थाइरॉएड हॉर्मोन कम होने का पता घर बैठे कैसे लगायें? जानिये 10 लक्षण.

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थाइरॉएड ग्रंथि की समस्या एक आम बात हो गई है. आंकड़े बताते हैं कि अपने जीवन में लगभग 12% लोग कभी ना कभी थायराइड की बीमारी से ग्रस्त होंगे. महिलाओं में पुरुषों के बजाय थायराइड की बीमारी से ग्रसित होने की आशंका 8 गुना ज्यादा होती है. साथ ही थाइरॉएड की बीमारी उम्र के साथ बढ़ती है और बच्चों तथा वयस्कों में अलग-अलग तरह से सामने आ सकती हैं.

थायराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है.  यह गर्दन के हिस्से में सांस लेने की नली के सामने होती है. यह ग्रंथि थायरोक्सिन नाम का हार्मोन बनाती है जो हमारे शरीर मैं बहुत आवश्यक भूमिका निभाता है. आइए जानते हैं थाइरॉएड ग्रंथि के कम काम करने से (hypothyroidism या हाइपोथायरायडिज्म) शरीर में कौन-कौन से लक्षण पैदा हो सकते हैं.

हमेशा थकावट रहना

थायराइड ग्रंथि के कम काम करने का सबसे मुख्य लक्षण है शरीर में हमेशा थकावट रहना.  ऐसे व्यक्ति स्वस्थ रहते हैं तथा मेहनत वाले काम करने में खुद को असमर्थ पाते हैं. मानसिक रूप से भी ऐसे लोग थकावट से दूर रहते हैं तथा अधिक सोने के बावजूद यह फ्रेश नहीं महसूस करते हैं. एक वैज्ञानिक जांच में पाया गया कि 50% से अधिक ऐसे मरीज हमेशा थकान महसूस करते हैं तथा 42% मरीजों ने कहा कि वह जरूरत से ज्यादा सोते हैं.

यदि आपको जरूरत से ज्यादा नींद आ रही है तो हो सकता है कि आपकी थायरॉयड ग्रंथि बीमार हो और कम काम कर रही हो.

यदि थायराइड हॉर्मोन का लेवल बहुत ही कम हो जाता है तो व्यक्ति को मिक्सिडिमा हो सकता है। इस में इंसान कोमा में जा सकता है या उसके शरीर का तापमान बहुत नीचे गिर सकता है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।

शरीर के वजन का अचानक बढ़ना

यदि आपका वजन बिना किसी कारण के  बढ़ रहा है तो संभावना है कि आपकी  थाइरोइड ग्रंथि कम काम कर रही है. ऐसे व्यक्तियों में लिवर तथा मांसपेशी को यह संदेश जाता है कि ऊर्जा को खर्च नहीं होने देना एवं चर्बी के रूप में बदलते रहना है.  जब थाइरॉएड के कम काम करने से थायरोक्सिन हार्मोन की कमी हो जाती है तो शरीर की जरूरतों के लिए कैलोरी खर्च करने के बजाय शरीर भोजन से कैलोरी को चर्बी के रूप में बदलकर संग्रहित कर लेता है.

एक जांच में पाया गया कि जिन लोगों में थायराइड ग्रंथि के कम काम करने की बीमारी नई-नई पाई जाती है पहले साल में 7 से 14 किलो बढ़ने का शिकार हो जाते हैं.

तो यदि आप का वजन बिना किसी सामान्य कारण के लगातार बढ़ रहा है, हो सकता है आपकी थायराइड ग्रंथि बीमार होने की वजह से कम काम कर रही हो.

in case of symptoms and signs of hypothyrism, it is best to consult doctor

सामान्य से अधिक ठंड लगना

कैलोरी के खर्च होने से गर्मी का एहसास होता है. जब हम व्यायाम कर रहे होते हैं, या तेज चाल में चल रहे होते हैं तो हमारे शरीर की कैलोरी खर्च हो रही होती है जिससे हमें गर्मी का एहसास होता है. थायराइड ग्रंथि के कम काम करने की वजह से भोजन से ली गई उर्जा कैलोरी में तब्दील ना होकर चर्बी में तब्दील हो जाती है. इसकी वजह से उष्मा उत्पन्न नहीं होती तथा व्यक्ति को अधिक ठंड लगती है. साथ ही स्वस्थ थायरॉयड ग्रंथि भूरे रंग की आंतरिक चर्बी का संचालन इस तरह करती है कि शरीर में ऊष्मा उत्पन्न होती रहे. जब यह कम काम करती है तो ऊष्मा पैदा होने की प्रक्रिया कम हो जाती है. जिसके फलस्वरूप मरीज को सामान्य लोगों की अपेक्षा बहुत अधिक ठंड लगने लगती है.

 मांसपेशी, हड्डियों और जोड़ों में कमजोरी तथा दर्द

शरीर में थायराइड के हार्मोन की कमी होने से शरीर अपनी ही मांस पेशियों को तोड़ना शुरू कर देता है जिससे उनमें कमजोरी और दर्द की शिकायत पैदा हो जाती है. कभी-कभी तो हम सब कमजोर महसूस करते हैं. लेकिन थायराइड की कमी वाले मरीज सामान्य लोगों के बजाय दुगुने से भी अधिक कमजोर महसूस करते हैं. साथ ही लगभग 34% थायराइड की कमी के मरीज  बिना किसी शारीरिक गतिविधि में शामिल हुए भी मांसपेशी में काफी दर्द का अनुभव करते हैं. एक जांच में पाया गया कि जब ऐसे मरीजों में थाइरॉएड हार्मोन बाहर से दिया जाता है तो मांसपेशी में ताकत वापस आती है तथा दर्द भी खत्म हो जाता है.

गर्भवती महिलाओं में थाइरोइड हॉर्मोन की कमी की समस्या होने वाली शिशु के विकास को बाधित कर सकती है। प्रेगनेंसी के शुरूआती महीनो में बच्चे को अपनी माँ से ही थायराइड हॉर्मोन प्राप्त होता है और यदि माँ को ये समस्या है तो बच्चे के मानसिक विकास में बाधा आ सकती है।

बालों का झड़ना

शरीर के ज्यादातर कोशिकाओं की तरह ही बालों की कोशिकाएं भी थाइरॉएड हार्मोन द्वारा संचालित होती हैं.  क्योंकि बालों की जड़ों में ‘स्टेम सेल्स’ होती हैं जो बहुत जल्दी संख्या में बढ़ती हैं और जिनका जीवन काल छोटा होता है,  इसलिए यह थाइरॉएड हार्मोन के लिए ज्यादा सेंसिटिव होती हैं. थाइरॉएड की कमी होने से बाल झड़ सकते हैं.

एक जांच में देखा गया कि बालों के झड़ने के लिए जो मरीज डॉक्टर के पास जाते हैं उनमें 25 से 30% में थाइरॉएड हार्मोन की कमी पाई गई. 40 वर्ष से अधिक की उम्र वाले मरीजों में यह आंकड़ा 40% देखा गया.

ऐसा भी देखा गया है कि थाइरॉएड ग्रंथि के कम काम करने की वजह से लगभग 10% मरीजों में बाल सख्त और रूखे हो जाते हैं.

यदि हाल फिलहाल में आपके बाल अधिक टूट रहे हैं या रूखे होते जा रहे हैं तो हो सकता है आप थायराइड ग्रंथि की बीमारी से जूझ रहे हो.

रूखी और खुजली वाली त्वचा

त्वचा की कोशिकाएं भी बहुत जल्दी संख्या में बढ़ती हैं. इसीलिए यह थाइरॉएड हार्मोन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होती हैं.  ऐसे मरीजों में त्वचा की मृत कोशिकाएं झड़ने में अधिक समय लेती हैं जिसकी वजह से त्वचा रूखी हो जाती है. जांच में पाया गया कि फारवर्ड ग्रंथि की कमी वाले लगभग 74% व्यक्तियों में रूखी त्वचा की समस्या थी. कभी-कभी थाइरॉएड ग्रंथि की बीमारी ऑटोइम्यून बीमारियों की वजह से भी होती है. ऐसे केस में भी त्वचा पर फर्क पड़ता है और त्वचा में सूजन और लाली आ जाती है.

डिप्रेशन या मानसिक अवसाद

थायराइड ग्रंथि का कम काम करना सीधे-सीधे मनुष्य में डिप्रेशन पैदा करता है. लगभग 64% महिलाओं और 57% पुरुषों ने, जिन में पाया गया कि थायराइड ग्रंथि कम काम कर रही थी, डिप्रेशन की भावनाएं जाहिर की. साथ ही करीब इतने ही लोगों ने अधिक चिंता करने की भावना भी प्रकट की. एक जांच में पाया गया कि इन मरीजों में थायराइड हार्मोन देने से डिप्रेशन में कमी पाई गई. वैज्ञानिक शोध में देखा गया कि जवान महिलाएं जिनमें थाइरॉएड  ग्रंथि कम काम कर रही थी, अपनी सेक्स लाइफ से खुश नहीं थी.

बच्चे के पैदा होने के बाद कई महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या हो जाती है. इसके पीछे भी थाइरॉएड हार्मोन का महत्वपूर्ण रोल है.  देखा जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद शरीर के हार्मोन में कुछ समय के लिए बदलाव होते हैं. थाइरॉएड हार्मोन के प्रभावित होने की वजह से ऐसी महिलाएं मानसिक अवसाद का शिकार हो जाती हैं.

thyroid gland is present in the front of neck
Image Courtesy Medscape

एकाग्रता में कमी और याददाश्त की समस्या

थाइरोइड की ग्रंथि में कमी वाले बहुत से मरीज एकाग्रता में कमी की शिकायत करते हैं. ये  चाहे कितनी कोशिश करें एक विषय में अपना ध्यान नहीं लगा पाते. एक जांच में देखा गया कि लगभग 22% ऐसे मरीज रोजमर्रा की गणित करने में बहुत कठिनाई महसूस करते हैं. लगभग 36% ने यह शिकायत की कि उन्हें सोचने में बहुत ज्यादा समय लगता है. तथा लगभग 39% ने याददाश्त के खराब हो जाने की समस्या व्यक्त की.

कब्जियत हो जाना

थायराइड हार्मोन की कमी से आंतों का चलना भी धीमा हो जाता है. आंकड़े बताते हैं कि सामान्य थायराइड वाली जनसंख्या में लगभग 10% लोगों को कब्ज रहती है. जबकि जिनकी थायराइड ग्रंथि कम काम करती है उनमें लगभग 17 से 20% लोगों में यह शिकायत देखी गई है. कब्जियत की शिकायत की कमी में आम तौर पर देखी जाती है लेकिन सिर्फ यही लक्षण मिले ऐसा भी बहुत कम होता है. कब्जियत के रहने से कई बार कई कई दिन तक शौच साफ नहीं होता जिसकी वजह से पेट दर्द,  पेट का फूलना, जी मिचलाना या उल्टी की समस्या हो सकती है.

माहवारी के समय अधिक ब्लीडिंग होना

थायराइड ग्रंथि के कम काम करने से माहवारी अनियमित भी हो सकती है तथा बहुत अधिक भी हो सकती है. एक जांच में पाया गया कि लगभग 40% ऐसी महिलाओं में माहवारी से संबंधित समस्याएं देखी जाती हैं.  माहवारी को नियमित रखने वाले हार्मोन के साथ थायराइड हार्मोन जुड़ा होता है. यदि इसकी मात्रा कम हो जाए तो यह माहवारी को नियमित कर देता है. साथ ही अंडाशय और बच्चेदानी पर भी दुष्प्रभाव डालता है.

यदि आप की माहवारी अनियमित रहती है या अधिक ब्लीडिंग रहती है और थायराइड ग्रंथि की कमी के आने लक्षण भी मौजूद हैं तो हो सकता है आप को थाइरॉएड विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.

बच्चों में थाइरोइड ग्रंथि के कम कार्य करने की वजह से ठंडे हाथ-पाँव, कब्ज,कम या बिलकुल नहीं बढ़ना, पीलिया होना, बहुत अधिक नींद आना, कर्कश स्वर में रोना तथा चेहरे, पेट और जीभ की सूजन देखी जा सकती है.

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