहीं कर पाए और वह अक्सर धूम्रपान के पाइप को अपने मुंह में दबा लेते थे और उसे चबाते थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन का एक रशियन स्त्री के साथ अफेयर

द्वितीय विश्वयुद्ध अपने अंत की ओर था। उस समय अल्बर्ट आइंस्टीन को एक मार्गरीटा कोनेंकोवा के साथ एक भावुक संबंधमें देखा गया। वास्तव में यह संबंध दुनिया में “एक शानदार वैज्ञानिक और रूसी जासूस के बीच” की नजरों से देखा जा रहा था इस अफेयर का अंत तब हुआ जब मार्गरेटा कोनेंकोवा के पति 1945 में मास्को लौट कर वापस आ गए। मार्गरीटा कोनेंकोवा को कथित तौर पर अमेरिकी परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानने और वहां जाकर अपना प्रभाव जमाने के लिए का कार्य सौंपा गया था। साथ ही उन्हें मैनहैटन परियोजना के प्रमुख जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के करीब जाने का निर्देश भी दिया गया था। हालांकि अल्बर्ट आइंस्टीन सीधे तौर पर मैनहैटन प्रोजेक्ट के अंतर्गत शामिल नहीं थे। इसीलिए यह बात पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई कि मार्गरीटा कोनेंकोवा उन्हें छोड़ना चाहती थी।

समानता के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन सदैव खड़े रहे

संयुक्त राज्य में जाने के बाद, आइंस्टीन NAACP (नेशनल एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल) से जुड़ गए और वहां पर एक सक्रिय सदस्य बन गए। इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिका में हो रहे नस्ली अलगाव के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपना विरोध प्रदर्शित किया।

सबसे बड़ा दिन

1923 में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने हिब्रू विश्वविद्यालय में अपना पहला वैज्ञानिक के रूप में संबोधन प्रस्तुत करने के लिए येरुशलम की यात्रा की। उन्होंने यह कार्य पैसे इकट्ठा करने के लिए किया था। बाद में उन्होंने अपने अन्य भाषण में यह बताया कि वह उस दिन को अपने जीवन का सबसे बड़ा दिन मानते थे। 

अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक छोटी बच्ची को जो वैज्ञानिक बनना चाहती थी एक सलाह दी थी  

दक्षिण अफ्रीका से एक छोटी सी लड़की ने अल्बर्ट आइंस्टीन को एक पत्र लिखकर यह पूछा कि उसके लड़की होने के कारण उसे वैज्ञानिक बनने से रोक दिया गया है इस पत्र के जवाब में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उस को समझाते हुए कहा कि “मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि आप एक लड़की हैं। परंतु आप स्वयं का लड़की होना कभी भी गलत मत मानना। ऐसा मानने के लिए कोई भी कारण नहीं हो सकता।”

अल्बर्ट आइंस्टीन अपने जीवन की अवधि को बढ़ा सकते थे

अपनी मृत्यु से 2 दिन पहले जब अल्बर्ट आइंस्टीन अस्पताल में दाखिल हुए भर्ती हुए तो डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन करने का सुझाव दिया, परंतु अल्बर्ट आइंस्टीन ने इससे साफ मना कर दिया। उनका मानना था कि जो जीवन कृतिम तरीकों से मिले उसे जीने में वह मजा नहीं आ सकता।

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जब अल्बर्ट आइंस्टीन एक शरणार्थी बने

जर्मनी में हिटलर के सत्ता संभालने के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन एहसास किया कि अब उनकी जान को जर्मनी में खतरा है। इसी कारण अल्बर्ट आइंस्टीन बेल्जियम चले गए। जिसके बाद उन्हें पता चला कि उनकी नाव और घर को जब्त कर लिया गया है। जिसके बाद वह इंग्लैंड की ओर चले गए। वहां उन्हें सशक्त संरक्षण में तब तक रखा गया, जब तक कि उन्हें अमेरिका से सुरक्षा प्राप्त नहीं हो गई।

अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रसिद्ध फोटो

अपने 72 वें जन्मदिन के समारोह में वह अल्बर्ट आइंस्टीन पूरी तरह से फोटोग्राफर से गिरे हुए थे। जिससे परेशान होकर के वह अपने ही जन्मदिन के समारोह को छोड़कर चले गए। वास्तव में वह झूठी मुस्कान देकर परेशान हो गए थे। इसलिए उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर चढ़ाने की कोशिश की। आइंस्टीन ने अपनी 9 फोटो को व्यक्तिगत उपयोग में लेने की मांग की और उनमें से एक रिपोर्टर को यह करने के लिए कहा। बाद में इनमें से यह एक फोटो नीलामी के दौरान 74,324 डॉलर में बिकी।

योदा की डिजाइन अल्बर्ट आइंस्टीन से प्रेरित थी

अल्बर्ट आइंस्टीन की आंखों और उनकी झुर्रियों से प्रभावित होकर के युद्ध की डिजाइन पर काम किया गया। जिसने उसे एक बुद्धिमान और समझदार व्यक्ति जैसा रूप दिया।

लिसेर्ल का बाद में क्या हुआ वह कहां गई

अल्बर्ट आइंस्टीन जब 22 वर्ष के थे, तब ऐसा सुनने में आता है कि उनकी एक बेटी थी, जो बिना विवाह के हुई थी। इस बच्ची का नाम लिसेर्ल रखा गया। परंतु जन्म के कुछ समय बाद ही इस बच्ची के बारे में किसी को कुछ नहीं पता, वह कहां गई और आगे उसका भविष्य क्या हुआ। आज तक इस बात को कोई नहीं जानता। 

एफबीआई ने अल्बर्ट आइंस्टीन के ऊपर खुफिया तरीके से नजर रखी हुई थी

एक समय ऐसा भी था जब एफबीआई ने अल्बर्ट आइंस्टीन के ऊपर अपनी खुफिया नजर रखी हुई थी। यह सन् 1932 के दिसंबर की बात है जब एफ.बी.आई. ने अल्बर्ट आइंस्टीन के ऊपर खुफिया नजर रखते हुए एक फाइल बना रही थी। आइंस्टीन की मृत्यु के समय इस फाइल में कुल 1427 पेज जुड़ चुके थे। उस समय एफबीआई के निदेशक जे. एडगर हूवर को आइंस्टीन पर गहरा संदेह था और उनका मानना था कि वह एक अति कट्टरपंथी और कम्युनिस्ट प्रकृति के व्यक्ति थे।

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