जानिये लहसुन से होने वाले ये 18 वैज्ञानिक फायदे

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garlic

हजारों वर्षों से लहसुन को एक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। लहसुन में एक खास तरह की तीव्र गंध होती है। इसका स्वाद तीखा होता है, जोकि पकाने के बाद काफी हद तक मृदुल हो जाता है। इसका उपयोग खाना पकाने में किया जाता है, यह आपके स्वास्थ्य को भी कई किस्म के फायदे देता है। लहसुन में सल्फर युक्त यौगिकों की उच्च मात्रा होती है। लहसुन में मुख्य सक्रिय घटक थायोसल्फ्रेट्स होते हैं, जिसमें एलिसिन शामिल होता है। साथ ही लहसुन में यह भी शामिल होतें हैं :

• सैपोनिन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर और जिंक (जस्ता) की उच्च मात्रा
• सेलेनियम और विटामिन ए और सी का मध्यम स्तर
• कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, लोहा, मैंगनीज और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन निम्न स्तर में मौजूद होते हैं

लहसुन के सेवन से ह्रदय रोग, कैंसर, डायबिटीज, मोटापे, कोलेस्ट्रोल, हाई ब्लड प्रेशर, स्किन या त्वचा की बीमारियाँ, मस्तिष्क रोग आदि में लाभ देखा गया है। अभी हालांकि इस के बारे में बहुत बड़े पैमाने पर अनुसंधान किया जाना शेष है। अभी लहसुन को लेकर उचित प्रकार के क्लीनिकल ट्रायल किये जाने बाकी हैं। इसी कारण लहसुन के अधिकांश फायदे कथित रूप से हैं, जिन्हें वैज्ञानिक प्रयोगशाला में साबित नहीं किया जा सका है। आयुर्वेद में लहसुन का उत्कर्ष स्थान है। सेहत के फायदे के लिए कई तरह के सप्लीमेंट्स में भी लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। लहसुन से होने वाले स्वास्थ्य के कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं –

Table Of Contents
  1. लहसुन ह्रदय रोगों में फायदेमंद है
  2. लहसुन डायबिटीज (मधुमेह) में रक्त शर्करा का नियंत्रण करता है
  3. उच्च रक्तचाप में लहसुन लाभकारी
  4. लहसुन उच्च रक्त वसा (हाइपरलिपिडिमिया) में असरदार
  5. शारीरिक क्षमता बढ़ाने में लहसुन सहायक
  6. फंगल इन्फेक्शन में लहसुन फायदेमंद
  7. लहसुन कीटनाशक के रूप में गुणकारी
  8. कैंसर की रोकथाम में लहसुन फायदेमंद
  9. एलर्जी की रोकथाम में लहसुन फायदेमंद
  10. पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रा-वायलेट किरणों) से त्वचा की सुरक्षा
  11. बालों के झड़ने में लहसुन फायदेमंद
  12. अधिक मोटापे में लहसुन कारगर
  13. लहसुन में एंटी एजिंग (चिर यौवन) प्रभाव
  14. लहसुन से त्वचा पर पड़ने वाले लाल चकत्ते की रोकथाम
  15. लहसुन लिवर की विषाक्तता को कम करता है
  16. लहसुन गुर्दे की विषाक्तता के कारण होने वाले नुकसान से बचाता है
  17. लहसुन स्मृति के सुधार में फायदेमंद
  18. मस्तिष्क रोगों पर लहसुन के संभावित फायदे

लहसुन ह्रदय रोगों में फायदेमंद है

हृदय रोग के होने की संभावना उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और रक्त वाहिकाओं के सख्त होने से बढ़ जाती है। प्लेटलेट्स रक्त वाहिका की चोट को रोककर रक्तस्राव को रोकतीं हैं। प्लेटलेट एकत्रीकरण से रक्त के थक्के भी बनते हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। सीमित साक्ष्य बताते हैं कि लहसुन कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है, बढे हुए रक्तचाप को कम कर सकता है, कठोर रक्त वाहिकाओं को दुबारा शिथिल कर सकता है और बेवजह प्लेटलेट एकत्रीकरण को रोकने मैं मदद भी करता है। हालांकि अभी इन दावों को सिद्ध करने के लिए बड़े पैमाने पर शोध की कमी है तथा इसमें अभी और भी अध्ययन की आवश्यकता है। लहसुन का अर्क नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन और कार्य को भी बढ़ाता है, जो रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने के साथ उच्च रक्तचाप को भी कम करता है।

लहसुन डायबिटीज (मधुमेह) में रक्त शर्करा का नियंत्रण करता है

डायबिटीज (मधुमेह) एक महामारी बन चुकी है। यह ज़्यादातर आनुवांशिकी, अधिक मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मेटाबोलिक सिंड्रोम आदि कारणों की वजह से होती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस वह स्थिति होती है जब शरीर इंसुलिन के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं करता जिसके कारण शरीर में रक्त में शर्करा (ग्लूकोस या शुगर) के स्तर में लगातार वृद्धि होने लगती है जिससे उच्च मधुमेह होने का खतरा बन जाता है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, मधुमेह के रोगियों में लहसुन, इंसुलिन रेजिस्टेंस, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि लहसुन रक्त शर्करा के स्तर को थोड़ा कम कर सकता है। इसके साथ ही लहसुन दवाओं को विघटित करने वाले एंजाइम ( CYP2E1) को रोककर भी इंसुलिन रेजिस्टेंस (इन्सुलिन प्रतिरोध) को कम कर सकता है।

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उच्च रक्तचाप में लहसुन लाभकारी

लहसुन उच्च रक्तचाप के रोगियों में रक्तचाप को नियंत्रित करता है। उम्रदार लहसुन का अर्क कैल्शियम को बढ़ाकर और सी रिएक्टिव प्रोटीन (CRP)के स्तर को कम करके रक्तचाप को कम करता है। सी रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) के बढ़ने से शरीर की कोशिकाओं में सूजन और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। दूसरी ओर, सल्फर की कमी भी उच्च रक्तचाप बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाती है। लहसुन में ‘एलीसिन’ नाम का एक सल्फर यौगिक होता है जो हाइड्रोजन सल्फाइड की सांद्रता बढ़ाकर रक्तचाप को कम करता है। हाइड्रोजन सल्फाइड रक्त वाहिकाओं (नाइट्रिक ऑक्साइड के माध्यम से) को आराम देता है और रक्त वाहिका के संकुचन को (एंडोटिलिन -1 द्वारा) रोकता है। ऐसा होने से रक्त आसानी से रक्त वाहिनियों में बहता है और ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता।

लहसुन उच्च रक्त वसा (हाइपरलिपिडिमिया) में असरदार

सीमित अध्ययनों के अनुसार यह पता चला है कि लहसुन मानव और पशु दोनों के जिगर (लिवर) में कोलेस्ट्रॉल के संश्लेषण को रोकता है। ऐसा करके यह कुल कोलेस्ट्रॉल और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। लहसुन मधुमेह रोगियों में कोलेस्ट्रॉल-उत्पादक एंजाइमों को निष्क्रिय करके कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। हालांकि, लहसुन के कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले प्रभाव के बारे में प्रमाण मिले-जुले से हैं। एनआईएच (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ) के अनुसार भले ही लहसुन रक्त में कोलेस्ट्रॉल कम करता है परंतु यह प्रभाव इतना बड़ा नहीं है जिससे शरीर को निश्चित तौर पर फायदे हो सकें।

शारीरिक क्षमता बढ़ाने में लहसुन सहायक

शारीरिक क्षमता बढ़ाने में लहसुन फायदेमंद होता है। पुराने समय में लहसुन को शारीरिक प्रतिस्पर्धाओं में ‘अच्छा प्रदर्शन’ करने में मदद करने वाले तत्व की तरह उपयोग किया जाता था। पुरातन काल में थकान हटाने के लिए लहसुन के प्रयोग का खूब चलन था। ग्रीस में ओलम्पिक खिलाड़ियों को लहसुन सेवन के लिए दिया जाता था ताकि उनका प्रदर्शन बेहतर हो सके। चूहों पर किये गए शोध कार्यों से पता चला है कि व्यायाम और एक्सरसाइज की परफॉरमेंस बढ़ाने में लहसुन फायदेमंद है। जिन लोगों ने छः हफ़्तों तक लहसुन के तेल का इस्तेमाल किया (भोजन में) उनमें बेहतर तरीके से एक्सरसाइज करने की क्षमता देखी गयी। साथ ही व्यायाम करते वक़्त उनकी अधिकतम ह्रदयगति में भी 12 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी, जिससे ह्रदय के सुरक्षित रहने के चांस बढ़ गए।

फंगल इन्फेक्शन में लहसुन फायदेमंद

छोटे स्तर पर किया गए वैज्ञानिक क्लीनिकल परीक्षणों से पता चलता है कि लहसुन के पेस्ट का इस्तेमाल करके निम्नलिखित संक्रमण में हो रहे सुधार को देखा जा सकता है –

• दाद (टिनिया कॉर्पोरिस)
• जॉक खुजली (टिनिआ क्रूस)
• एथलीट फुट (टीनिया पेडिस)

लहसुन कीटनाशक के रूप में गुणकारी

लहसुन एक भरोसेमंद कीट नाशक के रूप में कार्य करता है। यदि हम लहसुन की तुलना मानव द्वारा बनाए गए अन्य सिंथेटिककीट नाशकों से करें तो इसका परिणाम कितना संतोषजनक होता है इस पर अभी अध्ययन करना बचा है। परंतु एक अध्ययन के अनुसार 8 हफ्तों के लिए कुछ लोगों को प्रतिदिन लहसुन की 1200 मिलीग्राम की खपत करवाई गई जिसमें यह परिणाम निकाला गया कि उन्हें अन्य सामान्य जनों की तुलना में कम कीड़ों (TICKS) ने अपना शिकार बनाया।

garlic health

कैंसर की रोकथाम में लहसुन फायदेमंद

लहसुन के अंदर कई प्रकार के कैंसर की रोकथाम करने के गुण होते हैं। जिनमें से कुछ कैंसर के प्रकार नीचे दिए गए हैं –

प्रोस्टेट कैंसर में लहसुन का रोल

प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम के लिए लहसुन कारगर सिद्ध हुआ है। चीनी पुरुषों में उच्च लहसुन सेवन (2 ग्राम / दिन से अधिक) और प्रोस्टेट कैंसर के खतरे के बीच एक तुलना करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि लहसुन खाने से प्रोटेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है हालांकि लहसुन की कितनी खुराक प्रोस्टेट कैंसर को रोकने में मदद कर सकती है यह पता लगाने के लिए अभी अधिक शोध की आवश्यकता है।

स्तन कैंसर में लहसुन असरदार

लहसुन में डायलाइल ट्रिसल्फाइड की उपस्थिति स्तन ट्यूमर के विकास को रोकती है। यह चूहों में ट्यूमर सेल की मृत्यु को बढ़ावा देने और ट्यूमर के विकास (Bcl -2 के माध्यम से प्रोटीन और एंजाइम कैस्पेज़ ) को बाधित करने के लिए परिकल्पित की गई है।

फेफड़ों का कैंसर और लहसुन

यदि डायलाइल ट्रिसल्फाइड को कीमोथेरेपी के साथ दी जाने वाली दवा सिस्प्लैटिन के साथ मिलाकर चूहों के फेफड़ों के ट्यूमर के विकास को रोकने के प्रयास के लिए दी जाए तो शायद कारगर सिद्ध होगी। डायलाइल ट्रिसल्फाइड कैंसर की कोचिका के अन्दर एक ऐसा पथ सक्रिय करती है जो ट्यूमर कोशिका मृत्यु की कारण बनने के साथ ही ट्यूमर कोशिका वृद्धि (p53, Bcl-2, JNK, p38) को भी रोकता है।

पेट या आमाशय का कैंसर और लहसुन

शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि लहसुन में मौजूद S-allylmercaptocysteine (SAMC) चूहों में पेट के ट्यूमर के विकास को दबा सकता है। उनके अनुसार SAMC ने कुछ ऐसे एंजाइम कैस्पास और प्रोटीन केनेज (MAPK और PI3K / Akt) को सक्रिय किया है करते हैं जो ट्यूमर कोशिका की मृत्यु का कारण बन जाते हैं। हालांकि इस विषय में अभी इतने अधिक वैज्ञानिक अध्ययन मनुष्यों के ऊपर नहीं किए गए हैं जिनसे यह दावा किया जा सके कि लहसुन की कितनी मात्रा पेट के कैंसर को रोकने में सफल होगी, यदि यह करना संभव हो तो।

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मस्तिष्क कैंसर में लहसुन प्रभावकारी

लहसुन में मौजूद एक सल्फर युक्त यौगिक, “डायलाइल ट्रिसल्फ़ाइड”, चूहों के मस्तिष्क के ट्यूमर के आकार को कम करते हुए देखा गया है। इतना ही नहीं इसमें मौजूद एंजाइम हिस्टोन डेसेटाइलेज़ (एचडीएसी) चूहों में मस्तिष्क के ट्यूमर की कोशिका की मृत्यु का कारण भी बनता है।

बड़ी आंत के कैंसर की प्रगति को रोकने में लहसुन प्रभावी

लहसुन में मौजूद डायलाइल डाइसल्फ़ाइड और S-allylmercaptocysteine (SAMC) चूहों में किए गए अध्ययनों के अनुसार कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोककर कैंसर कोशिकाओं की मृत्यु दर को बढ़ातें हैं, जो कि अंततः कोलन ट्यूमर (बड़ी आंत के ट्यूमर) के विकास को रोकता है। डायलाइल डाइसल्फ़ाइड प्रोटीन ERK को सक्रिय करके भी ट्यूमर कोशिकाओं के विकास को बाधित करता है। SAMC असल में JNK1 प्रोटीन और एंजाइम कैस्पेज़ को सक्रिय करके ट्यूमर कोशिकाओं की मृत्यु दर को बढ़ाता है।

ब्लैडर कैंसर को रोकने में लहसुन का रोल

लहसुन मूत्राशय के ट्यूमर (ब्लैडर कैंसर) के विकास को रोकने में मदद करता है। चूहों में किए गए एक प्रयोग के दौरान यह पता चला कि यह इम्यूनिटी सिस्टम की कोशिकाओं को उत्तेजित करके चूहों में मौजूद कार्सिनोजेन (कैंसर उत्पन्न करने वाले पदार्थों) को डिटॉक्सिफाई करता है। लहसुन मैक्रोफेज और लिम्फोसाइट (श्वेत रक्त कणिका) की गतिविधि को बढ़ाता है, जो ट्यूमर कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें निष्क्रिय करने में मदद करती हैं। लहसुन एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम CYP2E1 को सक्रिय करके भी कार्सिनोजन (कैंसर उत्पन्न करने वाले पदार्थों) को डिटॉक्स या निष्क्रिय करता है।

इसोफेगस कैंसर ( अन्नप्रणाली ट्यूमर ) में लहसुन का रोल

लहसुन में “डायलाइल सल्फाइड” की उपस्थिति चूहों में अन्नप्रणाली ट्यूमर (इसोफेजियल कैंसर) होने से बचाव करते देखी गयी है। ‘डायलाइल सल्फाइड’ वास्तव में लहसुन में मौजूद एक सल्फर युक्त यौगिक है।

त्वचा कैंसर की प्रगति में लहसुन का रोल

लहसुन में मिलने वाला एलिल सल्फाइड्स इंसान में त्वचा के कैंसर की कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है। यह इन कैंसर कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुंचाते हुए मानव में इस कैंसर के विकास को नियंत्रित करता है, ऐसा मानव पर किए गए शोधों के द्वारा पता चलता है।

लीवर कैंसर की प्रगति रोकने में लहसुन असरदार

लहसुन में उपस्थित सल्फर यौगिक कोशिका के अन्दर कई किस्म के प्रोटीन (p53, p21, और JNK) को सक्रिय करके लीवर कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकते हैं जो कि चूहों में ट्यूमर कोशिकाओं की मृत्यु का कारण बनते हैं।

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एलर्जी की रोकथाम में लहसुन फायदेमंद

उम्रदार लहसुन के अर्क को चूहों में एलर्जी की प्रतिक्रिया को कम करते हुए देखा गया है। वृद्ध लहसुन से निकली हुई ‘एथिल एसीटेट’ सीधे प्रतिरक्षा प्रोटीन FceRI को दबा सकती है , जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं के दौरान सक्रिय होकर इन्फ्लेमेटरी तत्वों को शरीर में फैलाता है। जीर्ण लहसुन का अर्क हिस्टामाइन के द्वारा शरीर में होने वाली एलर्जी प्रतिक्रियाओं के दौरान आई हुई सूजन को रोकता है।

पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रा-वायलेट किरणों) से त्वचा की सुरक्षा

मानव पर किए गए अध्ययनों से यह पता चलता है कि लहसुन में इम्यूनिटी सिस्टम की कोशिकाओं को उत्तेजित करके त्वचा को पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से बचाने का गुण भी पाया जाता है। जब त्वचा यूवी किरणों के संपर्क में आती है, तो त्वचा में मौजूद यूरोकैनीक एसिड बदलने लग जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के दमन का कारण बनता है। जीर्ण लहसुन यूरोकैनीक एसिड के संकेंद्रण को कम करके प्रतिरक्षा कोशिकाओं के दमन को कम करता है, ऐसा चूहों में किए गए अध्ययन से पता चलता है।

बालों के झड़ने में लहसुन फायदेमंद

कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि स्टेरॉयड क्रीम के साथ लहसुन के पेस्ट को मिलाकर इस्तेमाल करना एलोपेसिया से पीड़ित रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एलोपेसिया एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें बालों का झड़ना रुकता ही नहीं है। यह इम्यूनिटी सिस्टम की कोशिकाओं द्वारा बालों की जड़ पर किए गए आक्रमण के कारण होती है। लहसुन में मौजूद डायलाइल डाइसल्फ़ाइड ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को रोक कर प्रतिरक्षक कोशिकाओं का दमन करके बालों के पुन: विकास को प्रेरित कर सकता है।

अधिक मोटापे में लहसुन कारगर

चूहों पर किए गए अध्ययन के अनुसार लहसुन शरीर के वजन और वसा के संचय को कम कर के मोटापे को रोकने में मदद करता है। पशुओं के ऊपर किए गए अध्ययन से यह पता चलता है कि लहसुन, प्रोटीन (एएमपीके और अनप्लगिंग प्रोटीन) को सक्रिय करके वसा ऊतक, यकृत और मांसपेशियों में ऊर्जा के भंडारण के बजाय ऊष्मा में परिवर्तित कर देता है। लहसुन में पाया जाने वाला एक यौगिक ‘अजीनो’ चूहों में वसा ऊतक को कम करके मोटापे को रोकता है। अजीनो, हाइड्रोजन पेरोक्साइड उत्पन्न करता है, जो एंजाइम (प्रोटीन केनेसेस) को सक्रिय करता है, जो कि अंततः वसा कोशिकाओं को नष्ट करता है।

लहसुन में एंटी एजिंग (चिर यौवन) प्रभाव

लहसुन के अर्क के साथ किए गए लंबे समय के सामयिक अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकला है कि लहसुन में त्वचा की कोशिकाओं के जीवन काल को बढ़ाने का गुण होता है जिसके कारण यह एंटी एजिंग प्रभाव डालता है। अनुपचारित कोशिकाओं की तुलना में लहसुन से उपचारित त्वचा की कोशिकाएं अधिक स्वस्थ होती हैं। लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करते हैं। लहसुन में साइटोकिनिन भी होता है। यह एक ऐसा हार्मोन है जो कोशिकाओं की वृद्धि को बढ़ावा देता है और साथ ही अपने एंटीऑक्सिडेंट प्रभावों के माध्यम से बढ़ती उम्र के रोकने में भी मदद करता है।

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लहसुन से त्वचा पर पड़ने वाले लाल चकत्ते की रोकथाम

लहसुन सोरायसिस और एक्जिमा जैसी बीमारियों में त्वचा पर पढ़ने वाले चकत्ते को शांत कर सकता है। यौगिक NF-kB के सक्रियण को त्वचा पर पड़ने वाले चकत्तों से सीधी तरह जोड़ा गया है। एनएफ-केबी के सक्रिय होने का मुख्य कारण मुक्त कण, कैंसर पैदा करने वाले एजेंट और यूवी किरणें होती है, जिसका सीधा असर इन्फ्लेमेशन का बनना माना गया है। लहसुन में मौजूद एस-एलिल सिस्टीन, मुक्त कणों को रोक कर एनएफ-केबी को बढ़ने से रोक देता है। जिससे कि कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव तनाव कम हो जाता है, ऐसा मानव अध्ययन ऊपर किए गए प्रयोगों से मिली जानकारी के अनुसार कहा गया है।

लहसुन लिवर की विषाक्तता को कम करता है

लहसुन के पाउडर में एंटीबायोटिक्स और टाइलेनॉल की उच्च खुराक होने के कारण चूहों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि लहसुन लिवर (यकृत या जिगर) की विषाक्तता से होने वाले नुकसान से रक्षा करता है। लहसुन एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है और मुक्त कणों को स्थिर करके ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकता है। ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी से एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम की गतिविधि बढ़ जाती है, जो जिगर को और अधिक सुरक्षित रखती हैं।

लहसुन गुर्दे की विषाक्तता के कारण होने वाले नुकसान से बचाता है

चूहों में किए गए एक शोध से ऐसे परिणाम सामने आए हैं जिनमें लहसुन में उपस्थित तत्व ने गुर्दे की विफलता और सिस्प्लैटिन (एक प्रकार की कीमोथेरेपी की दवा) की वजह से चूहों में होने वाली गुर्दे की क्षति को भी रोकने में मदद की है। लहसुन में मौजूद एक सल्फर यौगिक एस-एलिल सिस्टीन, मुक्त कणों को रोककर एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है, जो शरीर में कोशिकाओं की क्षति का कारण बनता है। मुक्त कणों को कम करके, यह गुर्दे में एंटीऑक्सिडेंट एंजाइमों की गतिविधि को बढ़ाता है। एस-एलिल सिस्टीन उन एंजाइमों को भी रोकता है जो मुक्त कण पैदा करते हैं।

लहसुन स्मृति के सुधार में फायदेमंद

लहसुन मस्तिष्क में सेरोटोनिन नाम के हॉर्मोन के स्तर को बढ़ाता है, जो कि एक न्यूरोट्रांसमीटर है। यह संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद करता है । लहसुन का तेल मस्तिष्क के स्मृति से जुड़े हुए कार्यों में सुधार लाता है, ऐसा चूहों पर किए गए प्रयोग द्वारा देखा गया है।

मस्तिष्क रोगों पर लहसुन के संभावित फायदे

मुक्त कण अत्यधिक अस्थिर अणु होते हैं जो शरीर में उस समय बनते हैं क्या ऑक्सीजन का उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा रहा होता है। एंटीऑक्सिडेंट अणुओं को स्थिर करके मुक्त कणों के बनने को रोकते हैं। पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट के बिना, मुक्त कण शरीर में सेलुलर क्षति (कोशिकाओं के विनाश) का कारण भी बन सकते हैं। एस-एलिल सिस्टीन एक एंटीऑक्सिडेंट है जो जीर्ण लहसुन के अर्क में पाया जाता है और मस्तिष्क को होने वाली क्षति से बचाता है, ऐसा कोशिकाओं के मॉडल के अध्ययन से निकाले गए निष्कर्ष में कहा गया है। एस-एलिल सिस्टीन मस्तिष्क (हिप्पोकैम्पस) में एंटीऑक्सिडेंट एंजाइमों को सक्रिय करता है जो क्षति को रोकने के लिए मुक्त कणों को कम करता है।

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